फंसा देगा शिवराज सिंह को बैतूल का ये कलेक्टर
फंसा देगा शिवराज सिंह को बैतूल का ये कलेक्टर
बैतूल। बैतूल जिले के मुलताई तहसील में देहगुड जलाशय के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर किसान आन्दोलन तेज हो गया है। मंगलवार की देर रात किसान परिवार की महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद तनाव बढ़ गया है। यह वही इलाका है जहां 12 जनवरी 1998 में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की गोली से 24 किसान मारे गए थे और आगामी बारह जनवरी को उसी को लेकर सत्रहवां शहीद दिवस सम्मेलन होने जा रहा है। ऐसे में इस आंदोलन को लेकर आसपास के इलाकों में भी माहौल गरमा रहा है। जिला प्रशासन खासकर कलेक्टर जिस तरह से दमन पर आमादा है और प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा है उससे सरकार सांसत में फंस सकती है। प्रदेश में इसे लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से दखल देने की मांग की गई है।
राज्य सभा सदस्य चौधरी मुनव्वर सलीम ने एलान किया है कि इस मुद्दे को लेकर वे राज्य सभा में सवाल उठाएंगे क्योंकि कलेक्टर किसान नेताओं को जेल भेजने के साथ दमन की धमकी दे रहा है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के मुलताई में में देह्गुड जलाशय के लिए पांच गाँव के किसानों की 282 हेक्टेअर जमीन अधिग्रहित की जा रही है। जलाशय निर्माण के लिए जिस स्थान का चयन किया गया है वहां जंबाडी जलाशय से सिचिंत होने वाली कुल 510 एकड भूमि में से 200 एकड जमीन डूब में जा रही है अर्थात 40 वर्ष पहले जंबाडी जलाशय का निर्माण कर जो 200 एकड़ जमीन सिंचिंत की गई उस जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। जमीन तीन फसलीय है। जिसमें गोभी, एवं सब्जियां पैदा की जाती हैं, जिससे प्रति एकड़ तीन महीने में औसतन एक लाख 90 हजार की गोभी पैदा होती है। किसानों को सरकार 1 लाख 80 हजार रूपए प्रति एकड़ का मुआवजा दे रही है। बैतूल जिले में सिंचित जमीन 10 लाख रूपए प्रति एकड़ से कम पर उपलब्ध नहीं है। इसे लेकर एक आन्दोलन शुरू हो चुका है।
समाजवादी पार्टी के राज्य सभा सदस्य चौधरी मुनव्वर सलीम ने बैतूल जिले की मुलताई तहसील में देह्गुड जलाशय के लिए किसानों से बलपूर्वक जमीन अधिग्रहित किए जाने की कार्यवाही की निंदा करते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप कर गिरफ्तार किए गए किसानों को बिना शर्त तत्काल रिहा करने की मांग की है।
सांसद सलीम ने बताया कि किसानों की 282 हैक्टेअर सिंचित तीन फसलीय जमीन को एक लाख 80 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से पुलिस आतंक तथा ठेकेदारों की गुंडागर्दी के आधार पर छीनने की कोशिश की जा रही है जिसमें किसान प्रति एकड़ 2 लाख रुपए की गोभी प्रति तीन माह में पैदा करते हैं। सांसद ने कहा कि किसानों का साथ देने वाले पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम को जिलाधीश बैतूल द्वारा जमानत निरस्त करने की धमकी दी जा रही है तथा किसान नेता के खिलाफ फिर षड्यंत्र रचा जा रहा है। मुलताई को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। कल रात भर सैकड़ो किसान मुलताई तहसील कार्यालय के समक्ष बैठे रहे अभी भी हजारों किसान मुलताई में जुलूस निकाल रहे हैं लेकिन एसडीएम सहित कोई भी प्रशासनिक अधिकारी किसानों से बात करने को तैयार नहीं है। पुलिस अधीक्षक सुधीर लाड को जिसने पुलिस बल की मदद से जबरदस्ती अधिग्रहण कराने को यह कहकर मना कर दिया था कि क्या वह जनरल डायर बन जाए, उसका तबादला कर दिया गया है।
सांसद सलीम ने बैतूल के जिलाधीश से तत्काल गिरफ्तार किसानों को जिनमें महिलाएं भी हैं, बिना शर्त रिहा करने के आदेश जारी करने के लिए कहा है।
इस मुद्दे को लेकर किसान आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे डा. सुनीलम ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि कार्यपालन यंत्री डेहरिया 500 जवानों की मांग कर रहे हैं। पूरा समाचार पढ़कर यह लगा कि आपका जोर जलाशय निर्माण पर है, प्रभावित किसानों को न्याय दिलाने पर नहीं। मुलताई विधायक ने उक्त आशय का ज्ञापन भी एसडीएम मुलताई को दिया है। जिससे मुझे अंदेशा पैदा हो गया है कि सरकार जोर जबरदस्ती अर्थात बलप्रयोग कर जलाशय का निर्माण कराने की मंशा रखती है। जबकि आपको भलीभांति मालूम है कि 282 हेक्टेयर डूब क्षेत्र में आने वाले किसानों के विरोध के चलते 22 सिंतबर 2012 से अब तक जलाशय का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जा सका है। 30 सितंबर 2014 को कार्यादेश की 18 माह की अवधी समाप्त होने वाली है। उन्होंने आगे लिखा है कि मैं यह उल्लेख करना जरुरी समझता हूँ कि विधायक के तौर पर मेरे कार्यकाल में आजादी के बाद सर्वाधिक 62 जलाशय स्वीकृत हुए। कहीं भी बल का प्रयोग नहीं करना पड़ा, न ही किसी स्तर पर किसानों द्वारा जलाशय निर्माण का विरोध किया गया। जिसका मुख्य कारण यह था कि जलाशय का निर्माण ऐसे स्थानों पर किया गया जहां पर किसानों की सिंचिंत जमीन प्रभावित नहीं हुई। मुझे याद है कि सोंडिया जलाशय का निर्माण केवल एक आदिवासी परिवार की आपत्ति के कारण रूका रहा। बहुत आसानी से एक आदिवासी परिवार पर प्रतिबंधात्मक कानूनी कार्यवाही कर निर्माण कार्य कराया जा सकता था। लेकिन ऐसी कार्यवाही हमने 10 वर्ष में नहीं होने दी। मुख्यमंत्री होने के नाते आपने देहगुड जलाशय की सर्वे रिपोर्ट तथा संबंधित कागजात देखे होंगे। जलाशय निर्माण के लिए जिस स्थान का चयन किया गया है वहां जंबाडी जलाशय से सिचिंत होने वाली कुल 510 एकड भूमि में से 200 एकड जमीन डूब में जा रही है अर्थात 40 वर्ष पहले जंबाडी जलाशय का निर्माण कर जो 200 एकड जमीन सिंचिंत की गई उस जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। यह उचित नहीं है। आपसे अनुरोध है कि इस मामले में कानून और संविधान की भावना का ध्यान रखते हुए ही कोई कदम उठाया जाए।
O- अंबरीश कुमार
जनादेश न्यूज नेटवर्क


