दिल्ली। 23 अक्टूबर। अखिल भारतीय जाति विरोधी मंच की ओर से दिनांक 23.10.2015 को 11 बजे दिन में जन्तर-मन्तर पर फरीदाबाद दलित हत्याकाण्ड के खि़लाफ़ विरोध प्रदर्षन का आयोजन किया गया।
ज्ञात हो कि गत 20 अक्टूबर को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के फरीदाबाद स्थित सुनपेड़ गाँव में गाँव के दबंगों द्वारा देर रात को एक सोते हुए दलित परिवार के घर में पेट्राल छिड़ककर आग लगा दी जिसमें 11 महीने और ढाई साल के दो मासूमों की जलकर घटनास्थल पर ही मौत हो गयी और माता-पिता बुरी तरह झुलस गये। पुलिस ने अबतक इस मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है।
अखिल भारतीय जाति-विरोधी मंच, दिल्ली के योगेश ने बात रखते हुए कहा कि यह घटना प्रशासन की लापरवाही से घटी है और यह कोई पहली घटना नहीं है जिसमें किसी ग़रीब दलित परिवार पर ऐसी बर्बर हिंसा की गयी हो। इससे पहले मई में राजस्थान के डांगावास में, पिछले वर्ष महाराष्ट्र के जवखेड़ में और अभी हाल में ही दनकौर में भी ग़रीब दलितों पर ऐसे ही जुल्म ढाये गये हैं। विषेष तौर पर हरियाणा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में इन दलित-विरोधी अपराधों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है। इस तरह के अधिकांष मामलों में प्रषासन की लापरवाही से दोषियों के खि़लाफ़ प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की जाती है। और अगर प्राथमिकी दर्ज हो भी जाती है तो दोषियों को बहुत मामूली सजा मिलती है। हम सरकार से माँग करते हैं कि इस घटना की निष्पक्ष जाँच करायी जाये और दोषियों के खि़लाफ़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जाये और पीडि़त परिवार का समुचित इलाज कराने के साथ-साथ उन्हें 25 लाख रु. का मुआवजा और नौकरी दी जाये। उन्होंने आगे कहा कि इन घटनाओं को अंजाम देने वाली जाति व्यवस्था के खि़लाफ़ आज देश भर में एक व्यापक जाति-तोड़क आन्दोलन चलाने की ज़रूरत है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।
अखिल भारतीय जाति-विरोधी मंच, हरियाणा के रमेष खटकड़ ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हम इस तरह की बर्बर घटना को बर्दाष्त नहीं कर सकते। पुलिस और प्रशासन का गैरजिम्मेदाराना रवैया एक बार फिर हमारे सामने आया है। हरियाणा में यह पहली घटना नहीं है इससे पहले भी मिर्चपुर, गोहाणा, भगाणा जैसी घटनाएँ घटी हैं और इनके दोषियों को अबतक सजा नहीं हो पायी है।
यह साफ दिखाता है कि गरीब दलित आबादी पर हो रहे अत्याचार की सुध नहीं ली जा रही है। समाज में इस तरह की घटनाओं के खि़लाफ़ आवाज उठाने की और एकजुट होने की ज़रूरत है।
बिगुल मज़दूर दस्ता दिल्ली की षिवानी ने अपनी बात में कहा कि आज इस बात को समझने की ज़रूरत है कि इस तरह की घटनाएँ हमारे समाज में क्यों घट रही हैं तभी हम इनका हल निकालने की दिशा में काम कर पायेंगे। इनके पीछे आर्थिक और सामाजिक कारण हैं और हम अपने अनुभव से भी जानते हैं कि सरकार और प्रशासन का रुख ग़रीबों और मेहनतकशों के प्रति लापरवाही का ही रहता है। हमारे समाज में जाति और धर्म को वोट की राजनीति करने का सबसे आसान मोहरा बना लिया गया है। इन सब में पिसती गरीब जनता ही है। आज हमें जाति व्यवस्था के खि़लाफ़ एक सामाजिक-सांस्कृतिक आन्दोलन खड़ा करने की ज़रूरत है।
नौजवान भारत सभा दिल्ली के नितिन ने अपनी बात में कहा कि हम इस बर्बर घटना की कड़े शब्दों में भर्त्सना करते हैं और इस मामले की तुरन्त निष्पक्ष जाँच की माँग करते हैं। इस तरह की घटनाओं को अंजाम देनेवाले लोग पुलिस और प्रषासन को धता बताकर खुलेआम घूमते रहते हैं। आज सबसे कमजोर और अरक्षित ग़रीब दलित जनता है। उन्हें आर्थिक और सामाजिक तौर पर उपेक्षा का षिकार होना पड़ता है। आज ज़रूरत है कि देष भर में व्यापक जाति तोड़क आन्दोलन चलायें जाएँ और लोगों को इस तरह की घटनाओं के कारणों से अवगत कराया जाये।
उक्त कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय जाति-विरोधी मंच के सनी ने किया और विहान सांस्कृतिक मंच की ओर से क्रांतिकारी गीतों की प्रस्तुति की गयी। कार्यक्रम में दिषा छात्र संगठन, स्त्री मुक्ति लीग, करावलनगर मज़दूर यूनियन, दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन, मेट्रो रेल कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन सहित विभिन्न जन संगठनों और नागरिकों ने भी भागीदारी की।