फिदेल कास्त्रो और सीआईए के मेढक मोदीपंथी जंगलियों की नई पौध
फिदेल कास्त्रो और सीआईए के मेढक मोदीपंथी जंगलियों की नई पौध
फिदेल कास्त्रो और सीआईए के मेढक मोदीपंथी जंगलियों की नई पौध
जगदीश्वर चतुर्वेदी
कल फिदेल कास्त्रो की मौत हुई, क्रांति के हमदर्दों को इससे दुख पहुंचा, वे फेसबुक पर उन पर लिख रहे हैं।
सारी दुनिया में फिदेल की मौत की खबर प्रमुख खबर बनी, लेकिन हमारे देश में क्रांति विरोधी, समाजवाद विरोधी और मोदीपंथी लोग फिदेल के खिलाफ जहर उगलते हुए सक्रिय हो गए।
अरे भाई, जब फिदेल से कोई लेना-देना नहीं है तो फिर उनकी मौत पर यह मेढकों की तरह टर्र-टर्र क्यों ? मरे फिदेल हैं लेकिन आप लोगों के दिमाग का कैंसर क्यों फट पड़ा?
हिन्दू सभ्यता की परंपरा मान्यता है, जब भी कोई व्यक्ति मरता है तो उसके गुण बताए जाते हैं, लेकिन इन दिनों मोदीपंथी जंगलियों की एक नई पौध पैदा हुई है जो उनकी मौत पर घृणा अभियान चला रहे हैं। लगता है इन लोगों के अंदर हिन्दुस्तान और हिन्दू धर्म की सभ्यता का कोई असर ही नहीं है !
कल से जिन लोगों ने फिदेल के बारे गंदा,जहरीला प्रचार किया है, वे वस्तुतः न तो क्यूबा को जानते हैं और फिदेल को जानते हैं।
उनको यदि जानकारी है तो सीआईए द्वारा पेश की गयी सूचनाओं की, वे सीआईए गुलामों की तरह फेसबुक से लेकर मीडिया तक फिदेल के बारे में सफेद झूठ की वर्षा कर रहे हैं।
इस तरह के लोग क्यूबा के बारे में भारत की सर्वमान्य नीति की मुखालफत कर रहे हैं और सीआईए के एजेंट का काम कर रहे हैं। मोदीपंथियों की यह देशभक्ति नहीं बल्कि देशद्रोही हरकत है।
फिदेल कास्त्रो क्या थे और क्या बन गए, क्यूबा क्या था और आज किस रूप में सारी दुनिया के सामने खड़ा है, वह अकल्पनीय मिसाल है सामाजिक परिवर्तन की।
क्यूबा की अमेरिका द्वारा पांच दशक तक की गयी लंबी आर्थिक नाकेबंदी, सीआईएके षडयंत्र, भाड़े के सैनिकों और बुद्धिजीवियों की विश्वव्यापी फौज और बहुराष्ट्रीय मीडिया कंपनियों के संगठित अभियान के बाद भी फिदेल और क्यूबा का सामाजिक परिवर्तन के रास्ते पर आगे बढ़ते जाना और दुनिया में क्यूबा का एक समर्थ राष्ट्र के रूप में खड़े रहना अपने आप में प्रशासनिक-कूटनीतिक कौशल की शानदार मिसाल है।
फिदेल का भारत के साथ खास संबंध था, जेएनयू के साथ खास संबंध था, जेएनयू के छात्र आंदोलन के प्रेरकों में फिदेल अग्रणी थे। देश में क्यूबा को लेकर जितने अभियान चले हैं उनमें भारत के नौजवानों की केन्द्रीय भूमिका रही है।
क्यूबा के कष्ट के दिनों में भारत की जनता और सरकार फिदेल कास्त्रो और क्यूबा की जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही है।
लाखों नौजवानों ने चंदा देकर, किसानों ने गेंहूँ देकर, मजदूरों ने अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई से चंदा देकर क्यूबा की क्रांतिकारी सरकार की कठिन समय में रक्षा की है। समाजवाद और क्रांति के पक्ष में इस तरह की पक्षधरता विरल है।
खासकर सोवियत संघ के विघटन के बाद क्यूबा की क्रांतिकारी सत्ता को बचाने में भारत की सरकार और जनता की शानदार भूमिका रही है।
भारत - क्यूबा मित्रता का मूलाधार है फिदेल कास्त्रो और उनका नजरिया। फिदेल के नजरिए और भारत के नजरिए में अनेक स्तरों पर नीतिगत साम्य रहा है। भारत के कम्युनिस्टों और उदारवादियों के साथ क्यूबा की गहरी मित्रता रही है, यह ऐसी मित्रता है जो कठिन चुनौतीपूर्ण समय में खरी उतरी है। इस मित्रता को अमेरिकी दवाब तक तोड़ नहीं पाया।


