फिलहाल “आप” को दूर से ही सलाम
फिलहाल “आप” को दूर से ही सलाम
पलाश विश्वास
अरविंद केजरीवाल, मनीश सिसोदिया, योगेंद्र यादव, राखी बिड़ला और दिल्लीवासियों को देश को नया विकल्प देने और भारत को नमोमय बनाने से रोकने की बधाई। उन सभी पुरातन अद्यतन मित्रों साथियों को शुभकामनाएं जो कुंभ मेले में मची भगदड़ के मध्य आप के साथ खड़े हैं।
हम अब भी असहमत हैं। आप भी जिस तरह धर्मोनमादी राष्ट्रवाद की राह पर चल रहा है, इस परिवर्तन से बहुत ज्यादा उम्मीद मुझे है नहीं और आशंकाएं प्रबल हैं। आसमान से गिरकर खजूर में लटकने की। बहरहाल धर्मनिरपेक्ष खेमे के बजाय नमोमय भारत निर्माण को रोकने का श्रेय आप सबको है। आप में सबसे परिचित चेहरा हमारे लिए अरविंद जी नहीं, बल्कि योगेंद्र यादव जी हैं। वे देश की धड़कनों को बखूब पहचानते हैं और अर्थशास्त्रियों की तरह आंकड़ा विशेषज्ञ भी हैं। उनको खास बधाई।
सोशल मीडिया से लेकर हमारे उत्तराखंड के उमेश तिवारी विश्वास जैसे पुरातन साथियों के आप के साथ खड़ा होने की वजह से मुझे शुभकामनाएं देनी ही हैं। हमारे राजीव दाज्यू भी शायद आपके साथ हैं। इसी तरह कोलकाता में भी हलचल मची है। हमारे प्रिय मित्र और जायनवाद के अध्ययन के मामले में हमारे मुंबइया गुरु फिरोज मिठीबोरवाला भी आप में शामिल हैं। इसलिए इस महासुनामी को नजरअंदाज करने का दुस्साहस हम जैसे मामूली आम आदमी के लिए कर पाना अब बेहद मुश्किल है। लेकिन बधाई तो तब सही मायने में दूंगा जब आप हमारी सारी आशंकाओं को निर्मूल करते हुए इस जनाधार को राष्ट्रव्यापी बनाकर देश बेचने वालों से देश बचाने की कोई कारगर पहल करें। नागरिक सुविधाओं की बहाली से आम आदमी को राहत जरूर मिलेगी, लेकिन मुक्त बाजार में जनसंहार संस्कृति से यह देश जो अबाध वधस्थल बन गया है, उसे सही मायने में आजाद करने की चुनौती आपको है। हमने छात्र युवाजनों के बदलाव के प्रति जोश महिलाओं समेत युवा शक्तियों की गोलबंदी की इस राजनीति के सकारात्मक पक्ष को बदलाव का सकारात्मक संकेत मानते हुए पहले ही सलाम किया है। मित्रों की आस्था का सम्मान करते हुए अपनी अनास्था के बावजूद हमारी शुभकामनाएं। मुझे वास्तव में बहुत खुशी होगी अगर आप लोग मुझे और मेरी आशंकाओं को निर्मूल साबित कर दें। फिलहाल आप को दूर से ही सलाम।


