फुर्र हुए “अच्छे दिन”, रेल किराए में भारी बढ़ोत्तरी कर जनता की कमर तोड़ी सरकार ने
फुर्र हुए “अच्छे दिन”, रेल किराए में भारी बढ़ोत्तरी कर जनता की कमर तोड़ी सरकार ने
रेल किराया बढ़ाना जनादेश के साथ धोखा-आइपीएफ
मनमोहन सरकार की सच्ची वारिस है मोदी सरकार
आइपीएफ करेगा चौतरफा विरोध
नई दिल्ली। “अच्छे दिन” आने की प्रतीक्षा कर रहे रेल यात्रियों के लिए बुरी खबर है। रेल भाड़े में 14.2 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही माल भाड़े में 6.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ा हुआ किराया 25 जून से लागू होगा और जो यात्री टिकट बुक कर चुके हैं उन्हें सफर के दौरान ये बढ़ा हुआ भाड़ा देना पड़ेगा। यह किराया बढ़ोत्तरी रेल बजट आने से पहले हुई है, इसका मतलब है कि रेल बजट में और बढ़ोत्तरी हो सकती है।
यात्री भाड़े पर जो 14.2 प्रतिशत किराये की बढ़ोतरी हुई उनमें 10 प्रतिशत भाड़ा बेसिक किराया पर बढ़ेगा जबकि 4.2 प्रतिशत भाड़ा ईंधन समायोजन पर लगेगा। मसलन अब तक दिल्ली से मुंबई के सफर के लिए स्लीपर क्लास में आप 555 रुपये देते आए हैं, लेकिन इसके लिए अब आपको 635 रुपये देने पड़ेंगे। करीब-करीब आपकी जेब को 75 रुपये अधिक निकालने पड़ेंगे। इसी तरह थर्ड एसी में दिल्ली से मुंबई का किराया 1815 रुपये की जगह अब 2075 रुपये देना पड़ेगा। करीब-करीब 250 रुपये की मार झेलनी पड़ सकती है। एसी-2 में अब तक दिल्ली से मुंबई का किराया 2495 रुपये था जो अब बढ़कर 2849 रुपये हो जाएगा। यानि करीब 350 रुपये की मार आपकी जेब पर पड़ेगी। एसी-1 में अब तक दिल्ली और मुंबई के बीच आपको 4136 रुपये किराया देने पड़ रहे थे, लेकिन अब 4721 रुपये यानी करीब 600 रुपये ज्यादा देने पड़ेंगे।
महत्वपूर्ण बात यह है कि अब तक यूपीए सरकार में रेल किराया बढ़ता भी था तो वह उच्च श्रेणी में बढ़ता था और आम यात्रियों को राहत रहती थी लेकिन मोदी सरकार ने एक साथ सारे यात्रियों पर इस बढ़ोत्तरी का बोझ डाला है।
...और बढ़ेगी महँगाई ?
पहले से ही महँगाई से त्राहि-त्राहि कर रह जनता के लिए रेल किराए में बढ़ोत्तरी किसी वज्रपात से कम नहीं है। माल भाड़े के बढ़ने के साथ ही महँगाई और बढ़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि माल भाड़े के बढ़ने का असर कैस्केडिंग होता है और अब हर वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार रेल माल भाड़े बढ़ने के साथ ही अब ट्रक के भाड़े में वृद्धि हो सकती है क्योंकि उन्हें भाड़े बढ़ाने का बहाना मिल गया है।
विपक्ष ने किया विरोध
विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की है। हालांकि, भाजपा का कहना है कि ये संप्रग सरकार का ही फैसला था, जिसे चुनाव के कारण लागू नहीं किया जा सकता था। लेकिन अब सवाल किया जा रहा है कि जब 9 जुलाई को रेल बजट पेश होना था तो फिर क्यों इतनी जल्दबाज़ी में रेल भाड़ा बढ़ाया गया।
माकपा नेता वृंदा करात ने कहा है कि ये एक जनविरोधी फैसला है और संसद को बाईपास करके किया गया है। उनका दावा कि अब तक इतने बड़े पैमाने पर रेल भाड़ा कभी नहीं बढ़ाया गया।
मोदी सरकार द्वारा रेल यात्री किराए में 14.2 प्रतिशत और माल भाड़ा में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि करने को जनादेश के साथ धोखा बताते हुए आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) ने इसे महंगाई की मार से पीड़ित जनता पर और महंगाई बढ़ाने वाला अलोकतांत्रिक व जनविरोधी फैसला बताते हुए इस के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करने का एलान किया है।
आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि जबसे महोदय ने शपथ ली है उसी दिन से देश में कारपोरेट के अच्छे और आम आदमी के बुरे दिनों की शुरुआत हो गयी है। अभी इस सरकार का ससंद में बजट और रेल बजट आना ही था उससे पहले ही अलोकतांत्रिक तरीके से रेल के किराए में वृद्धि कर जनता पर कारपोरेट मुनाफे के लिए बोझ लादा गया है। इस फैसले से मोदी सरकार ने साबित कर दिया कि वह मनमोहन सरकार की सच्ची वारिस है और जनविरोधी नीतियों को लागू करने के मामले में वह उससे भी तेज रफ्तार से काम करेगी।
उन्होंने कहा कि कल पूरे देश में आइपीएफ की इकाइयां सरकार के इस फैसले के खिलाफ महंगाई का पुतला जलायेंगी और जनता को जनविरोधी नीतियों के खिलाफ गोलबंद करेंगी।


