फूटने लगा है नये ईमानदार राजनीतिक विकल्प की ईमानदारी का भांडा भी
फूटने लगा है नये ईमानदार राजनीतिक विकल्प की ईमानदारी का भांडा भी
ईमानदार राजनीतिक विकल्प - दिशाएं पूरी तरह गायब
नये ईमानदार राजनीतिक विकल्प की ईमानदारी का भांडा भी फूटने लगा है। इस लाचार समय में सामाजिक यथार्थ बीहड़ हैं और दिशाएं पूरी तरह गायब हैं। हम सारे लोग अंधेरे में चौराहे पर दिशाएं टटोल रहे हैं और दिशाएं कहीं मिल नहीं रही हैं।
ऐसा पहली बार हो रहा है कि अस्मिताओं के ठेकेदार तमाम क्षत्रप आर्थिक सुधारों की नैय्या पार लगा रहे हैं और भारत की संसद कारपोरेट लाबिइंग और कारपोरेट फंडिंग के तहत कारपोरेट रणनीति के तहत कारपोरेट एजंडे के मुताबिक चल रही है।
इस पर किस्सा यह है कि बजट सत्र के दौरान अहम बिलों पर चर्चा की वजह से देर शाम तक सदन की कार्यवाही चलती है। जिस वहज से संसद में मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। इस बाबत जया बच्चन ने कल बजट सत्र के दौरान चर्चा के समय इस बात की शिकायत भी की।
यानी इनके जीवन यापन में मच्छरों का हस्तक्षेप होताइच नहीं है और आम जनता की तकलीफों के बजाय इन मिलियनर बिलियनर सांसदों को संसद को मच्छर मुक्त करने की वैसी ही चिंता है, जितनी अपने वेतन, भत्तों, मुफ्त विदेश यात्राओं और दूसरी सहूलियतों की।
भारतीय राजनीति को बिजली पानी और शहरी जनता की सहूलियतों तक सीमाबद्द कर देने वाले नये ईमानदार राजनीतिक विकल्प की ईमानदारी का भांडा भी फूटने लगा है।
चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी समेत छह अन्य दलों को मान्यता खत्म करने का नोटिस जारी किया है। आयोग ने सभी दलों को यह नोटिस पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान खर्च का ब्यौरा नहीं देने पर जारी किया है। इन दलों को कड़ी चेतावनी जारी करते हुए आयोग ने इनके खिलाफ चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) नियम की धारा 16 (ए) लगाई है। गौरतलब है कि आयोग को नियमों का उल्लंघन करने वाले किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल की मान्यता रद्द करने या समाप्त करने का अधिकार है।
बहरहाल, आयोग ने इन दलों को आदेश का अनुपालन करने के लिए 20 दिनों का अंतिम समय दिया है।
पलाश विश्वास


