फूलन देवी के लिए शोकगीत
फूलन देवी के लिए शोकगीत
संदर्भ - मायावती को फूलन देवी की राह भेजने की धमकी
रामेंद्र जनवार
उत्तर प्रदेश में गाली प्रकरण के बाद सिंह सेनानियों की ओर से मायावती को फूलन देवी की राह भेजने की धमकी दी गयी है।
आज राजेन्द्र यादव के संपादकत्व में निकलने वाली हंस पत्रिका के सितम्बर 2001 पर निगाह पड़ी। फूलन देवी की हत्या पर लिखे गए उस सम्पादकीय के अन्त में हिन्दी की सुप्रसिद्ध लेखिका मृणाल पाण्डेय की फूलन देवी की मौत पर लिखी कविता दी गयी है। उसे पूरी की पूरी आपके लिए यहाँ दे रहा हूँ.....
फूलन देवी के लिए शोकगीत - मृणाल पाण्डेय
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सिरहाने आहिस्ता बोलेंगे लोग
'मीर' के , तेरे नहीं फूलन
क्योंकि टुक सो गयी तू,
पर न रोई
न रोई
तेरे सिरहाने-पैताने तो हर जगह बस शोर है
नेता-अभिनेता , अंगरेजी में तुझे गोद लेने वाले परदेसी
सबकी 'वँस मोरै वँस मोर' है
सिरहाने आहिस्ता बोलते हैं लोग मीर के, तेरे नहीं फूलन
बीहड़ों के साए लपकते थे तेरी आवाज में , आँखों में
सदा एक घायल शेरनी चहलकदमी किया करती थी,
खबरें जो बनती थीं, बस अफवाहें ही तो थीं उस जीवन की
कोई, वीरानी सी वीरानी थी जो तू रोज जिया करती थी
अब तो एयरपोर्ट पर जो छूट गया वो जमाना भर है,
बाद तेरे रहने का बहाना करें वह शबाना भर है,
'मोमिन' की फिक्र तो थी तेरी जैसियों के लिए ही ये
कि 'तू कहाँ जाएगी कुछ ठिकाना कर ले'
सिरहाने आहिस्ता बोलेंगे लोग
'मीर' के तेरे नहीं फूलन
क्योंकि टुक सो गयी बस तू
न रोई.
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इस कविता में उर्दू के महाकवि गालिब, मोमिन के अलावा मीर के एक शेर को भी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया गया है:
'सिरहाने मीर के आहिस्ता बोलो
अभी टुक रोते-रोते सो गया है'।
मृणाल पाण्डेय की यह कविता सबसे पहले जनसत्ता में छपी थी ।


