बंगाली भूगोल में अभूतपूर्व धर्मोन्मादी ध्रुवीकरण, हसीना का तख्ता उलटने के लिए तसलीमा का चरित्र हनन भी
बंगाली भूगोल में अभूतपूर्व धर्मोन्मादी ध्रुवीकरण, हसीना का तख्ता उलटने के लिए तसलीमा का चरित्र हनन भी
शाहबाग जादवपुर, छात्रों का एक ही सुर, जमायत संघी भाई-भाई, एक ही रस्सी पर दोनों की फांसी चाई।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बंगाली भूगोल में अभूतपूर्व धर्मोन्मादी ध्रुवीकरण हो रहा है। विजया दशमी के दिन जिन प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं हो सका, कल पुलिस ने बकरीद के बहाने उनका विसर्जन रोक दिया। बकरीद लेकिन आज है और फिलहाल बंगाल में कोई सांप्रदायिक तनाव का माहौल है ही नहीं। इस पर बंगाल में जो धर्मोन्मादी ध्रुवीकरण है, उसकी पृष्ठभूमि लेकिन वैज्ञानिक वर्णवर्चस्व की वाम विरासत है, जिसे पूरी ताकत लगाकर सत्तादल की राजनीति मजबूत करने लगी है वोट बैंक गणित के हिसाब से, जिसका असर बेहद खराब होने लगा है।
वर्दवान में हुए बम विस्फोट के बाद भाजपा ने सीधे आरोप लगा दिया कि ममता बनर्जी के राजकाज में बंगाल में जिहादियों का मुक्तांचल बन गया है। पुलिस तहकीकात कर रही है और बम विस्फोट बंगाल की राजनीतिक हिंसा और सत्तासंघर्ष के अनिवार्य अंग के अलावा रोजमर्रे की कानून व्यवस्था भी है।
साबित अभी नहीं हुआ है कि अभियुक्त सकल जिहादी है। इससे बड़ी वारदातें जिन राज्यों में होती रही हैं, उन्हें अब तक जिहादियों का मुक्तांचल कहने से बाज आते रहे हैं लोग। अब आंतर्जातिक सैन्य गठबंधन के तहत आतंक के विरुद्ध तेज होते जा रहे अमेरिका के युद्ध में भारत की सक्रिय हिस्सेदारी के मुताबिक मुस्लिम विद्वेष का परिपक्व हो रहा यह माहौल है।
दूसरी ओर, बांग्लादेश में प्रधानमंत्री हसीना वाजेद का तख्त पलटने के मकसद से भारत विरोधी अभियान के तहत भारत में शरण लेने वाली मशहूर विवादित लेखिका तसलीमा के चरित्र हनन अभियान को अचानक तेज कर दिया गया है। इससे वहां अल्पसंख्यकों की कभी भी शामत आ सकती है।
यह अत्यंत गंभीर मामला है और भारत सरकार को बाकायदा राजनयिक तरीके से इसका संज्ञान लिया जाना चाहिए कि बांग्लादेशी मीडिया में दो साल पहले हैदराबाद में मुस्लिम कट्टरपंथियों के तसलीमा पर हमले की घटना को मोदी के हिंदुत्वराज में तसलीमा पर हिंदू कट्टरपंथियों का हमला बताया जा रहा है।
यहीं नहीं, तसलीमा की हिंदुत्ववादियों के हाथों जूतों से पिटाई के वीडियो जारी करते हुए अत्यंत अश्लील तरीके से तसलीमा का चरित्र हनन किया जा रहा है।
मुसलमानों को चुनौती दी जा रही है कि हिंदुत्व के खिलाफ बोलने पर हिंदुत्व ब्रिगेड ने उनकी जूतों से पिटाई की है और मुसलमान उनसे अपने धर्म के अपमान का बदला नहीं ले सके हैं।
कट्टरपंथी किस तरह के बदले की बात कर रहे हैं, समझ में आने वाली बात है। यह बदला जाहिर है कि बाबरी विध्वंस के बाद धर्मोन्मादी लज्जा की ही नये सिरे से तैयारी है।
तसलीमा फिलहाल नागरिकता विहीन है और धर्म के खिलाफ उनका जिहाद एक नास्तिक के विचार हैं जो किसी भी धर्म का निषेध का मामला है। लेकिन इसे इस्लाम के खिलाफ मानकर लज्जा के प्रकाशन के बाद से हिंदुत्ववादी ताकतें तसलिमा साहित्य का बेजां इस्तेमाल करती रही हैं जबकि तसलीमा दरअसल किसी भी तरह के कट्टरपंथ के खिलाफ हैं।
भारत के अभ्यंतरीन मामलों में वे मंतव्य नहीं कर सकतीं, उनकी शरणागत स्थिति के मद्देनजर इसे समझना चाहिए। लेकिन बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथी तसलीमा को कट्टर इस्लम विरोधी और भारत में हिंदू राष्ट्र की समर्थक बतौर पेश करते हुए उसी जूते से पिटाई हिंदुत्ववादियों के हाथों करवा रही है तो इसका मकसद धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण है।
बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्ष छात्र युवा बंगाल के जादवपुर छात्र आंदोलन के पक्ष में देश भर में आंदोलन तेज कर दिया है और नारा दिया है कि शाहबाग जादवपुर, छात्रों का एक ही सुर, जमायत संघी भाई-भाई, एक ही रस्सी पर दोनों की फांसी चाई।
इस शाहबाग आंदोलन की नयी धारा से निपटने की कट्टरपंथियों की अलग रणनीति के तहत ऐसा नही हो रहा है, यह कहना मुश्किल है।
दूसरी ओर अभी हिदुत्ववादियों ने तसलीमा के स्त्री विमर्श, समता और सामाजिक न्याय, अस्पृश्यता, नागरिक अधिकारों और मानवोधिकारों के बारे में सिलसिलेवार लगता है, पढ़ा भी नहीं है।
नागरिकता हीनता के हाल मे जब वे बंगाल से वाम शासन में वोट बैंक समीकरण की तरह खदेड़ दी गयी और परिवर्तन के बाद भी वे बंगाल में अवांछित हैं, तो भारतीय नागरिकता तो क्या स्थाई वीसा न मिलने की स्थिति में जायनी युद्धक वैश्विक व्यवस्था के खिलाफ मुंह खोल पाने की हालत में भी वे नहीं हैं। जबकि इस ग्लोबल साम्राज्यवाद सामंतवाद के मुख्य तत्व बतौर वे स्त्री विरोधी धर्म को जिम्मेदार मानती हैं।
जाहिर है कि असहिष्णु बजरंगी उन पर कभी भी हमला कर दें तो कोई ताज्जुब की बात नहीं होगी।
ऐसा होने पर हिंदुत्व के इस आक्रामक तेवर से बांग्लादेश और बाकी इस्लामी दुनिया के कट्टरपंथी ज्यादा खुश होंगे। जैसा हैदराबाद हमले के वीडियो आधारित दुष्प्रचार से जाहिर है।


