बड़ी कंपनियों की दादागीरी, नहीं बतातीं जंगलों को कितना नुकसान पहुंचाया
बड़ी कंपनियों की दादागीरी, नहीं बतातीं जंगलों को कितना नुकसान पहुंचाया

सत्तर फीसदी बड़ी कंपनियां नहीं बतातीं उनके काम से जंगलों और पर्यावरण का कितना नुकसान हो रहा
पिछले दिनों पोलैंड के कैटोवाइस में आयोजित विश्व जलवायु सम्मेलन सीओपी24 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण की प्रमुख रिपोर्ट में कहा गया था कि वैश्विक उत्सर्जन फिर से बढ़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना अभी भी संभव है, लेकिन 1.5 डिग्री सेल्सियस अंतर को रखने की तकनीकी व्यवहार्यता घट रही है। यदि उत्सर्जन में अंतर 2030 तक बंद नहीं होता है, तो यह बेहद असंभव है कि 2 डिग्री सेल्सियस तापमान लक्ष्य तक अभी भी पहुंचा जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की जलवायु परिवर्तन पर पिछले दिनों जारी की गई एक अन्य रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि वैश्विक तापमान उम्मीद से अधिक तेज गति से बढ़ रहा है। कार्बन उत्सर्जन में समय रहते कटौती के लिए कदम नहीं उठाए जाते तो इसका विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। आईपीसीसी ने वैश्विक तापमान में वृद्धि को दो के बजाय 1.5 डिग्री से. रखने पर जोर दिया है। लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि एक तरफ जहां सारी दुनिया वैश्विक तापमान को नियंत्रित करने, कार्बन उत्सर्जन कम करने और प्रकृति के कम से कम खिलवाड़ करने के लिए जद्दोजहद कर रही है वहीं दूसरी तरफ अंधाधुंध प्रदूषण फैला रही दुनिया की लगभग सत्तर फीसदी बड़ी कंपनियां न सिर्फ नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं, बल्कि ये जानकारी भी नहीं दे रही हैं कि उनके प्रोजेक्ट से जंगलों का कितना नुकसान हुआ है।
सीडीपी नाम की एक चैरिटी एजेंसी के एक और सर्वे (70% of companies fail to disclose impact on world’s forests) में पता चला है कि जंगलों पर उच्च प्रभाव वाली 1,500 कंपनियों में से 70% कंपनियां अपने प्रभाव पर डेटा प्रदान करने में विफल रही हैं, जिनमें डोमिनोज, मोंडेलेज, नेक्स्ट और स्पोर्ट्स डायरेक्ट फीचर जैसे प्रमुख ब्रांड शामिल हैं।
क्या है सीडीपी What is cdp
सीडीपी एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संस्था (International nonprofit) है जो कंपनियों और सरकारों को अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, जल संसाधनों की सुरक्षा और जंगलों की रक्षा करने के लिए प्रेरित करती है। सीडीपी, जिसे पूर्व में कार्बन डिस्क्लोजर प्रोजेक्ट कहा जाता था, वी मीन बिजनेस गठबंधन का संस्थापक सदस्य है।
सीडीपी की हाल ही में जारी नई रिपोर्ट, द मनी ट्रीज़ (The Money Trees) ने पाया कि वनों पर कॉर्पोरेट पारदर्शिता (2018 में 30% प्रकटीकरण दर) अन्य पर्यावरणीय मुद्दों जैसे कि जलवायु परिवर्तन और जल सुरक्षा (दोनों 43%) से पीछे है। और ऐसा वनों की कटाई, जंगलों के पारिस्थितिक महत्व और जलवायु परिवर्तन को हल करने में उनकी भूमिका के साथ-साथ निवेशकों, खरीदारों और उपभोक्ताओं के बीच बढ़ी पर्यावरणीय चिंता के कारण व्यापार के लिए महत्वपूर्ण जोखिमों के बावजूद है।
दुनिया भर की 1500 से अधिक ऐसी कंपनियां, जिन्हें समझा जाता है कि उनके कामकाज से वनों की कटाई पर महत्वपूर्ण असर पड़ता है, उनसे 2018 में सीडीपी के रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से निवेशकों और बड़े क्रय संगठनों द्वारा जंगलों के डेटा का खुलासा करने के लिए कहा गया था। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से 70 फीसदी कंपनियां यह डेटा उपलब्ध कराने में विफल रहीं।
कंपनियों को वनों की कटाई से जुड़ी चार वस्तुओं लकड़ी, ताड़ का तेल (पाम ऑयल), मवेशी और सोया के उपयोग पर खुलासा करने के लिए कहा गया था। 350 से अधिक कंपनियों ने पिछले तीन वर्षों (2016-2018) के लिए जवाब देने से इनकार कर दिया।
इनकार करने वाली कंपनियों में दुनिया की अग्रणी खाद्य उत्पाद वाली कंपनियों डोमिनोस, नेक्स्ट, और स्पोर्ट्स डायरेक्ट के साथ-साथ वैश्विक खाद्य निगम मोंडेलेज और इसके पाम ऑयल आपूर्तिकर्ता रिम्बुनान हिजाऊ समूह, जो सरवाक, मलेशिया के वर्षावन क्षेत्र में सबसे बड़ी पाम ऑयल की कंपनी है, शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक ये कंपनियां जिन वस्तुओं का उपयोग करती हैं उनसे वनों की कटाई का सीधा संबंध हैं। उदाहरण के लिए चॉकलेट में मिलाए जाने के लिए पाम ऑयल, जूते के लिए चमड़े, पिज्जा बॉक्स के लिए कागज और फर्नीचर के लिए लकड़ी।
इन कंपनियों की प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करते हुए, रिपोर्ट बताती है कि वनों की कटाई की समस्या को हल करने के लिए कार्रवाई का स्तर अपर्याप्त है।
लगभग 450 कंपनियों और 50 से अधिक सरकारों ने 2020 तक वनों की कटाई को समाप्त करने का वादा किया है, लेकिन आज तक उद्योग की कार्रवाई वनों की कटाई रोकने का लक्ष्य हासिल करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इन कंपनियों ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से कहा कि यह समय सीमा समाप्त हो जाएगी।
रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक वन हानि प्रति वर्ष 5 मिलियन हेक्टेयर या प्रति मिनट 15 फुटबॉल पिचों की दर से जारी है, जो दुनिया के पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु के लिए गंभीर खतरा पैदा करने वाली है। रिपोर्ट कहती है कि आईपीसीसी की 1.5°C पर विशेष रिपोर्ट में जंगलों को कार्बन सिंक के रूप में उपयोग करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है, जलवायु संकट को दूर करने के लिए इस दिशा में काम करना जरूरी है।
सीडीपी के वैश्विक वन निदेशक, मॉर्गन गिलेस्पी (Morgan Gillespy, Global Director of Forests at CDP) कहते हैं कि उनके डेटा से पता चलता है कि कंपनियां वनों की कटाई को खत्म करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही हैं। इस बीच सैकड़ों उच्च-प्रभाव वाली कंपनियों ने सीडीपी के माध्यम से खुलासा नहीं किया है और इसलिए इस रिपोर्ट में विश्लेषण नहीं किया गया है। हो सकता है कि ये कंपनियां जोखिम के एक ब्लैक बॉक्स पर बैठी हों, और उनके निवेशकों, ग्राहकों और अंतिम उपभोक्ताओं को पता नहीं है, लेकिन वे तेजी से पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।
गिलेस्पी कहते हैं कि जब वनों की कटाई के लिए कॉरपोरेट प्रतिक्रिया (corporate response to deforestation) की बात आती है, यह बड़ी कंपनियां तो मौन और बहरी हो जाती हैं। कॉरपोरेट्स ने बहुत लंबे समय तक दुनिया के जंगलों पर अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं के प्रभावों को अनदेखा किया है और इस जोखिम, जो उनके व्यवसाय और दुनिया दोनों के लिए है, को गंभीरता से नहीं लिया है।
गिलेस्पी कहते हैं कि दुनिया भर में पर्यावरणीय चिंता एक उच्च स्तर पर है, और कंपनियों को पारदर्शी होने और जंगलों की रक्षा के लिए निर्णायक कार्रवाई करने की मांग की जा रही है। उपभोक्ता तेजी से जानना चाहते हैं कि उनकी खरीदारी की टोकरी अमेज़ॅन के विनाश, ऑरंगुटनों के विलुप्त होने और जलवायु संकट को तो नहीं बढ़ा रही है।
वह कहते हैं ऐसे व्यवसाय, जो बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी बनाए रखना चाहते हैं, उन्हें अपने ग्राहकों, निवेशकों और उपभोक्ताओं की आवाज सुनने की आवश्यकता है - अन्यथा वे प्रतिक्रियास्वरूप ढेर हो सकते हैं।
जाहिर सी बात है भारत में ग्रामीण घरों में चूल्हे पर पकने वाले भोजन को लेकर तथाकथित सभ्य और विकसित कॉरपोरेट्स ने बहुत हल्ला मचाया था कि इससे पर्यावरण का नुकसान हो रहा है, लेकिन अब उनके ही संगठन बता रहे हैं कि पर्यावरण और जंगलों को खतरा इन कॉरपोरेट्स से ही है।
अमलेन्दु उपाध्याय
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक और टीवी पैनलिस्ट हैं।)


