बलात्कार सुनामी का तो हुई गयो काम तमाम!

सरेबाजार भयो नंगे, अब तो रोको दंगे!


धर्म पर भारी जाति, सारे समीकरण फेल हुई रहे हिंदुत्व के !
बिहार में करारी हार, फिर नीतीशे कुमार!
आगे यूपी, बंगाल, उत्तराखंड वगैरह वगैरह बाकी है!
हिंदुत्व, इंसानियत और मुल्क के लिए भलाई इसी में हैं, जाति कर दो खत्म और खत्म करो दंगे!
PHIR EK BAAR NITISH

KUMAR ( STUDIOMAHUA )9304550100 LYRICS BY SHAKTI BABUA

Phir se Nitishe!

पलाश विश्वास

संस्थागत फासीवाद का मुख्यालय, हिटलर मुसोलिनी के विशुद्ध रक्त के वंशज और केसरिया इतिहास बनाने वाले फर्जी हिंदुत्व के फर्जी ब्राह्मण गिरोह समझ लें, इतिहास लिखा नहीं जाता, इतिहास खुदबखुद बनता है। इतिहास बनाने वालों का नजारा बिहार में कदेख लो भइये, का पता कि अक्ल ठिकाने पर आ जाई।

हिंदुओं की बात करते हैं, हिंदू हितों पर तूफां खड़ा करते हैं। देहात और खेत खलिहान को कब्रिस्तान बनाकर गायों को गोशाला से, खेती को आजीविका से बेदखल करके डिजिटल रोबोटिक देश बनाने वालों को हिंदू हितों की परवाह कितनी है, हम विभाजन पीड़ित पूर्वी बंगाल के देश भर में बिखरे बेनागरिक बना दिये गये लोग इस हिंदुत्व के शिकार हैं तो देख लें हिंदुओं के कत्लेआम का नजारा भी। जिस कश्मीर को देस से अलग करके हिंदू राष्ट्र बनाने की तैयारी है, जिस कश्मीर की आग से पूरे महादेश को आग के हवाले कर देने की तैयारी है, वहां मुसलमानों के साथ साथ हिंदू भी दमन और उत्पीड़न, सैन्यतंत्र के वैसे ही शिकार है जैसे सलवा जुड़ुम में मरने वाले आदिवासी तो मारने वाले भी आदिवासी।

मुकम्मल मनुस्मृति राजकाज है हिंदुत्व या इस्लाम के नाम सरहदों के आर-पार। बांग्लादेश में सर कलम हैं तो सर कलम हैं हिंदुस्तान में भी। मधेशी और आदिवासी खड़े हैं अपनों के ही खिलाफ नेपाल में तो श्रीलंका में, म्यांमार में कत्लेआम हैं। पाकिस्तान आतंकी हमलों से खुदै तबाह है और बौद्ध म्यांमार में रोहंगा मुसलमानों की कयामत है। अफगानिस्तान में तालिबान हैं। तो हिंदुस्तान हिंदू तालिबान का।

अभी कल ही की बात है कि सहिष्णुता की झांकी में बजरंगी फौज ने राजपथ पर सरेआम एक महिला पत्रकार को वेश्या का तमगा भेंट किया और बिहार ने आज उन चेहरों पर कालिख पोत दी और बता दिया कि सहिष्णुता रिश्तों में होती है, साझे चूल्हे में होती है, समाज में होती है, सभी मजहब की आत्मा है सहिष्णुता, वह राजपथ की झांकी नहीं होती।

महाजिन्न बिरंची बाबा के विकास का झांसा, कारपोरेट बाबाओं, बाबियों के अंधियारे का तेज बत्तीवाला कारोबार और नफरत का उनका कटकटेला बवंडर पिछड़े बिहार में नीतीश कुमार की ईमानदार मेहनत की न्यूनतम मजदूरी के आगे चारों खाने चित्त!लालू के देशी बोल ने मंकी बातें चलने ही नहीं दी।

हमारा प्रवचन, हमारा लिखा रोककर का उखाड़ लिहिस? औरों करें डिलीट, डिएक्टीवेट, सेंसर, निगरानी- नतीजा वही, का उखाड़ लिहिस?

लब आजाद हैं। चीखें निकलती हैं तो दूर तलक फलक फाड़कर जमीन चीरकर हिमालय से पीर की गंगा बह निकलती है।

आग जलती है तो आग को दोस्त दुश्मन, अपना पराया, सवर्ण दलित आदिवासी, ब्राह्मण, भूमिहार चमार बाल्मीकि महार वगैरह वगैरह कुछ नहीं देखती। सबको जलाकर खाक कर देती है। फासीवाद के मसीहा हिटलर और मुसोलिनी के हाथ राख के सिवाय कुछ नहीं था।

अपने लाड़ले तानाशाह के हाथ तो पहले से ही खून से रंगे हैं। भारत को मुक्त बाजार बनाने के खातिर व्हाइटहाउस में कोई सात समुंदर का पानी नइखे, नइखे हिमालय के तमामो ग्लेशियर, गंगामइया को शुध कराने वाले अपनी अंतरात्मा को तो एको दफा सुध करवा लेते!

विशुद्धता का यह गृहयुद्ध, जाति अस्मिताओं के ये चुनाव समीकरण, ये मुक्त बाजार के राजकाजी एजेंट, ये बंटवारे, आगजनी, दंगा फसाद, फर्जी मुठभेड़, कत्लेआम हिदुत्व के लिए आत्मध्वंस का नजारा है। हिंदुत्व के झंडेवरदार, कल्कि अवतार मिथक का मिथ्या को धर्म बताकर वेदों का हवाला देकर देश को महाबरत बना रहे हैं, हर नागरिक के लिए चक्रव्यूह सजा रहे हैं, हिंदू विवेक और जनमत इस दस दिगंत सर्वनाश के खिलाफ न जागें, तो चुनाव आते जाते रहेंगे, जनादेश बदलते रहेंगे, सरकारे बदलती रहेगी लेकिन हिंदुओं का धर्म कर्म नहीं बचेगा। गैरमजहबी लोगों से हिंदुत्व को कोई खतरा नहीं था।

दिवाली के लिए जो चिराग जला रहे हैं, उन्हें आगजनी में तब्दील करनेवाले जमींदारी रियासतों के, हिटलर मुसोलिनी के विशुध वंशजों से अपने बनारस को क्वोटो में तब्दील करनेवाले सियासी मजहब के कटकचेला अंधियारा अरबों अरब डालर के योगाभ्यासी संस्थागत फासीवाद के मुख्यालय और नवउदारवाद के ब्राह्मण गिरोह के फर्जी हिंदुत्व के समरस अन्याय, असमता, मनुस्मृति राजकाज और लबाबलब पाप के घड़ों से सात साल के इस्लामी शासन और दो सौ साल की अंग्रेजी हुकूमत के बावजूद सही सलामत हिंदुत्व का अस्तित्व अब संकट में है।

मंझधार में फंसी नाव को बचाने जंग फतह करने के लिए जिस मांझी का भरोसा था, वह कम नहीं आया, राम से हनुमान बने तमाम फर्जी जात पांत के सचेहरे मसीहा मसीहा फेल, जाति खत्म करो वरना हिंदुत्व का नर्क ब्राह्मण गिरोह के हाथों तबाह तबाह है।

याद रखें, मनुस्मृति के मुताबिक स्त्री सेक्स स्लेव है। दासी है। शूद्र है।

इसलिए स्त्री के किलाफ घर बाहर सर्वत्र बलात्कार सुनामी है और उनके बच्चे कटे हुए हाथ पांव दिलोदिमाग के साथ बजरंगी फौजे हैं तो वे दुर्गा, सती, सावित्री, सीता, साध्वी, प्रज्ञा वगैरह वगैरह बनकर फर्जी बापू के हरम में उत्पीड़न के शिकार। देवी नहीं, देवदासियां हैं।

मीरा नहीं, सुपर माडल और ड्रीम गर्ल हैं। या सेक्स चाय टाय हैं।

सरेआम सहिष्णुता जुलूस में उसे सहिष्णुता के बजरंगी मसीहाई फौज के वेश्या कहने का नतीजा अभी बाकी है।

समझ लो कि ये गुलाम स्त्रियां जिस दिन सड़क पर आ जायेंगी और अपनी गुलामी और तमामो बलात्कार, पल छिन पल छिन पितृसत्ता के हाथों चीरहरण का हिसाब मांगेंगी, आधी आबादी की वह बगावत भी दूर नहीं है, इंतजार की घड़ी खत्म होने वाली है।

समझ लों कि जिसदिन सारे गुलाम और सारे बंधुआ, गुलामी की जंजीरें तोड़ने के लिए लामबंद हो जायेंगे, तो नजारा क्या होगा।

तब नंगे किस राजपथ पर मार्चवा करेंगे, जिंदा रहें तो हम भी देखेंगे।

बेरोजगार कटे हुए हाथ पांव जब बागी होंगे, जब जागेंगे खेत खलिहान कारखाने, जंगल जंगल जागरण होगा। किसान मजदूर आदिवासी मोर्चे पर होंगे लामबंद एक साथ और छारत्र युवा सारी दीवारें तोड़ेंगे, सीमेंट के जंगल में खंदकों में भी बचेगी नहीं सियासती मजहब की सत्ता।

पेशाब भी निकलने की नौबत नहीं होगी।

तब वरनम वन फासीवादी तानाशाह का अंत कर ही देगा।

यही मिथकों का सच है। मिथकीय अधर्म, अपकर्म, अपराधकर्म की ग्रीक त्रासदी का यही कैथार्सिस है।

जी हां, कल हम मिथकों का हिसाब किताब कर रहे थे। मिथक धर्म नहीं है। महाकाव्य धर्म नहीं है। मिथक त्रासदियों का जंगल है।

त्रासदियों से लबालब यह मिथकीय राजकाज का अंत का सिलसिला शुरु हुई गवा, समझ लो के फिर बिहार में जलवा है।

आरक्षण की केसरिया रणनीति के मुकाबले लालू की देशी बोली के आगे सारे युद्धक हेलीकाप्टर खेत हुई रहे तो फिर बिहार में नीतीशे कुमार। बाकी देश का गुस्सा अभा इजाहर होना बाकी।

क्योंकि कोई जनमत आखिरी नहीं होता। हिटलर का अंत तय।

नंगी तलवारें और नफरत तूफां, गुजरात के महादंगाई बाहुबली धनपशु प्रोमोटर बिल्डर मााफिया विजदेशी हाथ किसके किसके लबो को कैद कर लेते हैं, किस किसकी गर्दन चाक करते हैं, वह नजारा जिंदा रहें तो हम भी देखेंगे। चीखों का जलवा आप देखें।

छोटा राजन को देश और दलितों का आइकनवा भी बना रहे हैं। 36 पुरस्कृत फिल्मकारों और कमसकम 42 साहित्यकारों के विवेक के आगे राजपथ पर जुलूस के अगले ही दिन बिहार का जनादेश आ गया है। जनादेश दिल्ली का भी रहा है।

ताजातरीन यह जनादेश है।

कल्कि अवतार को राजपाट छोड़कर अंधियारे के तेजबत्ती वाले कारोबार में किस्मत आजमाना चाहिए अब। कुरुक्षेत्र का नतीजा चाहे जो हो, कुरुवंशा का सर्वनाश है।

जो आगजनी शुरु किये रहिस, उसीमें झुसले है कमलोकमल! बलात्कार सुनामी का तो हुई गयो काम तमाम!

लोकसभा चुनावों के बाद दिल्ली हारे!

लोकसभा चुनावों के बारे में लीजिये, बिहार भी हार गयो रे!

बंगाल में जीत का सुवाल ही नइखे!

बाकी यूपी में जो बाबरी विध्वंस का, दंगा फसाद का, गोरक्षा अरबिया वंसत का, बहुजन समाज और मुल्क के बंटवारे के बीज बोये हैं, वह फसल लहालहा रही है। विष बोया है तो काटिये लहलाती जहरीली फसल भी। होइहें सोई, जो राम रचि राखा। कर्मफल सिद्धांत।

उत्तराखंड का चप्पा-चप्पा बिका हुआ है।

गंगा माई को को टिहरी मा कैद कर रखा है।

केदार बदरी चारों धाम हानीमून रिसार्ट में तब्दील।

धर्म के नाम इसानी हड्डियों का कारोबार योगाभ्यास है।

धर्म और आस्था की ही बात करें तो धरती पापा का बोझ सहने वाली नहीं है।

गौर करें कि एटमो बम है हिमालय।

बलात्कार सुनामी का तो हुई गयो काम तमाम!

आज प्रवचन का मौका नहीं है।

ग्रीक त्रासदी मुंह बाएं खड़ी है।

न देखा हो तो देख लें तब तक।

मंकी बातें जनता तक नहीं पहुंची, मजहब के नाम बंटवारे को चले थे। समरसता के बहाने अति दलित, अति पिछड़ा का दांव खेलकर बहुजन समाज को बांचने चले थे।

अश्वमेधी घोड़े उन्हीं लालू प्रसाद ने रोक लिये आखिरकार, जिनने राम रथ यात्रा रोक ली थी।

बिरंची बाबा के क्योटो मा अबहुं जलवा बहार होई। पण दिवाली से पहले बिहार में दीवाली है।

बिहार में बहारो ह के नीतीशे कुमार नीतीशे कुमार।

डिजिटल इंडिया का तकनीकी चमत्रकार और गोरक्षा आंदोलन के बहाने देश दुनिया मुनस्मृति बनाने का गो रक्षा आंदोलन का बीफगेटवा दुनो फेल

बिहार के नतीजे आ गये हैं।

बिहार में बहार है, फिर वही नीतीशे कुमार है।

रवीश कुमार ने सही कहा है कि अब तो गाय को छोड़े।

विकास का नारा लगाते लगाते पहुंच गये पाकिस्तान।

मंडल को जगा दिया और कंमंडल का तामाशा भी दिखा दिया।

हो गयी करारी शिक्सत।

हमारा कहना हैः

बलात्कार सुनामी का तो हुई गयो काम तमाम!

सरेबाजार भयो नंगे, अब तो रोको दंगे!

धर्म पर भारी जाति, सारे समीकरण फेल हुई रहे हिंदुत्व के !

बिहार में करारी हार, फिर नीतीशे कुमार!

आगे यूपी, बंगाल, उत्तराखंड वगैरह वगैरह बाकी है!

हिंदुत्व, इंसानियत और मुल्क के लिए भलाई इसी में हैं, जाति कर दो खत्म और खत्म करो दंगे!