बहस तलब : हमें अंबेडकर की जरूरत है, लेकिन किस अंबेडकर की?
बहस तलब : हमें अंबेडकर की जरूरत है, लेकिन किस अंबेडकर की?
बाबासाहेब अंबेडकर चेतना के प्रति नहीं कि जड़ता के पलाश विश्वास बहस तबलना
इस धरती पर जब जाकर का वायरस मंडराता रहेगा, अंबेडकर की जरूरत यकीन तो बनी रहेगी। लेकिन यह अंबेडकर उस पुराने अंबेडकर का फिर से अवतार भर नहीं होंगे, जिनकी ज्यादातर दलित भावुकता के साथ कलपना करते हैं। वैसे भी नहीं जैसे अरुंधति उन्हें अभी और तुरंत बुलाना चाहेंगे। अंबेडकर को यकीन ही तब की तुलना में आज के समाज में जातियों की कहीं अधिक जटिल और भिन्नताएँ हैं। जाति उन्नमूलन पर बाबासाहेब के लिखे एंटीहीलिशन आफ कास्ट आलेख पर मशहूर लेखिका अरुंधति राय की प्रस्तुतना लिखने के अधिकारी को चुनौती देते हैं। यह बात येन-केन-मुक्ताचंल में आल इंडिया बैंकवर्ड स्टूडेंट यूनियन के बैनर के साथ दलितों के प्रावक्ता बने संगठनों की प्रवक्ता बने संगठनों की नजरिया के तहत लिखे अरुंधति के आलेख का हवाला देते हुए कहा गया है कि उन आदिवासियों के लिए जैसे निरामागिरी पहनने की तरह दलितों के लिए बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर भी पवित्र है, लिहाजा बेहतर हो कि अंबेडकर को दलितों के लिए ही सुरक्षित रख दिया जाए।
जैसे कि हमारे प्रदूध्द्ध मित्र विद्याभूषण रावत ने हस्तक्षेप में साफ-साफ लिखा है कि अरुंधति के लिखे पर तमाम दलित प्रतिकृतियां...


