बहुजन की बंदूकों के निशाने पर दलित
बहुजन की बंदूकों के निशाने पर दलित
पंचायत चुनाव को लेकर गाँव गाँव में फिर बंदूकें गरजने लगी है । ख़ास बात यह है कि जिन हाथों में बंदूके है वे बहुजन की राजनीति का नारा उछाल रहे है और उनकी बंदूकों के निशाने पर दलित और दबी कुचली पिछड़ी जातियां है
अम्बरीश कुमार
लखनऊ , अक्तूबर । उत्तर प्रदेश में कोई दल सीधे सीधे पंचायत का चुनाव भले न लड़े पर सरकार तो पूरे दम ख़म चुनाव लड़ रही है । पंचायत चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री मायावती ने पार्टी के नेताओ और कार्यकर्ताओ को साफ़ कर दिया था कि पंचायत चुनाव में पार्टी हिस्सा नहीं ले रही है इसलिए पार्टी के नाम का इस्तेमाल न हो । पर अब नौबत यह आ गई है कि हत्र जिले में मंत्री विधायक पंचायत चुनाव में पूरी ताकत से शिरकत कर रहे है । मामला यही तक नही नही सीमित नही है बल्कि जहाँ भी दलित बसपा के अगड़ी जातियों के ताकतवर उम्मीदवार को चुनौती देता नज़र आ रहा है उसे मारपीट कर बैठा दिया जा रहा है । आज ऐसे ही एक दलित उम्मीदवार को गोंडा में जब नामांकन का पैसा जमा करने के बाद मर कर भगा दिया गया तो उसने कहा -मायावती के लोकतंत्र से बाहर धकेला जा रहा है दलित । इस दलित को भागने वाले गोंडा के पूर्व विधायक और बसपा नेता लल्ला सिंह है । इससे पहले पूर्वांचल से लगातार दलितों को परचा दाखिल न करने देने की कई शिकायते सामने आ चुकी है । पंचायत चुनाव में गोरखपुर से काबिना मंत्री फ़तेह बहादुर सिंह की पत्नी साधना सिंह से लेकर शराब के बड़े कारोबारी और पूर्व मंत्री जीतेंद्र जायसवाल को पत्नी अनीता जायसवाल भी मैदान में है । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनाव किस तरह से लड़ा जा रहा होगा ।
पंचायत चुनाव को लेकर गाँव गाँव में फिर बंदूकें गरजने लगी है । ख़ास बात यह है कि जिन हाथों में बंदूके है वे बहुजन की राजनीति का नारा उछाल रहे है और उनकी बंदूकों के निशाने पर दलित और दबी कुचली पिछड़ी जातियां है । गोंडा के करनैलगंज ब्लाक के कुरी गाँव के रामपाल पासवान ने पंचायत चुनाव के लिए पैसा जमाकर नामांकन पत्र दाखिल करना चाहा तो बाहुबली नेताओं ने परचा फाड़ा और भगा दिया । जनसंघर्ष मोर्चा अब इस दलित की लड़ाई लड़ने जा रहा है । मोर्चा के संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा - एक दलित मुख्यमंत्री के राज में सामंती ताकते अगर किसी दलित को उसके लोकतान्त्रिक अधिकारों से वंचित कर देंगी तो किसके राज में इन दलितों की शिकायत सुनी जाएगी। जानकारी के मुताबिक पूर्व विधायक लल्ला सिंह जो भाजपा से लेकर कांग्रेस तक का राजनैतिक पर्यटन कर चुके है वे अब दलित एजंडा के झंडाबरदार बन गए है पर काम ठीक उलटी दिशा में कर रहे है । उनकी एक बहन ब्रिज कुमारी सिंह बसपा की विधायक है और दूसरी बहन शैल कुमारी सिंह पंचायत का चुनाव लड़ रही है । दलित रामपाल पासवान ने उनके खिलाफ परचा भरने की हिम्मत की तो उसका ऐसा इलाज हुआ कि वह गाँव से भाग खड़ा हुआ है ।
इससे पहले देवरिया जिले में बसपा विधायक सुरेश तिवारी की इच्छा के खिलाफ रुद्रपुर विधान सभा क्षेत्र के बनियैनी गाँव के एक दलित ने पंचायत चुनाव में परचा भरा तो बसपा नेताओं की शाह पर पुलिस पूरे परिवार को थाने उठा लाई और रात भर दलितों की सरकार का जलवा दिखाया । गोरखपुर में काबीना मंत्री फ़तेह बहादुर सिंह की पत्नी क्या चुनाव लड़ रही है पूरा जंगलात विभाग रात दिन एक किए हुए है । फ़तेह बहादुर जंगलात विभाग के मंत्री है । यहाँ भी कुछ लोग मैदान छोड़ बैठ चुके है तो कुछ बैठने की तैयारी में है । फ़तेह बहादुर सिंह प्रदेश के दिग्गज नेता वीर बहादुर सिंह के पुत्र है । इन कुछ उदहारण से साफ़ है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव किस अंदाज में लड़े जा रहे है । खास बात यह है कि पंचायत चुनाव में सीधी भागेदारी पर बसपा कुछ लोगों पर कार्यवाही भी कर चुकी है बहुजन की बंदूकों के निशाने पर दलित और वंचित !
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अम्बरीश कुमार
वरिष्ठ पत्रकार हैं. फ़िलहाल जनसत्ता के उत्तर प्रदेश ब्यूरो प्रमुख.


