बांग्लादेश आतंकी हमले पर विशेष रिपोर्ट
पलाश विश्वास

ढाका हमला कोई आतंकवादी हमला नहीं है और न यह सांप्रदायिक मामला है, विशुद्ध राजनीतिक उग्रवाद है
कोलकाता। खालिदा जिया ने प्रेस कांफ्रेस में हसीना को कठघरे में खड़ा किया है तो भारत हसीना का अंध समर्थन कर रहा है और दरअसल दोनों इसके जिम्मेदार हैं और इसके नतीजतन बांग्लादेश अल्पसंख्यक मुक्त होगा जैसा कि भारत को विधर्मी मुक्त करने का हिंदुत्व एजेंडा है।

भारत में अफवाह फैलायी जा रही है कि हसीना को भारतीय सैन्य हस्तक्षेप का इंतजार है।
यह भी प्रचारित हो रहा है कि भारत सरकार पर मीडिया और राजनीति का दबाव बांग्लादेश में तुरंत सैन्य हस्तक्षेप 1971 के तर्ज पर करने का बन रहा है। इस पर बांग्लादेशी मीडिया में खूब चर्चा हो रही है। सेंसरशिप की वजह से जिसे जो मन हो रहा है, बक रहा है। कुल मिलाकर भारतीय हितों के मद्देनजर और खासतौर पर बांगलादेश के करीब दो करोड़ गैर-मुसलमानों के लिए हालात बेहद संगीन हैं और न कोलकाता को न दिल्ली को इसका कोई अंदाजा है। इसलिए हम उपलब्ध तथ्य जस का तस टुकड़ा-टुकड़ा भी शेयर कर रहे हैं कि कमसकम बंगाल और भारत में धर्मोन्मादी लोगों का होश ठिकाने में रहे।
अभी हम बांगालदेश के हालात का जायजा लगा रहे हैं और अब तय है कि यह कोई आतंकवादी हमला नहीं है और न यह सांप्रदायिक मामला है, विशुद्ध राजनीतिक उग्रवाद है और इसमें पक्ष विपक्ष की राजनीति की बड़ी भूमिका है।

यहां भी अल्पसंख्यक निशाने पर हैं तो वहां भी
बांग्लादेश में भी फर्जी मुठभेड़ का किस्सा है। जैसे रेस्तरां के शेफ को आतंकवादी बना दिया गया है। वही हो रहा है जो भारत में हो रहा है। यहां भी अल्पसंख्यक निशाने पर हैं तो वहां भी ।
यहां हिंदुत्व है तो वहां इस्लाम। आइएस बहाना और छाता दोनों हैं। सरकार सीधे कह रही है कि हमला बाहरी तत्वों ने नहीं किया और इस्लामी तत्व इसमें भारत का हाथ साबित करने पर तुले हैं। भारत विरोधी प्रचार भी जोरों पर हैं।

भारतीय राजनय पूरी तरह फेल है।
बल्कि बांग्लादेश को सामने रखकर भारत में वैसे ही मुसलमानों के खिलाफ सफाया अभियान तेज हो रहा है जैसे बांग्लादेश में भारत का हव्वा खड़ा करके हिंदुओं, ईसाइयों और बौद्धों के सफाये का अभियान ही इस आतंक का असल मकसद है और भारतीय राजनीति इसे सिरे से नजरअंदाज कर रही है तो मीडिया सत्ता के गणित साध रहा है।
जो परिचय हमलावरों का मिला है वे सोशल मीडिया में परिचित बांग्लादेशी हैं और यह घरेलू आतंकवाद का किस्सा है जैसा अपने यहां ग्लोबल आतंकवाद के नाम पर केसरिया आतंक है। वहां बाग्लादेशी इस्लामी राष्ट्रवाद का आतंक है।