बांग्लादेश में भारत के सैन्य हस्तक्षेप की मांग पर बांग्लादेश में तूफां
बांग्लादेश में भारत के सैन्य हस्तक्षेप की मांग पर बांग्लादेश में तूफां
भारत की तरह बांग्लादेश में भी भारत दुश्मन है तो हर हिंदू दुश्मन है
पलाश विश्वास
कोलकाता। अभी अभी बांग्लादेश में तूफां आया है कि असम विधानसभा में किसीने बांग्लादेश में भारत के सैन्य हस्तक्षेप की मांग कर दी है। नतीजे का अंदाज आप खुद लगा लें।
भारत की तरह बांग्लादेश में भी लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील तत्वों को भारत का दलाल और एजेंट माना जाता है।
भारत में जैसे हर मुसलमान को पाकिस्तानी मानने की रघुकुल रीति है वैसे ही बांग्लादेशी भाषा में हर मलाउन यानी माला फेरने वाला हिंदू भारत का एजेंट है और उनका वध धर्मसम्मत है। वहां भी अल्पसंख्यकों का सफाया धर्मयुद्ध का एजेंडा है।
बांग्लादेश में इसवक्त सुंदरवन बचाओ अभियान सबसे बड़ा आंदोलन है। यह विदेशी हित या कारपोरेट पूजी के खिलाफ विशुध पर्यावरण आंदोलन भी नहीं है, जिसे दरअसल सीमाओं के आर पार मनुष्यता और प्रकृति के हकहकूक के लिए संगठित किया जाना चाहिए।
सुंदरवन बचाओ अभियान औपचारिक तौर पर तेजी से संगठित भारतविरोधी आंदोलन है
यह सुंदरवन बचाओ अभियान औपचारिक तौर पर तेजी से संगठित भारतविरोधी आंदोलन है और इसके सीधे निशाने पर है इन्हीं आड़ी तेढ़ी रेखाओं के दायरे में बसी हुई इस महादेश के तमाम मुल्कों की इंसानियत। सीधे कहें तो जनसंख्या का भूगोल, जिसे आखिरकार तहस-नहस करने का धर्मोन्मादी एजेंडा वहां गोरक्षा का जवाबी आंदोलन है क्योंकि तकनीकी तौर पर गोरक्षा आंदोलन भी कोई धर्मोन्मादी अश्वमेध राजसूय होने के बजाय विशुध पर्यावरण आंदोलन होना चाहिए था और वह ऐसा कतई नहीं है, तो समझ लें कि सुंदरवन बचाओं का असल एजेंडा क्या है।
जाहिर है कि एकदम गोरक्षा आंदोलन की तर्ज पर बांग्लादेश में सुंदरवन बचाओ आंदोलन का कहर इस पूरे महादेश पर टूटने वाला है।
कमसकम हिंदुत्ववादियों को इसका अंदाजा होना चाहिए क्योंकि वे लोग भी वही धतकरम कर रहे हैं।
बांग्लादेश में इस वक्त रोज रोज दुनियाभर में हो रही आतंकवादी हमलों की खबरें बड़ी खबरें हैं नहीं। हमारे यहां राजनेताओं की राजनीति, उनके बयान, गाली गलौचआरोप प्रत्यारोप, क्रिया प्रतिक्रिया से जैसे मीडिया को फुरसत नहीं है, वैसे ही बांग्लादेश में इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा भारत का सैन्य हस्तक्षेप है। वहां यही मीडिया कारोबार है।
गुलशन हत्याकांड के बाद से भारत के सैन्य हस्तक्षेप की तैयारी का अखंड पाठ चल रहा है और लाइव दिखाया जा रहा है रॉ की गतिविधियां।
हमारे यहां जैसे हर मुश्किल और हर मसले का सरकारी जबाव पाकिस्तान है।
उनकी हर समस्या के पीछ उसी तरह भारत है। इस्लामी राष्ट्रवाद को घोषित लक्ष्य बांग्लादेश को भारत के कब्जे से मुक्त करना है और इसीलिए जैसे पाकिस्तान दुश्मन है तो हर हिंदू का दुश्मन मुसलमान है, उसीतरह वहां भी भारत दुश्मन है तो हर हिंदू दुश्मन है।
जैसे हमारे देशभक्त विमर्श का अंदाज हैः आतंकवादी हमलों के पीछे पाकिस्तान, कश्मीर में बवाल के पीछे पाकिस्तान, विपक्ष के पीछे पाकिस्तान, धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशीलता के पीछे पाकिस्तान, वैसे ही बांग्लादेश में अंध इस्लामी राष्ट्रवाद बांग्लादेश की सरकार को भारत की गुलाम सरकार मानता है और उसके तख्ता पलट की तैयारी में है।
अभी-अभी बांग्लादेश में तूफां आया है कि असम विधानसभा में किसी ने बांग्लादेश में भारत के सैन्य हस्तक्षेप की मांग कर दी है।
नतीजे का अंदाज आप खुद लगा लें।
भारत में हिंदी मीडिया में ऐसी कोई खबर सुर्खियों में नहीं है।
अंग्रेजी या असमिया मीडिया में ऐसी कोई खबर खंगालने के बाद हमें देखने को नहीं मिली है। गूगल सर्च में भी नहीं है।
बहरहाल संजोग यह है कि ढाका में गुलशन हमले से पहले कोलकाता में हिंदू संहति के जुलूस में भारत के सैन्य हस्तक्षेप की मांग जोर-शोर से उठी थी।
वैसे विदशी मीडिया बांग्लादेश में किसी भी राजनीतिक तूफां के मौके पर भारत के 1971 की तर्ज पर भारत के बांग्लादेश में सैन्य हस्तक्षेप की कयास में खबरें और विश्लेषन प्रकाशित प्रसारित करने का रिवाज है।


