बाईस सितम्बर को लोकतंत्र हिफाजत दिवस मनाएगी माकपा
बाईस सितम्बर को लोकतंत्र हिफाजत दिवस मनाएगी माकपा
दमन, लूट को छूट देने के लिए जनआंदोलनों पर अंकुश लगा रही है सरकार
भोपाल। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 22 सितम्बर को प्रदेश भर में लोकतंत्र की हिफाजत का दिन मनाने और जनता के बीच जाकर विरोध कार्यवाहियां करने का आव्हान किया है।
कार्पोरेट कंपनियों की लूट और सत्ता पार्टी के भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए प्रदेश में जनता के लोतांत्रिक अधिकार बाधित कर दिए गए हैं और संविधान को स्थगित कर दिया गया है। रीवा में ह्त्या के मामले में नामजद एक उद्योगपति को मुख्यमंत्री अपने विदेश दौरे में ले जाते रहते हैं वहीं उसके ज़ुल्म के खिलाफ लड़ने वाले आंदोलनकारियों का जिला बदर किया जा रहा है। ग्वालियर सहित राजधानी में धरने, जलूस, प्रदर्शन यहाँ तक कि सभाओं तक पर रोक लगा दी गयी है। सभाओं की अनुमति शहर के कोनों में दी जा रही है और उसमें भी लिखा जाता है कि इसमें "राजनीतिक भाषण नहीं दिए जाने चाहिए"। रतलाम में वनाधिकार क़ानून पर अमल के लिए जूझ रहे आदिवासी नेताओ नबीनूर अंसारी और कालू सिंह पर हमले करवाये जा रहे हैं। ट्रेड यूनियनों को द्विपक्षीय-त्रिपक्षीय समितियों से हटा कर मालिकों के लोग भर लिए गए हैं। छात्र संघ चुनाव नहीं करवाये जा आहे हैं और भ्रष्ट नेताओं की पसंद वाले नाकारा और लापरवाह अफसर राजाओं-जमीदारों की तरह आचरण कर रहे हैं ।
जनता के संविधान सम्मत अधिकार स्थगित हैं मगर साम्प्रदायिक गुंडागर्दी को शह दी जा रही है।
22 सितम्बर की इन विरोध कार्यवाहियों में रीवा में लोकतंत्र हिमायती अनेक दल भागीदारी करेंगे, इनमे माकपा के वरिष्ठ नेता बासुदेव आचार्य, जनता दल (यू) के अध्यक्ष शरद यादव, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघु ठाकुर, माकपा राज्य सचिव बादल सरोज,राष्ट्रीय समानता दल के प्रदेशाध्यक्ष महेश कुशवाहा, सीटू के प्रदेशाध्यक्ष रामविलास गोस्वामी, किसान सभा के प्रदेश महासचिव रामनारायण कुररिया मुख्य रूप से शामिल हैं।
रीवा में सात वर्ष पहले इसी दिन एक उद्योग घराने की चलाई गोली में एक युवा की मौत हो गयी थी, जबकि 67 घायल हुए थे।
सीपीआई (एम) ने प्रदेश की सभी लोकतांत्रिक शक्तियों, संगठनो, आंदोलनों से लोकतंत्र पर हमले के विरुद्द एकजुट होने का आव्हान किया है।


