बिहार में अक्षय ऊर्जा आधारित बिजली परियोजनाओं का त्वरित विकास किया जाये- ग्रीनपीस
बिहार में अक्षय ऊर्जा आधारित बिजली परियोजनाओं का त्वरित विकास किया जाये- ग्रीनपीस
ग्रीनपीस ने बिहार में अक्षय ऊर्जा नियामक ढांचे के निर्माण की
रिपोर्ट जारी की
पटना, 24 सितंबर, 2013: हकीकत यह है कि बिहार के पास बिजली उत्पादन सम्बंधी भावी जरूरतों के लिये कोयला आदि जीवाश्म ईंधन संसाधन पर्याप्त नहीं है। विद्युत उत्पादन की पारम्परिक केन्द्रीकृत ग्रिड प्रणाली भी लोगों की बिजली सम्बंधी उम्मीदों को पूरा करने में नाकाम रही है। ऐसे में समाधान के रूप में अक्षय उर्जा स्रोत उम्मीद की किरण बन रहे हैं। वक्त का तकाजा है कि बिहार में अक्षय ऊर्जा आधारित बिजली परियोजनाओं का त्वरित विकास किया जाये, जो ग्रिड से जुड़े और बिना ग्रिड के हों और जिनसे भविष्य की ऊर्जा माँग को पूरा किया जा सके और राज्य में दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा की स्थिति सुनिश्चित की जा सके।
यह कहना है ग्रीनपीस इंडिया के एनर्जी कैंपेनर मृण्मोय चट्टराज का।
ग्रीनपीस ने आज ‘बिहार में अक्षय ऊर्जा के त्वरित विकास के लिये एक कानूनी, नीतिगत और नियामकीय ढाँचे के निर्माण पर रिपोर्ट’ जारी की। ग्रीनपीस व सेंटर फॉर एनवॉयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के तत्वावधान में होटल मौर्या में आयोजित कांफ्रेंस में जारी यह रिपोर्ट बिहार में अक्षय ऊर्जा के विकास से सम्बंधित नीतिगत ढाँचे के लिये कई महत्वपूर्ण सिफारिशें मुहैया कराती है। जिसे बिहार सरकार में ऊर्जा मंत्री माननीय बिजेंद्र प्रसाद यादव को सुपुर्द किया गया। रिपोर्ट में दर्ज सिफारिशें राज्य में गम्भीर बिजली संकट और ऊर्जा निर्धनता की समाप्ति में कारगर नीतिगत समाधान हो सकती हैं।
श्री चट्टराज ने इस बाबत बताया ‘बिहार में ऊर्जा क्षेत्र का अध्ययन करने के बाद और एक आम सहमति से इस नतीजे तक पहुँचा जा सकता है कि राज्य सरकार की नीतियाँ अपने आप में बिजली व ऊर्जा के महत्वपूर्ण मुद्दों से निबटने और बिहार में अक्षय ऊर्जा के तीव्र विकास के लिये नाकाफी हैं। ऐसे में यह आवश्यक रूप से महसूस किया गया है कि बिहार के पास एक मजबूत और प्रगतिशील अक्षय ऊर्जा कानून पर आधारित एक कानूनी, नीतिगत और नियामक ढाँचा हो।’
यह प्रस्तावित कानूनी, नीतिगत और नियामकीय ढाँचा दरअसल बीते एक साल से ग्रीनपीस इंडिया और वर्ल्ड इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल एनर्जी (वाइज), पुणे द्वारा राज्य के भीतर और बाहर हुये व्यापक विचार-विमर्श और स्टेकहोल्डर्स कंसल्टेशन का परिणाम है। वाइज, पुणे के संस्थापक महासचिव जीएम पिल्लई ने कहा ‘यह मसौदा बिहार की ग्रामीण आबादी के लिये समय आधारित ऊर्जा पहुँच को सुनिश्चित करेगा और राज्य में समतापरक सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये जरूरी माहौल व बाजार का निर्माण करेगा। इसके साथ ही यह पर्यावरण मित्र समझे जाने वाले ऊर्जा स्रोतों के जरिये दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।’
मुख्य रूप से यह प्रस्तावित नीतिगत मसौदा अभिनव वित्तीयन प्रणाली, नवोन्मेषकारी बिजनेस मॉडल, वर्तमान स्टेट नोडल एजेंसी की मजबूती, साल दर साल लक्ष्यों के निर्धारण और विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा प्रणाली की उन्नति के लिये विशेष प्रावधानों पर केन्द्रित है। जहाँ ग्रिड से जुड़ी अक्षय ऊर्जा बिजली परियोजनाओं के विकास जैसे अधिकाधिक अक्षय ऊर्जा प्रवेश के परिप्रेक्ष्य में ग्रिड से अलगाव की व्यवस्थाओं और ग्रिड स्थायित्व के रखरखाव के प्रावधानों से जुड़ी रणनीतियों पर बल दिया गया है। यह नीतिगत ढाँचा लोगों के सामाजिक-आर्थिक स्थिति के अनुसार चुनिन्दा विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा प्रणालियों के अनुप्रयोगों की प्राथमिकता तय करता है और विविध प्रणालियों की विशाल पैमाने पर तैनाती की रणनीतियों की रूपरेखा पेश करता है। साथ में यह सरकार व ग्राम विद्युत समिति या निजी उद्यमियों द्वारा ऑफ ग्रिड और ग्रिड कनेक्टेड तरीके पर आधारित बिजली के वितरित उत्पादन और आपूर्ति परियोजनाओं खासकर माइक्रो ग्रिड प्रोजेक्ट्स के संचालन के लिये नियामकीय दिशानिर्देश की सलाह देता है।
इस मौके पर सेंटर फॉर एनवॉयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के प्रोग्राम कॉर्डिनेटर नवीन मिश्रा ने कहा ‘एक अक्षय ऊर्जा अधिनियम या ऐसी किसी एकीकृत नीति के रूप में एक कानूनी रूप से बाध्यकारी नीतिगत ढाँचा जब राज्य सरकार द्वारा अपनाया जायेगा। तो यह एक प्रभावी अक्षय ऊर्जा नीति के निर्माण के लिये बहुप्रतीक्षित अनिवार्य ढाँचा उपलब्ध करायेगा, जो वित्तीयन प्रणाली, शोध व विकास, क्षमता निर्माण और बिहार में ग्रिड से जुड़े और विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा के त्वरित विकास के लिये जरूरी स्पष्ट भूमिका और जिम्मेवारियों को रेखांकित करने के साथ लागू करेगा।’
एनर्जी कैंपेनर मृण्मोय चट्टराज ने आगे बताया ‘एक मजूबत विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा कानून राज्य में अक्षय ऊर्जा तकनीकों के विकास व तैनाती के साथ-साथ बिहार के समग्र विकास के लिये एक सहयोगी माहौल का निर्माण करेगा।’
बता दें है कि ग्रीनपीस ने सेंटर फॉर इनवॉयरमेंट एंड एनर्जी डेवलमपेंट (सीड) और बेसिक्स संस्था के साथ हाल में राज्य के जहानाबाद जिले के धरनई गाँव में विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा की प्रभावोत्पदकता को दर्शाने के लिये एक माइक्रो ग्रिड परियोजना स्थापित करने की घोषणा की है।


