बिहार में घिर गया भाजपा का अश्वमेघ का घोड़ा
बिहार में घिर गया भाजपा का अश्वमेघ का घोड़ा
बिहार ने भाजपा का अहंकार तोड़ दिया है
अंबरीश कुमार
नई दिल्ली। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अश्वमेध का घोड़ा बिहार में फंस गया। बिहार के उप चुनाव में भाजपा हार गई। बिहार ने भाजपा का अहंकार तोड़ दिया है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे विभाजनकारी राजनीति की हार बताया है। वैसे तो पंजाब से लेकर कर्णाटक तक भाजपा को इन उप चुनाव में कड़ी चुनौती मिली पर बिहार ने मोदी सरकार के करीब सौ दिन के कामकाज पर भी टिपण्णी कर दी है। उत्तर प्रदेश और बिहार में मोदी को जो प्रचंड जीत मिली थी उसे देखते हुए बिहार के नतीजे बहुत महत्वपूर्ण हैं। हालाँकि उतराखंड में पहले ही भाजपा को बड़ा झटका लग चुका था पर बिहार में लालू नीतीश की एकता से सब बदल गया।
इन नतीजों से पस्त पड़े विपक्ष में भी जान आ गई है तो मोदी और उनके रणनीतिकारों के लिए मंथन का समय आ गया है। हिंदुत्व के नाम पर जो एक बार ताकत मिल गई वह बार बार मिलेगी यह संभव नहीं दिखता। मोदी सरकार जिन अच्छे दिन के वायदों के विज्ञापनों के बूते सत्ता में आई वे सिर्फ विज्ञापन ही साबित हुए। महंगाई पहला मुद्दा थी जिस पर आम लोगों को निराशा हुई। कड़े फैसले और देशभक्ति का यह हाल रहा कि पकिस्तान अब रोज-रोज ललकार रहा है, गोला बारूद दाग रहा है और लोगों को मार रहा है पर फिलहाल ऐसा कोई हमलावर तेवर नजर नहीं आया जिसकी उम्मीद मोदी से थी।
अब सुशासन की भी बात हो जाए, किसी जूनियर इंजीनियर की तरह राज्यपाल के तबादले हो रहे हैं। हर जगह मनमाफिक लोगों को तैनात किया जा रहा है, योग्यता न हो तो कानून बदल कर भी यह काम किया गया। विकास के नाम पर स्मार्ट सिटी की बात हो रही है किसी स्मार्ट गाँव की बात कोई नहीं करता। स्वदेशी के नारे के बावजूद विदेशी निवेश उन जगहों में भी लाया जा रहा है जिससे देश के कारोबार का नुकसान हो।
यह कुछ बानगी है सरकार के कामकाज की। बाक़ी पार्टी अपने पुराने एजंडा पर अब जोर शोर से जुट चुकी है। उत्तर प्रदेश प्रयोगशाला बना हुआ है। पश्चिम से अब पूरब की तरफ विभाजन की तैयारी है। अब तक मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मुरादाबाद बरेली और मेरठ निशाने पर था अब अयोध्या और फैजाबाद में आग सुलगने लगी है। छोटे-छोटे मामलों में दंगा कराने का प्रयास हो रहा है। मसलन उसने मोटर साईकिल से टक्कर मार दी या एक मोटर साइकिल वाले ने अपने समुदाय की लड़की छेड़ दी। नया नारा लव जेहाद का है। हालाँकि महिलाओं को लेकर कई ऐसे मामले जिन्हें मीडिया ने जमकर उछाला और विपक्ष ने इसे लेकर जमकर राजनीति की पर बाद में वे फर्जी साबित हुए और इन्हें उछलने वाले अखबार ने अंतिम पन्ने के हाशिए में यह जानकारी देकर अपनी भरपाई कर ली।
ऐसे माहौल में बिहार में इन ताकतों से लालू नीतीश ने राजनैतिक मुकाबला किया और पछाड़ा है। वे अपने एजंडा में साफ़ थे और सीधे भाजपा को चुनौती दी। अगर भाजपा जीत जाती तो इसका श्रेय नरेंद्र मोदी को जाता पर अब इसे स्थानीय मुद्दों पर आधारित चुनाव बताकर भाजपा अपना पल्लू झाड़ लेगी। पर यह नतीजे नरेंद्र मोदी की राजनीति और उनके अब तक के कामकाज पर जनता की सीधी टिप्पणी हैं। इससे अन्य प्रदेश के साथ केंद्र में राजनैतिक समीकरण बदलेंगे। पर इससे उत्तर प्रदेश में खतरा और बढ़ गया है। अब उत्तर प्रदेश में सरकार नहीं समाज को सतर्क रहना होगा, दंगों का भूगोल बदलने की तैयारी हो चुकी है।


