बिहार में नयी फोटो पत्रकारिता के सूत्रधार थे के.एम. किशन- आलेाकधन्वा
बिहार में नयी फोटो पत्रकारिता के सूत्रधार थे के.एम. किशन- आलेाकधन्वा
के.एम. किशन श्रद्धांजलि समारोह
जनता की सच्चाई को सामने लाने वाले छायाकार थे के.एम. किशन- आलेाकधन्वा
जबसे अखबार रंगीन हुआ है तबसे अकाल, भूख और जनसंहार की भी रंगीन तस्वीर माँगी जाती है- कहते थे के.एम. किशन
पटना, 6 फरवरी। ‘‘ बारिश, कीचड़ और धूप में चलकर कृष्ण मुरारी ने बिहार में नयी फोटो पत्रकारिता का सूत्रपात किया। वे राजनीति विवेक के छायाकार थे। किशन के डार्क रूम में बिहार के सत्ता और प्रतिरोध दोनों की राजनीति की तस्वीरें थीं। सत्ता के अंतःलोक तथा सत्ता परिवर्तन दोनों की तस्वीरें उनके पास थी। उनका कैमरा हर जगह जाता था। प्रतिरोध की राजनीति की जितनी तस्वीरें थे वो सब तस्वीरें उनके पास थीं।’’
ये बातें प्रख्यात कवि आलोकधन्वा ने रंगकर्मियों-कलाकारों के साझा मंच ‘ हिंसा के विरूद्ध संस्कृतिकर्मी’ द्वारा प्रेमचंद रंगशाला में आयोजित प्रख्यात छायाकार कृष्ण मुरारी किशन की श्रद्धांजलि सभा में बोलते हुए कहा।
ओलाक धन्वा ने आगे कहा ‘‘ उनकी जो प्रतिबद्धता सिर्फ ये थी जनता की सच्चाई सामने आना चाहिए। अगर कहीं क्रूरता है, कहीं करूणा है तो वो सामने आनी चाहिए। बिहार के जितने राजनय है उन सभी की तस्वीरें के.एम. किशन के पास थी। बिहार में 40 सालों में जितनी भी सरकारें बनी सभी की तस्वीरें किशन ने ली। ’’
सभा में बड़ी संख्या में रंगकर्मी, पत्रकार, छायाकार, पत्रकार, साहित्यकार व सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।
वक्ताओं ने किशन मुरारी किशन के बिहार की पत्रकारिता में दिए गए योगदान केा रेखांकित किया। सभी ने पेशे के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, जनता के संघर्षों केा कैमरे में कैद रखने वाले छायाकार के रूप याद किया।
छायाकार नागेंद्र ने बताया कि ‘‘ के.एम. किशन लीजेंड्री फोटोग्राफर थे। सौ वर्षों में पैदा होना वाले एक छायाकार थे। जैसा दिल्ली- मुंबई कई जगहों पर रहा हूँ लेकिन उनके साथ मेहनती छायाकार मैंने कहीं नहीं देखा।’’
छायाकार संजय कुमार ने अपने अनुभवों केा साझा करते हुए कहा ‘‘ के.एम किशन महा पुरूष थे। वे कहा करते कि हर हाल में अपना काम के प्रति केाई केाताही नहीं बरतनी चाहिए’’
युवा छायाकार आफताब अहमद ने उन्हें याद करते हुए कहा ‘‘ फोटो जर्नलिज्म केा बहुत बड़ी क्षति है। यह क्षति बहुत बड़ी है। काम कैसे करना चाहिए, किन-किन परिस्थितियों में करना चाहिए। उनका व्यक्तित्व बहुत प्रेरक था। वे कहा करते कि जैसे घोड़ा कभी बीमार नहीं पड़ता वैसे ही छायाकार केा बीमार नहीं पड़ना चाहिए।’’
74 आंदोलन केा याद करते हुए ‘मजदूर’ पत्रिका से जुड़े चर्चित राजनैतिक कार्यकर्ता सतीश ने कहा ‘‘ 74 के आंदोलन में हमेश घटनास्थल पर पहॅंचने वाले पहले पत्रकार हुआ करते।’’
युवा पत्रकार पुष्पराज ने अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा ‘‘ किशन जी बोलते नहीं थे। किशन जी कहा करते थे कि जबसे अखबार रंगीन हुआ है तबसे अकाल, भूख और जनसंहार की भी रंगीन तस्वीर माँगी जाती है। वे एक टार्च बियरर की तरह थे।’’
श्रद्धांजलि सभा केा प्रो संतोष कुमार, छायाकार आजाद, कार्टूनिस्ट पवन,, प्रगतिषील लेखक संघ के राज कुमार शाही, भाकपा-माले के परवेज, एस.यू.सी.आई के राज कुमार चैधरी, आइसा नेता मुख्तार, ए.आई.डी.एस.ओ के अनिल, साहित्यकार अरूण षाद्वल, वरिष्ठ रंगकर्मी सुरेश कुमार हज्जू, पत्रकार निवेदिता झा, रविराज पटेल आदि ने संबोधित किया। श्रद्धांजलि सभा केा संचालन युवा रंगकर्मी जयप्रकाश ने किया।
इस मौके पर बड़ी संख्या में रगंकर्मी मौजूद थे प्रमुख लोगों में विनीत राय, रंग निर्देशक परवेज अख्तर, फिल्म अभिनेता विनीत कुमार, यंवा रंगकर्मी अजीत कुमार, मनीष महिवाल, गौतम, प्रवीण सप्पू, मिथिलेश सिंह सहित ढेंरो रंगकर्मी उपस्थित थे।


