बीजेपी के सुपारी पत्रकार
बीजेपी के सुपारी पत्रकार
पत्रकारिता के मामले में प्रधानमंत्री की ही श्रेणी में खड़े हो गए हैं एन के सिंह
महेन्द्र मिश्रा
मैंने दूरदर्शन पर वरिष्ठ पत्रकार एन के सिंह को बीजेपी की शौच साफ करते देखा।
इलेक्ट्रानिक मीडिया में अपठ पत्रकारों के बीच एन के सिंह का खौफ रहता है। उन्हें बहुत पढ़ा-लिखा माना जाता है, लेकिन सिविल सेवा मार्का पढ़ाइयों का शायद यही हश्र होता है। उनके पास आंकड़ों का भंडार और घटनाओं की जानकारियां तो जरूर होंगी, लेकिन लगता है उनकी अपनी कोई सोच समझ नहीं बन पायी। शायद यही वजह है कि नौकरशाहों की तरह स्वार्थ और सुविधा के मुताबिक वह अपनी स्थिति बदलते रहते हैं।
जनाब बिल्कुल सुपारी पत्रकार बन गए थे।
बिहार चुनावों के विश्लेषण के इस कार्यक्रम में उन्होंने नीतीश की सारी खामियां गिनाईं। नीतीश सच्चे समाजवादी नहीं हैं। जनेऊ तोड़ने और जातिवाद खत्म करने की जगह जाति को स्थापित कर रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर और लोहिया से गद्दारी कर रहे हैं। स्वतंत्र तौर पर चलने का साहस नहीं है। हमेशा उन्हें कंधे की जरूरत पड़ती है। बीजेपी के बाद अब उन्होंने लालू का कंधा पकड़ लिया है। नीतीश अपना आत्मविश्वास खो बैठे हैं आदि-आदि।
शायद बीजेपी जो हमला सीधे नीतीश पर नहीं कर पा रही है उसकी जिम्मेदारी अपने इन सुपारी पत्रकारों को दे दी है।
इस पूरी बहस में उन्हें एक बार भी प्रधानमंत्री मोदी नहीं याद आए। न ही उनकी प्रधानमंत्री पद की गरिमा को शर्मसार करने वाली हरकतें और बयान। शायद प्रधानमंत्री अगर किसी मंच पर दिगंबर होकर खड़े हो जाते तो किसी को उतना दुख नहीं होता, जितना उनके आरक्षण के जरिये अल्पसंख्यकों को निशाना साधने की उनके बयान से हुआ है। अपनी इज्जत और सम्मान की तो उन्होंने पहले ही बलि चढ़ा दी थी। इस बयान के बाद बहुत सारे लोगों ने उन्हें प्रधानमंत्री मानना भी बंद कर दिया है।
प्रधानमंत्री किसी एक समुदाय, एक जाति और एक क्षेत्र का नहीं होता है। बक्सर की सभा में उन्होंने खुले तौर पर बता दिया कि वह प्रधानमंत्री से पहले स्वयंसेवक हैं। संघ का एजेंडा उनके लिए प्राथमिक है और वह नागपुर के इशारे पर ही काम करते हैं। इन सारी हरकतों के साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री पद की गौरव और गरिमा को भी रसातल में पहुंचा दिया।
एक पत्रकार के तौर पर ये बातें किसी और के मुकाबले एन के सिंह को ज्यादा चुभनी चाहिए थी, लेकिन शायद वह भी पत्रकारिता के मामले में प्रधानमंत्री की ही श्रेणी में खड़े हो गए हैं।


