बुझे-बुझे क्यों हैं मोदी ?
बुझे-बुझे क्यों हैं मोदी ?
कल पीएम मोदी जब भाजपा मुख्यालय से लाइव बोल रहे थे तो उनमें जीते हुए नेता का भाव नहीं था। जीता हुआ नेता तर्क नहीं करता, जीत तो अपने आपमें भाजपा और मोदी के तर्कों का परिणाम है। नए सिरे से तर्कशास्त्र खड़े करके मोदी ने अहंकार और अपने गुजरात से बढ़ते हुए अलगाव को ही व्यक्त किया है।
जब आदमी अलगाव में रहता है तो उसे ढंकने के लिए सबसे ज्यादा तर्क गढ़ता है। बहाने बनाता है।
मोदी की जीत क्यो हुई यह तो परिणाम के शांतिपूर्ण ढंग से मनन-अध्ययन के बाद पता चलेगा लेकिन मोदी तो बहुत जल्दी में थे, टीवी और उन्मादी भक्तों का पेट भरने की जल्दी में थे,जबकि सच्चाई यह है कि वे जब बोल रहे थे तब भी 25सीटों पर मतगणना हो रही थी। अभी सभी परिणाम भाजपा के नेताओं और विश्लेषकों ने ठीक से बूथबार विश्लेषित तक नहीं किए थे, लेकिन मोदी का विलक्षण तर्कशास्त्र सामने आ गया।
मोदीजी, जीत पर धन्यवाद बनता है, लेकिन तर्कों का अम्बार नहीं।
मोदी जानते हैं अहमदाबाद, बडौदा और सूरत समग्र गुजरात का प्रतिनिधित्व नहीं करते। वे यह भी जानते हैं वे जिस क्षेत्र में रहते हैं वहां की जनता उनके साथ नहीं है। वे यह भी जानते हैं कि गुजरात के किसान नाराज हैं और उन्होंने उनके खिलाफ वोट किया है। गुजरात का नौजवान उनके भ्रमजाल से बाहर निकल चुका है और यही वह पीड़ा और अलगाव था जो कल उनके लाइव प्रसारण से अभिव्यंजित हो रहा था।
मजेदार बात है कल उनको युवा और किसान याद नहीं आए।
मोदी को पूरे प्रचार अभियान में ये दो वर्ग याद नहीं आए, उनके लिए कोई स्कीम वे घोषित नहीं कर पाए।
सबको मालूम है कि कांग्रेस और भाजपा में 25फीसदी मतों का अंतर है। यह अंतर रातों-रात किसी जादू से कम नहीं होगा क्रमशः कम होगा। राहुल गांधी ने बड़ी मेहनत और नए नजरिए से इस अंतर को कम करके मात्र 8 फीसदी अंतर तक समेट दिया है। संभावना यही है कि आने वाले समय में 8फीसदी का अंतर भी नहीं रहेगा। जरूरत इस बात की है कि कांग्रेस संगठन के तौर पर नियमित गुजरात में सक्रिय रहे, आंदोलन करे, अभी सरकार बनी है, समस्याएं हल नहीं हुई हैं। नई सरकार पर दवाब बनाया जाए कि वो जनता की मांगें माने। इसके लिए संगठित प्रयास और आंदोलन जरूरी हैं।
People of Gujarat have spoken in a clear voice- they stand for development. pic.twitter.com/jage57K7Yj
— Narendra Modi (@narendramodi) December 19, 2017
Gujarat has yet again embraced development politics and rejected divisive tactics of a select few. pic.twitter.com/DesmRmwhpx
— Narendra Modi (@narendramodi) December 18, 2017


