बुनियादी सवाल यही है कि स्त्री मनुष्य भी है या नहीं
बुनियादी सवाल यही है कि स्त्री मनुष्य भी है या नहीं
पितृसत्ता के अंतर्गत आम्रपाली के नागरिक और मानवाधिकार के सवाल गैरप्रासंगिक
ब्रहास्त्र का अंतिम लक्ष्य फिर स्त्री का गर्भ है।
सती प्रथा कानूनन निषिद्ध है लेकिन आजीवन सती बने रहने की अनिवार्य शर्त धर्म जाति निर्विशेष नारी की नियतिबद्धता है और मर्यादा और संयम का यावतीय अनुशासन इस पितृसत्ता में स्त्री का एकाधिकार है।
सबिता बिश्वास
वैशाली की नगरवधू की हैसियत से आम्रपाली की नागरिक हैसियत से आज के मुक्तबाजारी गणतंत्र में जीवन के सर्वत्र तेजी से बढ़ रही नारी की पहचान कितनी अलहदा है, इस ज्वलंत प्रश्नचिन्ह को अभी हमने संबोधित नहीं किया है।
हम इस प्रश्न को भी अनुत्तरित छोड़ रहे हैं कि वैशाली की नगरवधू के वजूद से कितनी स्वतंत्र है सर्वत्र पूज्यते नारी इस सनातन भारतवर्ष में।
सर्वव्यापी पितृसत्ता का ईश्वर भी यहां पुरुष है और सारे विधान संविधान पुरुष वर्चस्व के ही पक्षधर है तो बुनियादी सवाल यही है कि नारी मनुष्य भी है या नहीं।
अगर नारी देवी या दासी न हो तो उसे मनुष्य होना चाहिए। मनुष्य अगर नारी है तो उसे मनुष्यता के सारे हक हकूक हासिल होने चाहिए।
मनुष्य अगर नारी है तो उसे नागरिक भी होना चाहिए।
मुक्तबाजारी अर्थव्यवस्था में उत्पादन प्रणाली ध्वस्त है और बतौर उत्पादक और उत्पादन संबंधों के संदर्भ में हम नारी के वर्तमान अवस्थान की जांच पड़ताल शायद ही कर सकें।
एक फीसद से कम जो नारी का प्रतिनिधित्व जीवन के सभी क्षेत्रों में हाईलाइट है और जिसकी चकाचौंध में हम बढ़-चढ़ कर महिला सशक्तीकरण, महिला प्रतिनिधित्व और नारी स्वतंत्रता की बात करते हैं, उसमें उत्पादन प्रणाली और सामाजिक यथार्थ के प्रतिमान और सौंदर्यशास्त्र अनुपस्थित है।
यह दर्पण सर्वव्यापी विज्ञापन निर्भर सेवा क्षेत्र का है, जहां नारी का संपूर्ण वजूद विज्ञापन में तब्दील है। विज्ञापन के आर-पार सिर्फ देह है। कहीं स्त्रीमन नहीं है।
यानी नारी का मतलब है अनिवार्य गोरापन और इस लिहाज से मुक्तबाजार में सांवली काली पीली नीली नारी का संपूर्ण बहिष्कार है।
सांवला सलोना चेहरे को विशुद्ध सौंदर्य प्रसाधन से घिस-घिसकर गोरा बनाये बिना सेवा क्षेत्र में नारी की कोई प्रासंगिकता नहीं है।
सांवली काली पीली नीली नारी के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता सौंदर्य बाजार है, जहां से वह अपनी क्रयशक्ति के मुताबिक सौंदर्यखरीद या उधार ले सकती हैं।
यानी नारी का अस्तित्व उसका अक्षत यौवन है।
सुंदर त्वचा और रंगे हुए बाल से नारी चरित्र की ग्रुमिंग अनिवार्य है ताकि उसकी क्रयशक्ति उसकी देहपूंजी के आधार पर बहाल रहे और इसी क्रयशक्ति के लिए वह निरंतर अपनी देहमुक्ति के बहाने तन मन धन सब-कुछ पितृसत्ता के हवाले कर दें ताकि सही सलामत रहे पितृसत्ता और रक्तधाराओं की विशुद्धता बनी रहे।
नारी की नागरिकता यही स्त्री देह में सीमाबद्ध है।
जैसी कि वैशाली की नगरवधू आमर्पाली के दिलोदिमाग से गणतंत्र को कुछ भी लेना देना नहीं है।उसकी देह सबकुछ है और उस देह के सर्वोत्तम प्रदर्शन की उसकी कला और उसकी दक्षता और पितृसत्ता के प्रति उसका बिना शर्त आत्म समर्पण के अलावा उसका कोई वजूद नहीं है।
उसका जीवन गणतंत्र का मनोरंजन है और उसे अपने मनोरंजन का कोई अधिकार नहीं है। चमक-दमक धुंधलाते ही मेनका, रंभा, उर्वशी सरीखी तमाम अप्सराएं फिर काली आदिवासी औरतें हैं या एसिड की अग्निपरीक्षा का सामना कर चुका बहिष्कृत चेहरा है।
सती प्रथा कानूनन निषिद्ध है लेकिन आजीवन सती बने रहने की अनिवार्य शर्त धर्म जाति निर्विशेष नारी की नियतिबद्धता है और मर्यादा और संयम का यावतीय अनुशासन इस पितृसत्ता में स्त्री का एकाधिकार है।
कानून और संविधान है तो भी स्त्री फिर वही देह है और उसका मन नहीं है और उसकी कोई स्वतंत्रता नहीं है और गणतंत्र फिर अखंड यौनतंत्र है या अनियंत्रित आखेटगाह है,जहां स्त्री का शिकार जायज है और हर पाप के लिए नर्क का द्वार है वही नारी और यह पितृसत्ता का सच है तो न्याय भी।
गणतंत्र जारी रहे, इसके लिए स्त्री देह पर रोज-रोज कुरुक्षेत्र है और महाभारत के अंत में फिर वही विधवा विलाप है।
रोज-रोज चीरहरण है और फिर वही श्रीकृष्ण का सहारा है।
कोई नारी किसी अहिल्या का उद्धार नहीं कर सकती, उसकी पाषाणदेह में मर्यादा पुरुषोत्तम के चरण स्पर्श से ही प्राणसंचार हो सकता है क्योंकि यौन अपराध का उत्तरदायित्व उसी नारी का है। पितृसत्ता के ब्राह्मणत्व निर्दोष है।
पितृसत्ता में पुरुष का कोई यौन अपराध नहीं है। नारी भोग्या है और भोग पुरुष का है।
पारिवारिक कलह हो या सलवा जुड़ुम का दस दिगंत, गृहयुद्ध हो या आफस्पा, सैन्य हस्तक्षेप हो या स्वाधीनता संग्राम, दमन-उत्पीड़न हो या सामाजिक दंड या धार्मिक कर्मकांड या युद्ध हो, सरहदों के आर-पार युद्ध हो, शतरंज की बाजी वही स्त्री है।
ब्रहास्त्र का अंतिम लक्ष्य फिर उसी का गर्भ है।


