मौसम बहुत सुहाना है

तो आ जाओ

कि भेड़ॊं के बाल मूंड़ कर

ऊन बनाना है

धुली हुई कमीज को लेवोजिन से

चमकाना है

शीशे की ऊंची-ऊंची इमारतों में

कम्‍प्‍यूटरों से ढंक जाना है

स्‍टॉक एक्सचेंज में छलांग लगाना है

राजनीति को अंबानी-अडानी के चरणों में

ले जाना है

सोशल मीडिया पर सबको

बहलाना है

लोग अपने मसले खुद ही निपट लेंगे, हमें तो

विधर्मियों को उनकी औकात बताना है

राग भैरवी सुनाना है

ताली और थाली बजाना है

कोरोना को हराना है

पूरी दुनिया में धाक जमाना है

ये हुक्‍काम बहुत सयाना है

यूं कद दरमियाना है

पांव तले सिरहाना है

नीति अनीति का भेद मिटाना है

सबको देशभक्ति का पाठ पढ़ाना है

किसी को नक्सली किसी को आतंकी बताना है

किसानों को बॉर्डर से हटाना है

आम्रपाली के मकानों का

धोनी की नाव में ठिकाना है

हर चीज की एक कीमत होती है

यह मंत्र सदियों पुराना है

आवश्‍यक परंपराएं निभाना है

मौका भी है दस्तूर भी है

लूटकर भरना खजाना है

अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाना है

..तो आ जाओ...

ये वक्‍त की पुकार है

कम्‍पटीशन का जमाना है

घुड़दौड़ में अव्‍वल आना है

धन कमाना है

कैरियर बनाना है

रिश्‍ते नाते सब भूल जाना है

नाचना है, गाना है, रंग लगाना है

होली मनाना है

अहा..मौसम बहुत सुहाना है।

# शैलेन्द्र चौहान

unrecognizable black woman creating colorful dust during holi on embankment
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