ब्राह्मण नहीं बहुजन चाहेंगे तब भी तूटेगी जाति! जाति तोड़ने को कहां तैयार हैं बहुजन? बहुजनों को बदलाव के लिए अभ्यास करना जरूरी है क्योंकि वे गुलामी की नरक में जीने को अभ्यस्त हैं और आजादी की कोई तमन्ना उनमें अब बची भी नहीं है क्योंकि गुलामी का अहसास भी नहीं है।

पलाश विश्वास हस्तक्षेप की मरम्मत जरूरी है और हमारे पास इतने पैसे नहीं है कि फौरण बढ़ी रकम का निवेश करके बेहतर सर्वर लगा लें। अमलेन्द्र ने फतवा जारी किया है कि हस्तक्षेप में लगने से पहले हम कोई कांटेक्ट किसी फॉर्म में शेयर न करें क्योंकि मेरा लिखा सबसे ज्यादा स्पैम मारता है। इसके बावजूद चूंकि हस्तक्षेप में फिलहाल यह सामग्री लग नहीं सकती, तो यह आगे के अन्यथा भी साझा कर रहा हूँ।

हमारे आदरणीय गुरुजी तारेचंद त्रिपाठी पालदर पल सजग सक्रीय हैं और आज भी हमारे प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। वे नहीं होते तो हम हम हरगिज नहीं होते। जाति उनमूलन की प्रक्रिया उनकी बेहतरीन स्पष्टीकरण है जैसा कि उनका ताजा फेसबुक स्टेटस है।

हाल है जाति के स्थान पर वर्ग की प्रतिस्थापन। और देश के शीर्ष पद पर मार्क्सवादी गंधी का चयन। वैचारिक धरातल पर मार्क्सवादी और आचारण में गंधी। ऐसे लोग दुरलब भले ही हों लेकिन अलभ्य नहीं हैं।

पन्त जी यह चीतोपिया भले ही लगे आचारण के रेजिस्ट्रेशन से निकलने का कोई और विकल्प नहीं है। गुरुजी, हम शत-प्रतिशत सही हैं। गुरुजी, हम आपके हजारों कामयाब और सितारे शिक्ष्यों के मुकाबले एकदम सीधे से नाकामयाब नाकामयाब और नाचीज शिक्ष हैं। फिरभी हमने आपको कोई पास में मिस नहीं किया है और आपके हर पास को आजमाने की भरसक कोशिश की है, सामाजिक यथार्थ के मुकाबले। आज भी हम आपकी फेसबुकिया कक्षा में रोज़ हाज़िर रहते हैं कि आपसे ही दिशा-बोध की प्रतिकृक्षा रहती है।