Brahmins of Banaras will teach a lesson to the anti-Brahmin BJP

The Brahmin youth of Banaras have decided to teach the anti-Brahmin BJP a lesson in the Lok Sabha elections.

वाराणसी, 19 अप्रैल 2014 : बनारस के ब्राह्मण युवाओं ने ब्राह्मण विरोधी भाजपा को लोकसभा चुनाव में सबक सिखाने का निर्णय लिया है।

शुक्रवार को वाराणसी के पराड़कर भवन मैदाग्नि में हुए “बचा लो बनारस कार्यक्रम” में बोलते हुए ब्राह्मण युवजन सभा के मुख्य महासचिव अनिल द्विवेदी ने कहा कि अटल जी के नेतृत्व में संगठित ब्राह्मण समाज के सहयोग और राम मंदिर आन्दोलन के सहारे सत्ता में आई भाजपा ने सभी ब्राह्मण नेताओ की घोर उपेक्षा की है ये उपेक्षा अब ब्राह्मण समाज बर्दास्त नहीं करेगा।

द्विवेदी ने कहा कि मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का एलान होते ही मोदी ने उत्तर प्रदेश में भी अपनी ब्राह्मण विरोधी नीति (Modi's anti-Brahmin policy) चला दी। कलराज मिश्र, मुरली मनोहर जोशी, लक्ष्मी कान्त बाजपेयी सबको हाशिये पे खड़ा कर दिया। यहाँ तक कि अटल जी की भतीजी करुणा शुक्ला को भाजपा छोडनी पड़ गयी। अब ब्राह्मण खुद तय करे कि उसका सम्मान कहां सुरक्षित है.....?

उन्होंने कहा कि गुजरात में मोदी का ब्राह्मण विरोधी चेहरा बेनकाब हो चुका है। मोदी सरकार में गृहमंत्री रहे हरेन पंड्या की हत्या को कैसे भूलेगा ब्राह्मण समाज ? पंड्या के भाई और पिता ने खुले तौर पे मोदी को हत्या का प्रमुख आरोपी बताया था मगर सत्ता के बूते वो बच गया। संजय जोशी जैसे कर्मठ नेता को सी डी कांड में फर्जी फंसाया और उनका पूरा राजनीतिक भविष्य चौपट कर दिया। गुजरात कैडर के सिविल सर्विसेज के अधिकारी प्रदीप शर्मा आई पी एस संजीव भट्ट की कहानी किसी से छुपी नहीं है...! अभी-अभी 7 बार से लगातार गुजरात सरकार में सांसद रहे हरेन पाठक का टिकट काटकर मोदी ने ब्राह्मणों के आत्मसम्मान को ललकारा है।

युवा ब्राह्मण नेता ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि ब्राह्मण सिर्फ सम्मान का भूखा है उसकी आन-मान और शान पर आंच आने पर वो परशुराम भी बन जाता है। जिस तरह नन्दराज ने चाणक्य का अपमान किया और बदले में चाणक्य ने कूटनीति से नन्द वंश का सर्वनाश किया। मोदी को ये सबक याद कर लेना चाहिए। ब्राह्मण उपेक्षा मोदी सहित बीजेपी को ले डूबेगी ....।।

उन्होंने आव्हान किया कि ब्राह्मणों अब भी चेत जाओ ये लोकतंत्र का महा पर्व सबक सिखाने के लिए आया है एकजुट होकर उसे वोट दो जिसने प्रोन्नति में आरक्षण का विरोध किया, जिसने सवर्ण आयोग की सिफारिश की, जिसने परशुराम जयंती का अवकाश घोषित किया, जिसने परशु राम जन्मस्थली को तीर्थ के रूप में विकसित करने के लिए करोड़ों अनुदान दिया, जिसने सबसे ज्यादा ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट दिया। अब फैसला आपका!!