ब्रेन स्ट्रोक : तुरंत डाक्टर से जांच कराएं
ब्रेन स्ट्रोक : तुरंत डाक्टर से जांच कराएं

29 अक्टूबर 2017 को है वर्ल्ड स्ट्रोक डे (World stroke day in Hindi)
आजकल की भागदौड़ भरी दिनचर्या और अनहेल्दी लाइफ स्टाइल के चलते ब्रेन स्ट्रोक यानी मस्तिष्क के आघात की बीमारी बेहद आम हो चली है. इसमें दिमाग में अचानक खून का प्रवाह कम हो जाता है या रुक जाता है, जिसके चलते दिमाग के ऊतक या तो खत्म हो जाते हैं या इसकी वजह से पैरालिसिस या पक्षाघात हो जाता है. यह बीमारी इतनी तेजी से फैल रही है कि आज मस्तिष्काघात दुनियाभर में मौतों की तीसरी सबसे बड़ी वजह बन चुका है. अमेरिका में स्ट्रोक ही मौत का तीसरा कारण है.
किसी भी इंसान के जीवन की आजादी छीन सकता है स्ट्रोक
नई दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के न्यूरो एंड स्पाइन डिपाटमेंट के डायरेक्टर डा.सतनाम सिंह छाबड़ा का कहना है कि दरअसल, ब्रेन स्ट्रोक तब होता है जब दिमाग यानी मस्तिष्क रक्त प्रवाह अवरूद्ध हो जाता है. दिमाग तक कम या अवरूद्ध रक्त प्रवाह होने से दिमाग की नसें नष्ट हो जाती हैं जिससे मस्तिष्क तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है. स्ट्रोक के बारे में जानने के लिए दिमाग के बारे में बारीकी से जानना आवश्यक है.
मस्तिष्क चार भागों में बंटा होता है : -
दायां भाग
बायां भाग
सेरेबेलम
ब्रेन स्टेम
दायां भाग
यह भाग शरीर के दायें भाग, शॉर्ट टर्म मेमोरी व आकलन करने की क्षमता जैसे दूरी, आकार, गति, अवस्था आदि नापने की क्षमता को नियंत्रित करता है.
बायां भाग : -
यह शरीर के बायें भाग, बोल-चाल, भाषा, यादाश्त आदि को नियंत्रित करता है.
सेरेबेलम : -
यह शरीर के बैलेंस और कोओर्डिनेशन को नियंत्रित करता है.
ब्रेन स्टेम : -
यह भाग जीवन रक्षक प्रणाली जैसे सांस लेना
रक्त चाप
धडकन
आंखों की मूवमेंट
सुनना
बोलना
निगलने की प्रक्रिया आदि को नियंत्रित करता है.
तो, दिमाग के जिस भाग की कोशिकाओं में रक्त प्रवाह कम होता है, उससे संबंधित क्रियाओं पर दुष्परिणाम होता है.
इसी तरह स्ट्रोक को भी दो भागों में विभाजित किया जा सकता है जैसे -पहला, जो कि रक्त प्रवाह के अवरोध से होता है.
दूसरा जो कि रक्त स्राव से होता है.
स्ट्रोक का बड़ा कारण है दिमाग या गले में किसी भी नस का अवरूद्ध होना
दिमाग या गले में किसी भी नस के अवरूद्ध होने से हालांकि मौत नहीं होती लेकिन यह स्ट्रोक का बड़ा कारण है और 80 प्रतिशत ब्रेन स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार भी. इन अवरोधों के उभरने के तीन कारण हो सकते हैं.
पहला : -
दिमाग या गले कि किसी भी नस में गांठ बनना, इस प्रक्रिया को थ्रोम्बोसिस कहा जाता है.
दूसरा : -
इस गांठ का दूसरे अंग जैसे हार्ट, गले या दिमाग तक फैलने की प्रक्रिया को एंबोलिज्म कहा जाता है.
तीसरा : -
किसी भी कोशिका के पतले होने की प्रक्रिया को स्टेनोसिस कहा जाता है.
दिमाग में या दिमाग के आस-पास रक्त स्राव होने की प्रक्रिया भी स्ट्रोक पैदा करती है और इसे हीमोरेजिक स्ट्रोक कहते हैं.
स्ट्रोक के लक्षण | Stroke symptoms in Hindi
चेहरे, पैर, हाथ या शरीर के एक हिस्से का अचानक से सुन्न हो जाना.
किसी भी प्रकार से बोलने, सुनने या समझने में तकलीफ
चलने, खड़े होने, बैलेंस या किसी प्रकार के कोर्डिनेशन में दिक्कत होना.
अचानक से सिर में बिना कारण तेज दर्द
दोहरा दिखाई देना.
उल्टी जैसा मन होना और चक्कर आना
डा.छाबड़ा का कहना है कि कई बार ये लक्षण प्रकट होकर कुछ संकेडों में समाप्त हो जाते हैं. इन्हें ट्रांसिएंट इसमिक अटैक या मिनी स्ट्रोक कहा जाता है. हालांकि ये छोटे लक्षण शरीर के अंदर छिपी हुई किसी ऐसी बड़ी समस्या का संकेत देते हैं जो कि बिना डॉक्टरी जांच के ठीक नहीं हो सकती.
लेकिन जब तक समस्या नियंत्रण के परे न चली जाए लोग इनकी तरफ ध्यान नहीं देते हैं.
स्ट्रोक हर उम्र की महिलाओं व पुरुषों को हो सकता है. इसके अलावा ये किसी भी रेस और देश के लोगों को हो सकता है ये गर्भ में पल रहे अजन्मे बगो को भी हो सकता है.
स्ट्रोक का अधिक खतरा : -
उच्च रक्तचाप
सिग्रेट पीना, शराब
हार्टडिसीज
कभी-कभार स्ट्रोक आना
मधुमेह
मोटापा
कोलेस्ट्रोल
ड्रग लेना
निदान: -
असली समस्या का निदान एमआरआई, सीटीस्कैन, एंजियोग्राफी के द्वारा किया जा सकता है.
प्रस्तुति: प्रेमा राय (सम्प्रेषण)


