हमारा भाजपा आरएसएस से जो विरोध है वो इसलिए भी है कि वो भारत को पाकिस्तान बनाना चाहते हैं

आलोक वाजपेयी

पाकिस्तान।

पाकिस्तान एक अलग राष्ट्र है जिसका अलग राष्ट्र बनना मोहम्मद अली जिन्नाह और मुस्लिम लीग की धुर साम्प्रदायिकता का परिणाम था। इसमें, इसके निर्माण में हिन्दू साम्प्रदायिकता का भी हाथ था जो मुस्लिम लीग की तरह ही सोचते थे कि हिन्दू मुसलमान दोनों अलग अलग राष्ट्र हैं ही।
1924 में सावरकर की two nation theory सब जानते हैं।
मैं जिन्नाह को सबसे ज्यादा जिम्मेदार मानता हूँ क्योंकि वो सारा खेल जानबूझकर खेल रहे थे।

यह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की कमजोरी रही कि वो इन सब का पूरा मुकाबला न कर पाए और एक फौरी नियति की तरह बंटवारा स्वीकार कर लिया।

जिन्नाह ने बंटवारे के बाद पाकिस्तान को एक सेक्युलर देश करने की कोशिश की लेकिन कहावत है ना कि बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय।
तो पाकिस्तान को एक असफल राष्ट्र होना ही था जो वह है।
राष्ट्रीय आंदोलन भले ही उस समय भारी मार काट के आगे झुक गया, लेकिन फिर भी उसके नेता भारत को एक सेक्युलर देश बना सके और आज भी साम्प्रदायिकता भारत में एक गाली ही बना हुआ है। यहां तक कि भाजपा जैसी धुर साम्प्रदायिक पार्टी भी खुद को सांप्रदायिक नहीं कहलाना चाहती, बल्कि सेकुलरिज्म का लबादा रखने की जुगत उसे भी करनी पड़ती है।
क्या पाकिस्तान नरक है?
पाकिस्तान की शासन व्यवस्था, वहां का निजाम निश्चित ही पाकिस्तान को गर्त में ले जा चुका है और आगे भी वो उसी दिशा में बढ़ने के लिए अभिशप्त है। क्योंकि उसकी बुनियाद ही एक विकराल झूठ पर टिकी है।

लेकिन,
कोई भी देश नरक नहीं होता।
भारत के लोगों का पाकिस्तान के लोगों, वहां की अवाम, शहर, भूगोल सबसे एक दिली जुड़ाव है। क्योंकि दोनों का साथ-साथ रहने, साथ-साथ जीने मरने का हजारों साल का इतिहास है, यादें हैं,साझी परम्पराएं हैं।

इन अर्थो में पाकिस्तान में जो लोग रहते हैं वो हमारे भाई बहन मित्र ही हैं।

कोई भी जो पाकिस्तान जाता है उसे कोई दुराव नहीं लगता और वहां के शहर आबोहवा सब यहां जैसा ही है। एक अपनापन है।

अगर उत्तर भारत का कोई शख्स दक्षिण भारत जाये तो भले उसे कुछ दूरी लगे, लेकिन आप अगर लाहौर, कराची जा सकें तो लगेगा कि अरे ये तो दिल्ली, लखनऊ, पटना ही है।

नक़्शे पर लकीरें खींच देने मात्र से देश नहीं बनते।

देश प्यार मोहब्बत अपनापन से बनते हैं।

हमारा भाजपा आरएसएस से जो विरोध है वो इसलिए भी है कि भारत की शासन व्यवस्था पाकिस्तान जैसी न हो जाये।