भाजपा के नाराज नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला जारी
भाजपा के नाराज नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला जारी
चौ. वीरेंद्र सिंह, न कांग्रेस के रहे न भाजपा ने अहमियत दी
कमलजीत अविनाशी
चंडीगढ़। अपने अच्छे दिनों की बाट जोह रहे भाजपा के कर्इं नेताओं को इस बार आस थी कि पार्टी अबकि बार उन्हें चुनावी मैदान में अवश्य उतारेगी क्योंकि उन्होंने पार्टी के लिये कर्इं-कर्इं वर्षों से काम किया है। जिस तरह विधानसभा चुनावों में टिकट की लालसा लेकर अन्य राजनीतिक दलों के नेता भाजपा में शामिल हुए थे ठीक उसी प्रकार टिकट न मिलने से नाराज भाजपा के कई नेता एवं कार्यकर्ता दूसरी पार्टियों में अपना विकल्प ढूंढने लगे हैं। अभी तक कई कद्दावर नेता भाजपा छोड़ इनेलो व हजकां सहित कई पार्टियों में शामिल हो चुके हैं और पार्टी छोड़ने का यह सिलसिल अभी जारी है। टिकट वितरण के बाद भाजपा में उठे बगावत के सुर थमने का नाम नही ले रहे हैं।
शायद ही कोई ऐसा विधानसभा क्षेत्र बचा हो जहां टिकट वितरण के बाद विरोध के स्वर न गूंजे हों। यहां तक कि विरोध के चलते पदों से इस्तीफों का दौर भी शुरू हो गया है। कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन भी हुए और पार्टी हाईकमान के पुतले भी फूंके गये। जहां कालका विधानसभा सीट से लतिका शर्मा को टिकट दिए जाने का विरोध हो रहा है और पदाधिकारियों ने विरोध स्वरूप अपने इस्तीफे भी जिला अघ्यक्ष विशाल सेठ को भेज दिऐ हैं वहीं अंबाला शहर विधान सभा सीट से टिकट न मिलने से नाराज भाजपा प्रदेश सचिव जसबीर मल्लौर के साथ करीब आधा सैंकडा पदाधिकारियों व ब्लॉक लेवल असिसटेंट -2 के 88 पदाधिकारियों ने भी अपने इस्तीफे दे दिये हैं।
भले ही भाजपा संगठन मंत्री सुरेश भट्ट यह मान रहे हैं कि इस बवाल को शीघ्र ही शांत कर लिया जाएंगा लेकिन जिस तरह से विरोध पनप रहा है उससे विधानसभा में भाजपा प्रत्याशियों की जीत की डगर आसान नहीं है। क्योंकि टिकट न मिलने से नाराज कर्इं भाजपाईयों ने तो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी ताल ठोकने का मन बना लिया है और इसकी वे घोषणा भी कर चुके हैं।
कई जगहों पर तो टिकट बदलने के लिये भाजपा कार्यकर्ताओं ने हाईकमान को 25 सितंबर तक का अल्टीमेटम भी दिया है। भाजपा से बागी हुए कर्इं लोगों ने बाकायदा अपना शक्ति प्रदर्शन भी किया और हर हाल में चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी। भिवानी जिला के लोहारू विधानसभा क्षेत्र से टिकट न मिलने से नाराज पूर्व मंत्री बहादुर सिंह तो भाजपा छोड़ हजकां के ट्रैक्टर पर सवार हो गये हैं और हजकां ने भी उनको टिकट देने का मन बना लिया है । उधर बहादुरगढ़ से पूर्व विधायक नफे सिंह राठी तो पहले ही भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। जींद से भाजपा की टिकट मांग रहे बृजमोहन सिंगला भी भाजपा पर धोखा देने का आरोप लगा चुके हैं। भाजपा विधायक रहे नरेश मलिक भी पार्टी टिकट न मिलने से काफी नाराज हैं। मलिक बेरी से टिकट मांग रहे थे और उन्होंने अब निर्दलीय तौर पर चुनाव लडने का मन बना लिया है। उधर कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले चौधरी बीरेन्द्र सिंह को भी भाजपा ने करारा झटका दिया है। उन्होंने भाजपा से अपने समर्थकों के लिये 40 सीटों की मांग की थी लेकिन पार्टी ने उनकी पत्नी समेत कुल चार ही सीटें दी हैं। सूत्रों की मानें तो बीरेन्द्र के कर्इं समर्थक भी भाजपा से खासे नाराज चल रहे हैं।
पंचकूला जिला की कालका सीट से लतिका शर्मा को टिकट दिए जाने के बाद यहां भी जबरदस्त विरोध पैदा हो गया है। यहां से विभिन्न प्रकोष्ठों के नाराज पदाधिकारियों ने अपने पदों से इस्तीफे दे दिये हैं। इन पदाधिकारियों का आरोप है कि उन्होंने किसी स्थानीय को टिकट देने की मांग की थी लेकिन हाईकमान ने उनकी मांग को दरकिनार करते हुए पैराशूट प्रत्याशी को उन पर थोंप दिया है जिसे वह कभी सहन नही करेंगे। माना जा रहा है कि यदि यहां से पार्टी ने प्रत्याशी को नही बदला तो ये भाजपाई पार्टी छोड़ इनेलो में शामिल हो सकते हैं। उधर बराड़ा में भी बाहरी प्रत्याशी उतारने से वहां के स्थानीय भाजपाईयों में जबरदस्त गुस्सा है। अब प्रत्याशियों की अंतिम सूची के बाद पार्टी में जो बगावत का बबाल मचा है पार्टी उसे शांत कर पाऐगी या नही यह तो समय ही बताऐगा लेकिन इतना जरूर है कि यदि पार्टी ने इसे गंभीरता से नही लिया और इसे शांत नही किया तो विस चुनावों में भाजपा को इसका खमियाजा भुगतना पड़ सकता है।


