जगदीश्वर चतुर्वेदी

पीएम नरेन्द्र मोदी की सबसे बड़ी असफलता यह है कि वे समर्थ संघीनेता होने बावजूद भाजपा को एक दक्षिणपंथी स्वायत्त दल नहीं बना पाए। भाजपा और उसके पहले जनसंघ की यह बुनियादी मुश्किल रही है कि इनके पास दल तो है लेकिन देश के लिए नीतियां नहीं हैं। नीतियों के नाम पर भाजपा जिन नीतियों का पालन कर रही है वे सारी नीतियां कांग्रेस की हैं, इनमें से एक भी नीति उनकी नहीं है। भाजपा चुनाव जीत रही है अपार बहुमत के साथ सरकारें भी बना रही है लेकिन कभी कोई नई नीति पेश नहीं कर पायी। मोदी आए थे तो यह उम्मीद बनी थी कि भाजपा मुकम्मल दक्षिणपंथी राजनीतिक दल बनेगा लेकिन अफसोस यह कि वह स्वतंत्र दक्षिणपंथी दल न बनने की बजाय रंगे सियार की तरह आचरण कर रहा है उसके राजनीतिक एक्शन आरएसएस के होते हैं और सरकारी एक्शन कांग्रेसी होते हैं। इसने भाजपा और उसके नेताओं की विलक्षण छवि बनायी है, वे जीते हैं आरएसएस को सरकार में काम करते हैं कांग्रेसियों के।

मोदीजी भाजपा को कांग्रेस की नीतियों के मकड़जाल से बाहर निकालकर ले जाएं तो कम से कम भाजपा की बड़ी मदद करेंगे।

देश में कांग्रेस है, सोशलिस्ट हैं, वामदल हैं, कम्युनिस्ट हैं और इनकी अलग-अलग नीतियां हैं, लेकिन भाजपा अकेला ऐसा दल है जिसकी कोई अपनी नीति नहीं है वह कांग्रेस की नीतियों पर संघ का आवरण चढ़ाकर काम करता रहा है और यह उसकी नीतिहीनता का आदर्श प्रमाण है। अभी भी समय है भाजपा कुछ अलग सोचे, अलग से नीतियां बनाए तो बात बने।