भाजपा मुस्लिम पर्सनल लॉ, तीन तलाक, कॉमन सिविल कोड पर घिनौनी राजनीति कर रही-मायावती
भाजपा मुस्लिम पर्सनल लॉ, तीन तलाक, कॉमन सिविल कोड पर घिनौनी राजनीति कर रही-मायावती
भाजपा मुस्लिम पर्सनल लॉ, तीन तलाक, कॉमन सिविल कोड पर घिनौनी राजनीति कर रही-मायावती
नई दिल्ली, 25 अक्टूबर 2016: बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी की सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ, तीन तलाक व कॉमन सिविल कोड आदि के मुद्दों को लेकर नया विवाद खड़ा करके इसकी आड़ में भी घिनौनी राजनीति शुरू कर दी है।
आज यहाँ जारी एक वक्तव्य में मायावती ने कहा, “अपना भारत देश विभिन्न धर्मो, जातियों, संस्कृति व भाषाओं आदि पर आधारित ’’अनेकता में एकता’’ की एक अलग ज़बर्दस्त पहचान रखने वाला एक ऐसा देश है जहाँ लोग सदियों से अपने कि़स्म-कि़स्म की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपने-अपने रीति-रिवाज, परम्पराओं आदि में विश्वास रखकर अपना जीवन बसर करते चले आ रहे हैं और इन सारी बातों के मानवीय पहलूओं को पूरे तौर से ध्यान में रखकर ही परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने देश के संविधान में इसकी व्यवस्था की और ख़ासकर मज़हबी आज़ादी अर्थात ’’धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार’’ को प्रमुखता दिया, जिस कारण ही अपने देश का संविधान दुनिया का अनूपम संविधान बना, जिसके मूल में निहित पवित्र भावना के साथ इसका अक्षरशः अनुपालन करना देश व जनहित में बहुत जरूरी है।“
बसपा नेत्री ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 25 स्पष्ट तौर पर यह गारण्टी देता है कि: ’’सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता व समान हक़ होगा।’’
लेकिन बड़े दुःख की बात है कि जबसे केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है तबसे भाजपा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) के संकीर्ण, साम्प्रदायिक व कट्टरवादी एजेण्डे को किसी-न-किसी रुप में देश के लोगों के ऊपर थोपने में लगी हुई है। इसी कारण जनहित एवं जनकल्याण के लिये पूरी तरह से ग़ैर-जरूरी ऐसे नये-नये विवादित मुद्दों को खड़ा कर रही है जिससे समाज में तनाव व दहशत पैदा होने के साथ-साथ कि़स्म-कि़स्म की भ्रान्तियाँ लोगों में पैदा हो रही हैं और इससे देश की एकता व अखण्ता भी कमज़ोर होती हुई नज़र आ रही है।
बसपा सुप्रीमो ने की इतना ही नहीं बल्कि आर.एस.एस. के विभाजनकारी व विघटनकारी एजेण्डे के तहत ही उसकी अपनी संकीर्ण राजनीतिक व धार्मिक आस्था व परम्पराओं के संदर्भ में पहले ’’गौरक्षा’’ के नाम पर देश भर में मुस्लिम समाज के लोगों पर अनेको प्रकार की जुल्म-ज़्यादती व क़ानून को खुलेआम अपने हाथ में लेकर उनकी हत्यायें की गयी व उन्हें आतंकित व भयभीत करने का प्रयास किया गया और उसके बाद उसी ’’गौरक्षा’’ के नाम पर दलितों को अपना शिकार बनाया जा रहा है, जिसका ज्वलन्त उदाहरण गुजरत का बर्बर ऊना व बनासकाँठा काण्ड, झारखण्ड राज्य की अनेक दर्दनाक घटनायें, हरियाणा के मेवात का बिरयानी उत्पीड़न व बलात्कार काण्ड, दादरी काण्ड आदि घटनायें हैं।
उन्होंने कहा कि अब ताजा विवाद में मुस्लिम पर्सनल लॉ व तीन तलाक़ के शरीयत से सम्बंधित अत्यन्त ही संवेदनशील कामन सिविल कोड (एक समान नागरिक संहिता) के मसले को छेड़ दिया गया है। इससे पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय व दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के ’अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान’ होने का दर्जा छीन कर एक सुलझे हुये मामले को दोबारा से विवाद पैदा कर दिया है।
बसपा नेत्री ने कहा कि वास्तव में उत्तर प्रदेश व देश के कुछ अन्य महत्वपूर्ण राज्यों में भी शीघ्र ही होने वाले विधानसभा आमचुनाव से पहले भाजपा व केन्द्र में उनके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लाँ, तीन तलाक व कामन सिविल कोड आदि के मुद्दों को लेकर नया विवाद खड़ा करके इसकी आड़ में भी घिनौनी राजनीति शुरू कर दी है, जिसकी बी.एस.पी. कड़े शब्दों में निन्दा करती है। अर्थात् तीन तलाक के मुद्दे पर केन्द्र सरकार व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को इसमें अपना कोई भी दखल देने की बजाय, यह मामला मुस्लिम समाज में ‘‘आमराय‘‘ बनाने पर ही छोड़ देना चाहिये, तो यह बेहतर होगा।
सुश्री मायावती ने कहा कि किसी भी धर्म के किसी भी मुद्दे को लेकर उठे सवाल पर यह बेहतर होगा कि उस धर्म को मानने वाले लोग ही उस पर अपनी ’’आमराय’’ बनायें और मुस्लिम पर्सनल लाँ व तीन तलाक़ एवं समान नागरिक संहिता आदि के मामले को भी इसी प्रकार के नज़रिये से देखा जाना ही उचित व न्यायोचित प्रतीत होता है। लेकिन उन पर आर.एस.एस. के एजेण्डे के हिसाब से चलकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अन्य किसी भी धर्म के लोगों पर अपनी कोई भी सोच या अपना कोई भी फैसला थोपना बिल्कुल भी उचित नहीं है और इस प्रकार मुस्लिम समाज के धर्म व उनकी शरीयत से सम्बंधित मामलों में भाजपा व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को घिनौनी राजनीति व ख़ासकर चुनावी राजनीति नहीं करना चाहिये। यह अनुचित व देशहित में कतई नहीं है तथा अति-निन्दनीय है।


