भाजपा : सत्ता भी न मिलेगी और रूठेंगे राम
भाजपा : सत्ता भी न मिलेगी और रूठेंगे राम

भाजपा : सत्ता भी न मिलेगी और रूठेंगे राम
राजनीति को जोकरों का खेल मानती है भाजपा !
लगता है भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने यह तय मान लिया है कि उत्तर प्रदेश में उसे अब सत्ता में नहीं आना है और अगर ऐसा नहीं है तो वह राजनीति को जोकरों का खेल मानती है। पार्टी के बड़े नेताओं और मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों की अनुपस्थिति में जारी किया गया उसका घोषणापत्र - BJP election manifesto ( उसकी लफ्फाजी वाली भाषा में संकल्प पत्र) देख कर तो यही लगता है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र और मुख्तार अब्बास नकवी, उमा भारती, राष्ट्रीय महासचिव एवं केंद्रीय प्रभारी नरेन्द्र सिंह तोमर, पार्टी विधानदल के नेता ओमप्रकाश सिंह तथा वरिष्ठ नेता सुधीन्द्र कुलकर्णी ने ‘हमारे सपनों का उत्तर प्रदेश, सर्वोत्तम उत्तर प्रदेश’ शीर्षक से पार्टी का जो घोषणा पत्र जारी किया है, वह अचंभे में डालने वाला और खासा मसखरा किस्म का है। भाजपा को चुनाव आते ही हर चुनाव की तरह फिर रामलला याद आ गए हैं। पार्टी अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने घोषणापत्र जारी करते हुए कहा था - अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण देश के करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम राष्ट्र की अस्मिता, गौरव और गरिमा के प्रतीक हैं, मगर खेद की बात यह है कि कांग्रेस, सपा, बसपा और वामपंथियों की छद्म धर्मनिरपेक्षता तथा वोट बैंक की राजनीति के कारण इसका विरोध हो रहा है। भाजपा राममंदिर निर्माण के मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने के लिए वचनबद्ध है।
अब भाजपा का राम को याद करना कई सवालों को जन्म देता है। मसलन इससे पहले भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार प्रदेश में रह चुकी है। तीन-तीन स्वयंसेवक कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। आखिर कौन से कारण थे कि पार्टी उस समय राम मंदिर निर्माण के मार्ग में आने वाली सभी बाधाएं दूर नहीं कर सकी? इसी में नया सवाल यह उठता है कि आखिर अब कौन सी नई बात हो जाएगी कि वह सत्ता में आने पर इन बाधाओं को दूर कर देगी? आखिर भाजपा नेतृत्व को इन सवालों के जवाब तो देने ही होंगे। पहले भी भाजपा हर चुनाव में राम को याद करती रही है और बाद में राम को भूलती रही है। केंद्र में जब भाजपा की सरकार थी तब वह कहती थी कि उसे पूर्ण बहुमत चाहिए तभी वह इन बाधाओं को दूर कर पाएगी। लेकिन उसका यह तर्क सिर्फ एक बहाना भर साबित हुआ है वरना लोग जानते हैं कि पूर्ण बहुमत न होते हुए भी उसने जिस तरह से विवादास्पद पोटा बिल पारित करवाया था यदि वह चाहती तो उसी तरह मंदिर भी बनवा सकती थी। परन्तु लगता यही है कि मंदिर बनवाना उसकी प्राथमिकता नहीं है बल्कि मंदिर के नाम पर भावनाएं भड़काकर सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाना और राम को राजनीति में हथियार की तरह प्रयोग करना उसका शगल बन गया है।
हां इस बहाने इतना जरूर हुआ कि भाजपा का पुनः अयोध्या और राममंदिर पर लौटना देश की राजनीति के एक बार फिर हिंसक और नरभक्षी होने के खतरनाक संकेत दे रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही मोहन भागवत 6 दिसंबर 1992 को भूल जाने का वक्तव्य दे रहे थे और अब भाजपा अयोध्या लौटना चाहती है? सवाल तो यह भी है कि जब यह मसला अदालत के सामने विचारधीन है तो उसे भाजपा चुनावी मुद्दा क्यों बना रही है? क्या यह अदालत की अवमानना नहीं है? जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ का रामजन्मभूमि/बाबरी मस्जिद विवाद में फैसला आया था उस समय तो भाजपा, राम से ज्यादा अदालत में आस्था दिखा रही थी! एक और सवाल खड़ा होता है कि आखिर वह राममंदिर बनवाना कहां चाहती है? लोगों को याद होगा कि जब बाबरी मस्जिद शहीद की गई थी उस समय भाजपा नेताओं ने तर्क दिया था कि वहां मस्जिद थी ही नहीं, ढांचा था और वहां तो मंदिर है, रामलला की पूजा हो रही है। आज उसे कौन सा मंदिर याद आ गया? क्या जहां रामलला विराजमान हैं वहां मस्जिद थी, इस बात को भाजपा ने स्वीकार कर लिया है? फिर आम जनमानस की आंखों में धूल क्यों झोंकी जा रही है?
Cow will be given to BPL families- BJP
पार्टी के संकल्प पत्र में एक और अजीबोगरीब वायदा किया गया है कि बीपीएल परिवारों को गाय दी जाएगी। देखने में तो वायदा बहुत अच्छा है लेकिन पार्टी यह भी तो बताए कि यह बीपीएल परिवार जिन्हें खुद रहने को एक अदद छत मयस्सर नहीं है वे इस गाय को बांधेंगे कहां पर? फिर इतनी बड़ी संख्या में गायें आएंगी कहां से? क्या गाय, कंप्यूटर की तरह ही किसी कारखाने में बनाई जाएंगी? पार्टी के घोषणापत्र में ऐसी ही कई हंसी ठिठोली की गई हैं। इसी तरह घोषणापत्र में आधुनिकता और धर्म की कूपमण्डूकता का तालमेल बैठाने की जबर्दस्त कलाबाजी दिखाई गई है। इस कलाबाजी में लगता है कि उसे सत्ता तो नहीं ही मिलनी है बल्कि राम भी नाराज़ हो जाएंगे। एक तरफ तो पार्टी गाय मुफ्त में बांटेगी और हिन्दुत्व का राग अलापेगी तो दूसरी ओर मुफ्त में कंप्यूटर भी बांटेगी और तीर्थ स्थानों को डिज़्नीलैण्ड बनाएगी! है न गजब की मसखरी!
भाजपा गुजरात को अपना रोल मॉडल मानती है और वहां के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार भी हैं। तमाशा यह है कि गुजरात में पिछले आठ सालों से लोकायुक्त नहीं है और जब राज्यपाल ने वहां लोकायुक्त नियुक्त कर दिया तो मोदी सरकार अदालत चली गई। गुजरात में लोकायुक्त का विरोध करने वाली भाजपा, उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने पर सरकारी विभाग के कामकाज में सिटीजन चार्टर लागू करने और भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए लोकायुक्त संगठन को और शाक्तिशाली बनाने तथा मुख्यमंत्री को भी उसके जांच दायरे में लाए जाने का वादा कर रही है।
Will generate one crore jobs in the state in five years - BJP
पार्टी ने वायदा किया है कि वह पांच सालों में प्रदेश में एक करोड़ रोज़गार सृजित करेगी। उसका यह वायदा भी लोगों के गले उतर नहीं रहा है। केंद्र में जब राजग सरकार थी तब भी वायदा किया गया था कि राजग हर साल एक करोड़ रोज़गार देगा। लेकिन हुआ इसका उल्टा। रोज़गार देने के बजाए राजग सरकार में रोज़गार छीने गए। सरकार के खर्च में कटौती के नाम पर हर साल सरकारी नौकरियां कम की गई थीं। इसी तरह जब उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार थी तब प्रदेश में सरकारी नौकरियों में भर्ती पर प्रतिबंध लगाया गया था। घोषणापत्र में रोजगार पाने से वंचित युवकों को हर महीने दो हजार रुपये का बेरोजगारी भत्ता देने का वादा भी किया गया है। लेकिन यह वायदा पूरा कैसे किया जाएगा इस पर कोई प्रकाश नहीं डाला गया है। उत्तर प्रदेश में अपनी पिछली सरकारों के दौरान पार्टी कभी भी लाभ का बजट पेश नहीं कर पाई और हमेशा घाटे का ही बजट पेश किया। ऐसे मे यह सवाल उठना लाजिमी है कि ऐसे लोकलुभवान वादे पार्टी पूरे कैसे करेगी? इसीलिए यह शक गहराता जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व यह तय कर चुका है कि उसे सत्ता नहीं मिलनी है इसलिए ऊटपटांग वायदे करके हंसी ठिठोली ही कर ली जाए।
Commission to investigate Maya government scams, memorials of Maya will be restructured : BJP
इसी तरह पार्टी ने कहा है कि माया सरकार के घोटालों की जांच को आयोग बनेगा, माया के स्मारकों की पुनर्रचना की जाएगी। उसकी इस घोषणा पर भी हैरानी ही हो रही है। मायावती उत्तर प्रदेश की तीन बार मुख्यमंत्री उसके सहयोग से ही बनी हैं और उसके राष्ट्रीय नेता किरीट सोमैया जब पूर्व बसपा नेता बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर लोकायुक्त को शिकायतों का पुलिन्दा सौंप रहे थे उसके चार दिन बाद ही कुशवाहा पार्टी में शामिल कर लिए गए। इतना ही नहीं एक बड़े भाजपा नेता तो कह डाला था कि भाजपा गंगा है जिसमें गंदे नाले मिलकर पवित्र हो जाते हैं! क्या भरोसा कि पार्टी जिन मायावती के घोटालों की जांच का वायदा कर रही है वे मायावती भी आने वाले कल को उसकी गंगा में डुबकी लगाती नज़र आएं!
अमलेन्दु उपाध्याय


