राष्ट्रवाद को हर व्यक्ति के स्वाभिमान और अधिकार प्रदान करने की व्यवस्था के रूप में विकसित होना होगा न कि लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनने और शोषण को बनाये रखने वाली व्यवस्था के रूप में : प्रो. मनोरंजन मोहंती
जन विचार मंच के तत्वावधान में ‘राष्ट्रवाद की बदलती अवधारणा और लोकतांत्रिक अधिकार’ विषयक सेमिनार आयोजित
लखनऊ। जन विचार मंच के तत्वावधान में आजएक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रेस क्लब सभागार में आयोजित इस संगोष्ठी का विषय ‘राष्ट्रवाद की बदलती अवधारणा और लोकतांत्रिक अधिकार’ था। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर रहे मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रो. मनोरंजन मोहंती थे।

अध्यक्षता लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. रमेश दीक्षित ने की तथा संचालन का कार्य प्रो. नदीम हसनैन ने संभाला।
संगोष्ठी में बोलते हुए प्रो. मोहंती ने कहा कि राष्ट्रवाद को हर व्यक्ति के स्वाभिमान और अधिकार प्रदान करने की व्यवस्था के रूप में विकसित होना होगा न कि लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनने और षोशण को बनाये रखने वाली व्यवस्था के रूप में हो।
उन्होंने कहा कि ये बेहद खतरनाक दौर है जब एक ओर जनतांत्रिक अधिकारों के ऊपर हमला किया जा रहा है। भारत के अन्दर राष्ट्रवाद की छद्म परिभाषाएं विकसित की जा रही हैं , जिनका उद्देष्य लोगों को शोषण के खिलाफ होने वाली लड़ाई से अलग रखा जा सके और लोगों को बांटकर अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूर्ण किया जा सके। भारतीय राष्ट्रवाद की अवधारणा को नये तरीके से व्याख्यायित किया जा रहा है। हाल के दिनों सत्तारूढ़ दल का राष्ट्रवाद के प्रति मोबलाइजेशन जिस तरह से बढ़ा है, वह राष्ट्रवाद राष्ट्र की एकता और अखण्डता को खंडित और कमजोर करने वाला है। ऐसा पहले भी होता रहा है कि सत्तारूढ़ दल राष्ट्रवाद को अपने हिसाब से गति देते रहे हैं, लेकिन वह राष्ट्र की अवधारणा के अनुरूप ही होता था।
प्रो. मोहंती ने राष्ट्रवाद के पहलुओं पर विस्तार से बात करते हुए बताया कि राष्ट्रवाद स्वाभिमान और पहचान के साथ-साथ राजनीतिक सत्ता को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए इस्तेमाल करने की भावना है। इसको किसी एक विशेष व्यक्ति, जाति, समूह, धर्म या भाषा के आधार पर न तो समझा जा सकता है और न ही उसको दबाव के आधार पर लागू किया जा सकता है। राष्ट्रवाद का पहला कर्तव्य है कि वह लोगों की सृजनशीलता को पूरी तौर से इस्तेमाल करते हुए समान रूप से सभी के ऊपर लागू करने की दिशा में बढ़े।

फासीवाद की साजिशों को समझना होगा
अध्यक्ष के रूप में बोलते हुए प्रो. रमेश दीक्षित ने कहा कि यह वह दौर है जिसमें हमें फासीवाद की साजिशों को समझना होगा और उनके खिलाफ आम जनता की व्यापकतम एकता बनाकर हर कदम पर लड़ना होगा। यह लड़ाई केवल राजनीतिक क्षेत्र से नहीं लड़ी जा सकती, इसके लिए हमें सामाजिक और सांस्कृतिक आधार पर ही लड़ना होगा।