जुझारू समाजवादी सुनील अमर रहे
जगदीश्वर चतुर्वेदी
सुनील गुप्ता के अकस्मात हमारे बीच से चले जाने की ख़बर अभी फ़ेसबुक पर पढ़ी। मन को बेहद दुख हुआ। मैं सुनील को तब से जानता हूँ जब वह जेएनयू पढ़ने आए थे। हम दोनों सतलज में रहते थे। रोज़ का मिलना और तरह- तरह के विषयों पर आदान-प्रदान आदत बन गयी थी। सुनील मेरे साथ 1980-81 में छात्रसंघ में कौंसलर रहे। सुनील के जीवन का हिंदी-प्रेम मुझे बेहद अपील करता था, साथ ही उनकी सादगी को मैं मन ही मन सराहता था और उनको अनेक बार कहता भी था कि आपके समाजवादी विचार और सादगी को हर नागरिक को सीखना चाहिए।

सुनील अपने समाजवादी आदर्शों और ग़रीबों के लिए काम करने की प्रतिबद्धता के लिए हम सभी मित्रों में सम्मान की नज़र से देखे जाते थे। शानदार अकादमिक रिकॉर्ड के बावजूद सुनील ने ग़रीबों की सेवा करने का फ़ैसला करके युवाओं में मिसाल क़ायम की थी और उसका यह त्याग हम लोगों में ईर्ष्या की चीज़ था।

सुनील से मेरी लंबे समय से मुलाक़ात नहीं हो पायी लेकिन मैं उसके लिखे को खोजकर पढ़ता रहा हूँ। सुनील का अकस्मात निधन भारत के समाजवादी आंदोलन की अपूरणीय क्षति है। हम सब मित्र सुनील की याद में दुखी हैं। सलाम सुनील।

जगदीश्वर चतुर्वेदी। लेखक प्रगतिशील चिंतक, आलोचक व मीडिया क्रिटिक हैं। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे चतुर्वेदी जी आजकल कोलकाता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। वे हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार हैं।