भारत छोड़ो आंदोलन का एक नायक जीजी पारीख
भारत छोड़ो आंदोलन का एक नायक जीजी पारीख
भारत छोड़ो आंदोलन का एक सिपाही आज भी डटा हुआ है मोर्चे पर
अंबरीश कुमार
मुंबई। आज नौ अगस्त है। ऐसे में भारत छोड़ो आंदोलन के एक नायक को याद किया जा रहा है। भारत छोड़ो आंदोलन का एक सिपाही आज भी बदलाव की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है पर किसी को उसकी खबर तक नहीं है। गुणवंत राय गनपत लाल परिख यानी डा जीजी पारिख सबसे पहले भारत छोड़ो आंदोलन में जेल गए थे और वे भी दस महीने जेल रहे। गाँधी लोहिया और जयप्रकाश नारायण के साथ काम कर चुके जीजी पारिख इस समय समाजवादी आंदोलन के सबसे बड़े योद्धा है जो जीवन के नब्बे साल पूरा करने जा रहे हैं। नौ अगस्त को मुंबई से करीब साठ किलोमीटर दूर युसुफ़ मेहर अली सेंटर में देश भर से आए समाजवादियों ने जीजी पारिख का सम्मान किया। इसके बाद समाजवादियों ने दो दिन तक भविष्य की चुनौतियों पर मंथन करने जा रहे हैं।
समाजवादी समागम
इस मौके पर दो दिन का समाजवादी समागम होगा जिसकी शुरुआत ' वर्तमान चुनौतियों और समाजवादियों की भूमिका विषय से होगी। इस सत्र का विषय प्रवेश भाई वैद्य करेंगे और मुख्य वक्ता में मेधा पाटकर,( जनआंदोलनों का राष्ट्रीय समन्यव),चौधरी मुनव्वर सलीम, सांसद समाजवादी पार्टी, अरूण श्रीवास्तव, राष्ट्रीय महामंत्री ;जनता दल, मंजू मोहन, सोशलिस्ट जनता पार्टी, नजरूल इस्लाम, संगठन मंत्री डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी, वर्गीस जार्ज , सेक्रेटरी जनरल, सोशंलिस्ट जनता डेमोक्रेटिक, डा.अभिजीत वैद्य, अध्यक्ष, सोशलिस्ट युवजन सभा, जोशी जैकब, अध्यक्ष समाजवादी जनपरिषद, उल्का महाजन, (सर्वाहारा जनआंदोलन) होंगी। जबकि 11 अगस्त 2014 सुबह के सत्र का विषय 21वीं सदी में समाजवाद की परिकल्पना रखा गया है जिसका शुभारंभ सुनील भाई के लेख का वाचन से होगा जिसे अफलातून पेश करेंगे। इस सत्र के मुख्य वक्ता होंगे प्रो. आनंद कुमार, पन्नालाल सुराणा, बृजकिशोर त्रिपाठी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, समता क्रांति दल, अमिताभ दत्ता, अध्यक्ष जनता दल यू ,डा. गैबरियल, जनआंदोलनो का समन्वय तमिलनाडू, सुरेखा दळवी, श्रमिक क्रांति संगठना, टीआर आठ्ठया संपादक जनयोद्ध होंगे। इस सत्र की अध्यक्षता डा जीजी पारिख करेंगे और सञ्चालन डा डीके गिरी। धन्यवाद ज्ञापन गुड्डी देंगी। इसके बाद का सत्र समाजवादियों, वामपंथियों, गांधीवादियों और जन आंदोलन की एकजुटता पर होगा जिसका विषय प्रवेश विजयप्रताप करेंगे तो मुख्य वक्ता सुभाष वारे, सुभाष लोमते, संदीप पांडेय, सोमनाथ त्रिपाठी, फैजल खान, अंबरीश कुमार, आराधना भार्गव, सुनीति, सुभाष भटनागर, पीजे जोशी और बलवंत सिंह खेड़ा होंगे। इस सत्र की अध्यक्षता मेधा पाटकर करेंगी तो सञ्चालन प्रेम सिंह। चौथा सत्र - 11 अगस्त 2014 को दोपहर 02 से 05 बजे तक होगा जो साझा कार्यक्रम और सहकार पर होगा। इसका विषय प्रवेश किसान संघर्ष समिति के डॉ सुनीलम करेंगे तो मुख्य वक्ता देवीदास पाटिल युवा बिरादरी, कैलाश मीणा जनआंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, उमेश तिवारी, रोको टोको मोर्चा, लिंगराज आजाद, समाजवादी जन परिषद् उडीसा, जेएस वालिया, हरियाणा, निर्माणकर्ता मजदूर सभा, प्रतिभा शिंदे , लोक संघर्ष मोर्चा, अरविंद मूर्ति, फैजल खान, खुदार्द खिदमतगार, श्याम सुन्दर पसरीचा, पीजे सूरी, सेक्रेटरी जनरल, जनता दल सेकुलर ,कुलदीप सक्सेना होंगे। अध्यक्षता सुरेंद्र भाई, गांधी शांति प्रतिष्ठान करेंगे तो संचालन ललित बाबर, दलित विकास परिषद् करेंगे।
डा जीजी पारिख
समाजवादियों के इस जमावड़े के केंद्र में डा जीजी पारिख हैं जिनके बारे में देश की नई पीढ़ी बहुत कम जानती है। भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर बड़ौदा डायनामाईट कांड हो या फिर आपातकाल का विरोध, जीजी ने लगातार मोर्चा संभाला और नई पीढ़ी को दिशा दी। वे देश के पहले ऐसे संपादक हैं जो वर्ष 1946 से लगातार 'जनता' साप्ताहिक निकाल रहे हैं। किसान नेता डा. सुनीलम के मुताबिक समाजवादी आंदोलन को ताकत देने वाले जीजी का समूचा जीवन राजनैतिक सामाजिक जमात के लिए प्रेरणा देने वाला है। दुर्भाग्य की बात है कि रेवड़ियों की तरह पुरूस्कार बाँटने वाली केंद्र से लेकर महाराष्ट्र तक की सरकार ने कभी उनके उनके योगदान को संज्ञान में नहीं लिया। आजादी के आंदोलन के ऐसे नायक आज की युवा पीढ़ी के लिए आदर्श है।
डा. जीजी पारिख को कई तरह से लोग जानते हैं, समाजवादी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, गांधीवादी और पेशेवर चिकित्सक। उन्हें सबसे ज्यादा युसुफ मेहरअली सेंटर के संस्थापक के तौर पर जाना जाता है, जिसकी स्थापना उन्होंने 52 साल पहले महाराष्ट्र में रायगढ़ जिले के तारा गांव में की थी। जहां हिंदी, उर्दू तथा मराठी भाषा में चार स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। जिनमें ढाई हजार से भी ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। यहां ग्रामीणों के लिए निशुल्क अस्पताल चलाया जाता है। खादी ग्रामाद्योग भी स्थापित हैं। सेंटर की 11 राज्यों में शाखाएं संचालित की जा रही हैं। उन्होंने अपना अधिकतर समय रचनात्मक कार्यों में तथा प्राकृतिक आपदा से पीड़ित लोगों के पुनर्वास में लगाया है। लातूर, कश्मीर हो या गुजरात के कच्छ का भूकंप, दक्षिण भारत में सूनामी आई हो या उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा, जीजी के नेतृत्व में युसुफ मेहरअली सेंटर ने बढ़चढ़ कर पुनर्वास का कार्य किया।
जीजी एसएम जोशी फाउंडेशन, पुणे में अध्यक्ष, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संघ के सचिव, सर्वोदय मंडल के ट्रस्टी होने साथ-साथ छोटे उद्योगों पर कार्य करने वाले बैकुंठ मेहता शोध केंद्र के ट्रस्टी हैं। लोकतांत्रिक समाजवादी विचार के प्रचार-प्रसार हेतु 1946 के बाद से ही जीजी जनता साप्ताहिक को प्रकाशित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। 2003 में जीजी ने युसुफ मेहरअली युवा बिरादरी की स्थापना की। जीजी का रोजमर्रा का जीवन रोजाना दवाखाना में नियमित तौर पर लोगों के इलाज से शुरू होता है।
गुजरात में सौराष्ट्र के सुरेंद्रनगर (बधवान कैंप) में गुणवंत राय पारिख का जन्म 30 दिसंबर 1924 को हुआ था। पिता श्री गणपत लाल पारिख जयपुर स्टेट के डाक्टर थे, जो बाद में राजस्थान चिकित्सा सेवाओं के डायरेक्टर बने। जीजी की माता का नाम श्रीमति विजया पारिख था, जिनके छह बच्चों में से एक जीजी थे। जीजी की सुरेंद्रनगर के विभिन्न स्कूलों में पढ़ाई हुई। स्कूल के दिनों में ही वे छात्र आंदोलन से जुड़ गए तथा 1942 में हुए भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने हिस्सेदारी की, जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर 10 महीने वर्ली की अस्थाई जेल में रखा गया तथा एक महीने थाणे की जिला जेल में रहे।
जीजी के व्यक्तित्व पर सर्वाधिक प्रभाव महात्मा गांधी, अच्युत पटवर्धन, युसुफ मेहरअली, जयप्रकाश नारायण तथा ब्रिटेन के समाजवादियों का पड़ा। 1946 में वे कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य बन गए तथा श्रमिक आंदोलन और सहकारिता आंदोलन से जुड़ गए। वे छात्र कांग्रेस की मुंबई शाखा के अध्यक्ष हुए। 1949 में उनका विवाह सुश्री मंगला से हुआ, जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थी। उन्होंने मृणाल गोरे, प्रमिला दंडवते के साथ मिलकर समाजवादी महिला आंदोलनों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
जीजी सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे। वे अशोक मेहता, नाना साहेब गोरे, मधु दंडवते के साथ प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में सक्रिय रहे। 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लागू किए जाने के बाद 23 अक्टूबर को सोशलिस्ट पार्टी की मुंबई शाखा के अध्यक्ष होने के नाते उन्हें जार्ज फर्नाडिज के साथ बड़ौदा डायनामाईट कांड में गिरफ्तार किया गया। जिसके परिणामस्वरूप वे 20 महीने पुणे की यरवादा जेल में रहे। बाद में उनका तबादला दिल्ली की तिहाड़ जेल में किया किया गया। चुनाव की घोषणा के बाद जीजी रिहा हुए। श्रीमति मंगला पारिख जी प्रमिला दंडवते के साथ 18 महीने यरवदा तथा धुले जेल में रहीं। उनकी बेटी सोनल ने 19 वर्ष की आयु में आपात काल के खिलाफ सत्याग्रह किया, जिसके चलते उन्हें चार सप्ताह मंबई की आर्थर रोड जेल में रखा गया। 1940 में ही राजनीति में प्रवेश करने साथ ही जीजी ने तय कर लिया था कि वे ना तो कभी चुनाव लड़ेंगे, न ही कोई शासकीय पद लेंगे। इस कारण उन्होंने जीवन भर तमाम बार पार्टी टिकट का प्रस्ताव मिलने के बावजूद कभी चुनाव नहीं लड़ा, न ही कोई शासकीय पद लिया।
जनादेश न्यूज़ नेटवर्क


