शीर्ष उद्योगपतियों और नीति निर्माताओं द्वारा पेश किये गये ये उपकरण कार्बन उत्‍सर्जन को कम करके पर्यावरण को हो रहे नुकसान के प्रबन्‍धन की योजनाएं बनाने में कम्‍पनियों की मदद करेंगे।
मुम्‍बई, 25 अगस्‍त, 2015 - इंडिया ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) कार्यक्रम ने मुम्‍बई में आयोजित इंडिया बिजनेस एण्‍ड क्‍लाईमेट समिट में भारतीय जरूरतों के हिसाब से तीन नये उपकरणों की श्रंखला जारी की है। ये उपकरण कम्‍पनियों की अपने कारखानों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों को प्रभावी तरीके से नापने, उनका प्रबन्‍धन करने तथा उन्‍हें कम करने में मदद करेंगे।

- वायु, रेल तथा सड़क माध्‍यमों से होने वाले उत्‍सर्जन के कारक तथा उनके प्रभावी नियं‍त्रण के लिये कार्यप्रणाली
- मार्गदर्शन दस्‍तावेज के साथ पावर टूल
- एविएशन ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) रिडक्‍शन : बेस्‍ट प्रैक्टिसेज एण्‍ड पर्सपेक्टिव्‍स – बीटा रिलीज
इस वक्‍त, भारतीय कम्‍पनियां अपने द्वारा पैदा किये जाने वाले प्रदूषणकारी तत्‍वों को मापने के लिये अन्‍तर्राष्‍ट्रीय उपकरणों तथा प्रणालियों पर ही भरोसा करती हैं। इंडिया जीएचजी प्रोग्राम द्वारा एक विस्‍तृत हितधारक का नजरिया अपनाते हुए तैयार कराये गये उत्‍सर्जन कारकों के जरिये भारतीय जरूरतों के हिसाब से कम्‍पनियों के लिये ऐसी प्रणालियां पेश की गयी हैं, जिनसे ऊर्जा तथा परिवहन क्षेत्रों से होने वाले उत्‍सर्जन की मात्रा की गणना प्रभावी ढंग से की जा सकेगी।
गोदरेज एण्‍ड बॉय्स मैन्‍युफैक्‍चरिंग लिमिटेड के चेयरमैन जमशिद गोदरेज ने कहा “भारत में ऊर्जा और परिवहन क्षेत्रों की देश में प्रदूषणकारी तत्‍वों के कुल उत्‍सर्जन में सबसे ज्‍यादा हिस्‍सेदारी है। इंडिया जीएचजी प्रोग्राम द्वारा आज पेश किये गये उपकरणों या साधनों से प्रदूषणकारी तत्‍वों के उत्‍सर्जन के सतत और जिम्‍मेदारीपूर्ण मापन को सुनिश्चित किया जा सकेगा। इससे कम्‍पनियों को ना सिर्फ पर्यावरण सम्‍बन्‍धी जोखिमों को कम करने की अपनी जिम्‍मेदारी पूरी करने, बल्कि प्रदूषणकारी तत्‍वों के उत्‍सर्जन के अपने रिकार्ड को सुधारने में भी मदद मिलेगी।
उन्‍होंने कहा “उद्योगों के लिये ऊर्जा के लिहाज से किफायती और निरन्‍तरता भरी कार्यपद्धतियों को अपनाकर कम कार्बन उत्‍सर्जन की दिशा में सार्थक कदम उठाने का यह सही समय है।”
देश की सबसे बड़ी ऊर्जा उत्‍पादक संस्‍था तथा ऊर्जा उपकरण विकसित करने वाले कार्यसमूह के सदस्‍य रहे नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन लिमिटेड के क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक जी जे देशपांडे ने कहा “देश में ग्रीनहाउस गैसों के कुल उत्‍सर्जन का 42 प्रतिशत हिस्‍सा ऊर्जा उत्‍पादन क्षेत्र के नाम है और उस बिजली का 76 फीसद भाग औद्योगिक तथा वाणिज्यिक उपभोक्‍ताओं द्वारा इस्‍तेमाल किया जाता है।”
उन्‍होंने कहा “प्रदूषणकारी तत्‍वों का उत्‍सर्जन कम करने के लिये सबसे जरूरी है कि उनकी मात्रा को सटीक तरीके से मापा जाए। यह मानी हुई बात है कि जो कचरा आपने बहा दिया, उसके बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि आप उसकी कितनी मात्रा मापने से चूक गये।”
देश के परिवहन क्षेत्र में सड़क परिवहन का खासा दबदबा है। देश के कुल सकल घरेलू उत्‍पादन में सड़क परिवहन की हिस्‍सेदार 5.4 प्रतिशत है। परिवहन क्षेत्र में इस्‍तेमाल होने वाली कुल ऊर्जा का 78 प्रतिशत हिस्‍सा सड़क परिवहन में इस्‍तेमाल होता है। रेल और वायु परिवहन पर नजर डालें तो इन दोनों की हिस्‍सेदारी 11-11 प्रतिशत ही है।
टाटा सस्‍टेनेबिलिटी ग्रुप के प्रमुख शंकर वेंकटेश्‍वरन ने कहा “बदलती हुई जलवायु, व्‍यवसाय की तरफ तेजी से बढ़ता जोखिम है। उद्योगों के मालिकान को व्‍यापार से जुड़े फैसलों और नीतियों में पर्यावरण सम्‍बन्‍धी जोखिमों का भी ख्‍याल रखना होगा।”
शिखर सम्‍मेलन में एक रिपोर्ट भी पेश की गयी। इस रिपोर्ट में विमानन क्षेत्र को न्‍यूनतम कार्बन व्‍यापार मॉडल के तौर पर बदलने के खाके का जिक्र किया गया है। वर्ष 2020 तक भारतीय हवाई अड्डों से 33 करोड़ 60 लाख घरेलू और आठ करोड़ 50 लाख अन्‍तर्राष्‍ट्रीय यात्रियों का आवागमन होगा। इससे 120 अरब डॉलर का अनुमानित निवेश मिलेगा। इस रिपोर्ट में ऐसे कार्रवाई योग्‍य आंकड़े दिये गये हैं जिनसे पर्यावरण सम्‍बन्‍धी कदमों की आर्थिक लागतों और फायदों का गहराई से अंदाजा होता है।
दिल्‍ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के मुख्‍य परिचालन अधिकारी मार्सेल हंगरब्‍यूलर ने कहा कि “एवियेशन ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) रिडक्‍शन : बेस्‍ट प्रैक्टिसेज एण्‍ड पर्सपेक्टिव्‍स” (विमानन ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाना : सर्वश्रेष्‍ठ आचरण एवं परिप्रेक्ष्‍य) रिपोर्ट दिल्‍ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड, एयरलाइंस, भारतीय विमानपत्‍तन प्राधिकरण पालम के वायु यातायात प्रबन्‍धन तथा इंडिया जीएचजी आदि साझीदारों के सफल समन्‍वय से निकला परिणाम है। इन सभी हितधारकों ने रुचि दिखाने वाले विमानन क्षेत्र से सम्‍बन्‍धित विभिन्‍न पक्षों के वास्‍ते उनके द्वारा उत्‍सर्जित किये जाने वाले कार्बन को मापने और उसमें कमी लाने के लिये प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने के लिये बहुत कीमती जानकारियां उपलब्‍ध करायी हैं।
उन्‍होंने कहा कि रिपोर्ट में जीएचजी के लिहाज से विमानन क्षेत्र के प्रदर्शन में चौतरफा सुधार के लिये मौजूदा सर्वश्रेष्‍ठ आचरण और सुझाव भी सामने रखे गये हैं।
भारत के जीएचजी प्रोग्राम में नयी सदस्‍य कम्‍पनियों को शामिल किया गया है। इनमें अल्‍ट्राटेक सीमेंट, अरविंद लिमिटेड, ऑयल इण्डिया, महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा, सिक्‍योर मीटर्स प्राइवेट लिमिटेड, वेदांता लिमिटेड, शेमफैब एलकालिस लिमिटेड, ग्रासिम इण्‍डस्‍ट्रीज लिमिटेड तथा सीईएससी लिमिटेड शामिल हैं। इस तरह यह 42 कम्‍पनियों का समूह बन गया है जो पर्यावरण संरक्षण सम्‍बन्‍धी कार्यवाही के मामले में अग्रणी बन चुका है।
सीआईआई-सोहराबजी गोदरेज ग्रीन बिजनेस सेंटर के कार्यकारी निदेशक एस. रघुपति ने कहा “भारतीय उद्योग, विकास के साथ-साथ न्‍यूनतम कार्बन उत्‍सर्जन के रास्‍ते पर चल रहे अनेक विकासशील देशों का नेतृत्‍व कर रहा है। अनेक बेहतरीन पहल की गयी हैं जिनका मुख्‍य उद्देश्‍य आर्थिक विकास और कार्बन उत्‍सर्जन को अलग-अलग करना रहा है।”
उन्‍होंने कहा “मेरा मानना है कि न्‍यूनतम कार्बन उत्‍सर्जन के साथ विकास को गति देने के लक्ष्‍य को हासिल करने में अक्षय ऊर्जा तथा बिजली की किफायत काफी मददगार साबित हो सकती है। द इंडिया बिजनेस एण्‍ड क्‍लाईमेट समिट अपने दूसरे अधिवेशन में कम कार्बन उत्‍सर्जन के साथ विकास के रास्‍ते पर आगे बढ़ने की तमाम परिकल्‍पनाओं पर विचार करने को तैयार है, ताकि सुरक्षित, खुशहालीभरा तथा निरन्‍तरतापूर्ण भविष्‍य सुनिश्चित किया जा सके।”
इंडिया जीएचजी प्रोग्राम द्वारा शुरू की गयी समन्‍वयपूर्ण, बहु-हितधारी साझीदारियों के साथ भारतीय उद्योगों के सामने निम्‍न कार्बन उत्‍सर्जन युक्‍त विकास और उन्‍नति के क्षेत्र में निवेश लाने का अभूतपूर्व अवसर है।
डब्‍ल्‍यूआरआई इंडिया, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और द एनर्जी एण्‍ड रिसोर्सेज इंस्‍टीट्यूट (टेरी) की अगुवाई वाला द इंडिया जीएचजी प्रोग्राम एक उद्योगनीत स्‍वैच्छिक कार्ययोजना है। इसका उद्देश्‍य ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन को मापना और उसका प्रबन्‍धन करना है। इस कार्यक्रम का खास जोर उन विस्‍तृत मापन एवं प्रबन्‍धन रणनीतियों को तैयार करने पर है जिनके जरिये प्रदूषणकारी तत्‍वों के उत्‍सर्जन को कम करने के साथ ज्‍यादा लाभदायक, प्रतिस्‍पर्धी तथा निरन्‍तरतापूर्ण उद्योगों को खड़ा किया जा सके। इस कार्यक्रम को शक्ति सस्‍टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन, द जर्मन फेडरल मिनिस्‍ट्री फॉर एनवॉयरमेंट, नेचर कंजरवेशन एण्‍ड न्‍यूक्लियर सेफ्टी (बीएमयू) तथा पिरोजशा गोदरेज फाउंडेशन का सहयोग प्राप्‍त है।
सीमा जावेद की रिपोर्ट