भारतीय संविधान : धर्म निरपेक्षता और प्रजातांत्रिक मूल्य विषयक कार्यशाला सम्पन्न

Indian constitution favors deprived and weaker sections - Jawaharlal Kaul

वाराणसी-23दिसम्बर। भारतीय संविधान वंचितों और कमजोर वर्गों के हितों के पक्ष में सदैव रहा है और समतामूलक समाज के निर्माण में इसकी अहम भूमिका रही है। इधर कुछ ताकतें इसकी मूल भावना के विपरीत कार्य करने में लिप्त हैं हमें पूरे मनोयोग से इसके प्राविधानों को बचाने की जरूरत है जिससे समतामूलक समाज निर्माण की परिकल्पना साकार हो सके।

ये बातें मुख्य वक्ता पूर्व न्यायाधीश जवाहरलाल कौल ने शांति सद्भावना मंच, उत्तर प्रदेश द्वारा श्री डी आर महिला महाविद्यालय ,मकसूदन पट्टी, ताड़ी में आयोजित भारतीय संविधान : धर्मनिरपेक्षता एवं प्रजातांत्रिक मूल्य विषयक कार्यशाला में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कहीं।

उन्होंने आगे कहा कि विविधता भारतीय समाज की पहचान है और संविधान इसकी गारंटी देता है और यही विश्व में हमारी पहचान है, इसे बचाये रखना हमारी जिम्मेदारी है।

सामाजिक चिंतक डॉ आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि समाजवादी गणराज्य भारतीय संविधान की मूल आत्मा है। आज इसे क्षत-विक्षत करने की कुचेष्टा की जा रही है एवं संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता क्रमशः खत्म करने की प्रक्रिया जारी है। हमें इनको संरक्षित करने की जरूरत है।

समतामूलक समाज के निर्माण में भारतीय संविधान की भूमिका

अध्यक्षता करते हुए डॉ जितेंद्र प्रसाद मौर्य ने कहा कि संविधान ने जो मौलिक अधिकार प्रदान किये हैं वो शोषण के विरुद्ध बेहतर जीवन की गारन्टी देता हैं और राष्ट्र एवं समाज के प्रति कुछ कर्तव्य निर्धारित करते हैं।

प्रारंभ में विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ मोहम्मद आरिफ ने कहा कि धर्म निरपेक्षता संविधान की आत्मा है और स्वतंत्रता, समानता, बन्धुत्व और न्याय इसका आधार है जिसपर भारत खड़ा हुआ है। हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि इसे बचाये रखा जाए।

कार्यशाला में डॉ आभा तिवारी, विंध्यवासिनी पटेल, पल्लवी सिंह, माला यादव,किरण यादव, आदर्श सिंह, संतोष कुमार ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यशाला में प्रभु, जमीना, सुदामा सहित राष्ट्रीय सेवा योजना के सैकड़ों स्वयंसेवक मौजूद रहीं। कार्यशाला का संचालन डॉ आभा तिवारी ने किया।

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