भारतीय स्टेट बैंक बिकने चला बाजार
भारतीय स्टेट बैंक बिकने चला बाजार
सबसे पहले सबसे कीमती कंपनी ओएनजीसी में विनिवेश करने का फैसला।
पलाश विश्वास
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) अगले 2 साल में शेयर बेचकर 20,000 करोड़ रुपये जुटा सकता है।बैंक शेटर बेचकर यह रकम जुटायेगा और इस प्रक्रिया में बैंक के सरकारी शेयर जो पहले ही घटा दिये गये हैं, 58.6 प्रतिशत से 51 प्रतिशत तक सिमटा देने की विनिवेश योजना है। कम से कम 53 प्रतिशत तक सरकारी शेयर घटा देने का टार्गेट है। दरअसल शेयर बाजार में सांढ़ों के धमाल का असली रहस्य यही केसरिया विनिवेश कार्यक्रम है।
देश बेचो अभियान के तहत विनिवेश पर फिर से काम तेज हो गया है। मोदी सरकार ने सबसे पहले अपनी सबसे कीमती कंपनी ओएनजीसी में विनिवेश करने का फैसला किया है। इसके लिए सरकार ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) का रास्ता अपनाएगी। ओएफएस के जरिए सरकार ओएनजीसी में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। सरकार ने इसके लिए मर्चेंट बैंकर्स से बोलियां भी मंगवाई हैं और मर्चेंट बैंकरों के पास इसमें हिस्सा लेने के लिए 6 अगस्त तक का वक्त है।
दरअसल, गैस मूल्य के साथ ही सरकारी कंपनी ओएनजीसी के विनिवेश का मुद्दा भी जुड़ा हुआ है। गैस कीमत बढ़ने के फैसले के बाद ही ओएनजीसी में विनिवेश कार्यक्रम को लागू करने का फायदा होगा। गैस कीमतें बढ़ने से किसे पायदा होना है, सारा देश जानता है।
भारत सरकार के फाइनेंशियल सर्विस सचिव जी एस संधू के मुताबिक सभी पीएसयू बैंकों के विनिवेश का काम 4-5 साल में पूरा होगा। बैंकों का विनिवेश एफपीओ की बजाय राइट्स इश्यू या एफपीओ के जरिए किया जाएगा। साथ ही बैंकों के विनिवेश में पहली प्राथमिकता रिटेल निवेशकों को दी जाएगी। एफपीओ में रिटेल निवेशकों का हिस्सा बढ़ाने पर बातचीत चल रही है।
केसरिया बजट पेश करने के बाद सरकार बड़े पैमाने पर विनिवेश की भी तैयारी कर रही है। कोल इंडिया में 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने और ओएनजीसी में 5 फीसदी विनिवेश के लिए ड्राफ्ट नोट तैयार कर लिया गया है। माना जा रहा है कि सितंबर-अक्टूबर में इन दोनों कंपनियों का विनिवेश हो सकता है।
कोल इंडिया में हिस्सा बेचकर सरकार 25000 करोड़ रुपये जुटाने वाली है। वहीं, ओएनजीसी विनिवेश के जरिए सरकार को 15000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। इन दोनों कंपनियों में हिस्सा बेचकर सरकार वित्त वर्ष 2015 का विनिवेश लक्ष्य हासिल करगी।
वैसे सरकार के विनिवेश प्लान में सेल और एनएचपीसी भी शामिल हैं। सेल में 5 फीसदी और एनएचपीसी में 11.4 फीसदी हिस्सा बिकने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि निजी बैंको को लाइसेंस देने से पहले केसरिया कारपोरेट सरकार बैंकों के राष्ट्रीयकरण का इतिहास पलट देने की जुगत में है और सारे सरकारी बैंकों के सरकारी शेयर 51 फीसद तक घटा दिये जाने की योजना है ताकि जरूरत और मौके के हिसाब से स्ट्रेटिजिक सेल के जरिये इन बैंको का एक के बाद एक सेल आफ हो जाये।
मुनाफा, नेटवर्क और पूंजी के हिसाब से एसबीआई चूंकि अव्वल नंबर पर है और उसकी इस हैसियत से बैंकिंग में एफडीआई का खास असर नहीं हो रहा है और न ही निजी कंपनियों को एसबीआई की मौजूदगी में कोई बाजार मिल सकता है, इसलिए इसे मरघट तक पहुंचाकर एअर इंडिया और ओएनजीसी का अंजाम दिया जाना है।
अटल शौरी जमाने की डिसइंवेस्टमेंट कौंसिल की रपट मुताबिक जो विनिवेश रोड मैप है, उसके तहत सबसे ज्यादा फायदे में चलने वाले सराकारी उपक्रमों को सबसे पहले बेच डालने की योजना है। जिसके तहत बीएसएलएन, बाल्को, नेल्को और एअर इंडिया का बंटाढार हो चुका है। रिलायंस एकाधिकार के जरिये ओएनजीसी और दूसरी सरकारी तेल कंपनियों को बेच डालने की पूरी तैयारी है।
जाहिर है कि टेलीकाम, बिजली, चिकित्सा, शिक्षा, सूचना, इस्पात, बंदरगाह, विमानन, डाकतार, माइंनिंग, रेलवे, विमानन, बीमा, निर्माण, विनिर्माण, परिवहन जैसे क्षेत्रों में निजी कंपनियों की सांढ़ संस्कृति के वर्चस्व के बावजूद भारत में बेसरकारीकरण के रास्ते पर सबसे बड़ा अवरोध एसबीआई है, जिसका देहात नेटवर्क कृषि जीवी अधिसंख्य भारतीयों की आर्थिक गतिविधियों का मूलाधार है।
निजी बीमा कंपनियों को परमिशन और बीमा में एफडीआई से भारतीय जीवन बीमा निगम की निर्विरोध हत्या के बाद अब बारी एसबीआई की है। पंजाब नेशनल बैंक इसके साथ ही सिधार जायेगा। एकीकरण के बहाने जो बैंक और वित्तीय संस्थान एसबीआई में समाहित कर दिये गये, एसबीआई के साथ जाहिर है कि उन्हें भी तिलांजलि दे दी जायेगी।
अभूतपूर्व कोयला संकट के जरिये ब्लैक आउट मध्ये कोल इंडिया का देर सवेर सेल आफ भी तय है। तो सरकार ने हिंदुस्तान जिंक और बाल्को के विनिवेश प्रक्रिया को तेज कर दिया है। इसी साल दोनों कंपिनयों का विनिवेश कर दिया जाएगा।
“आज तक” के मुताबिक नई सरकार अपने बड़े विनिवेश कार्यक्रम की शुरूआत सितंबर में इस्पात कंपनी सेल की 5 फीसद हिस्सेदारी बिक्री से करेगी। उसके बाद नई सरकार के देश बेचो अभियान के तहत ओएनजीसी व सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों मसलन ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी), पावर फाइनेंस कारपोरेशन (पीएफसी) व एनएचपीसी का विनिवेश किया जाएगा।
सेल की शेयर ब्रिकी के लिए विनिवेश विभाग इस माह के अंत तक सिंगापुर, हांगकांग, अमेरिका, ब्रिटेन व यूरोप में रोड शो की शुरुआत करेगा।
यह अभूतपूर्व कोयला संकट दरअसल कोलइंडिया के विनिवेश की रंगीन बहुआयामी पृष्ठभूमि रचना है, जिसके तहत पूरे देश में पावर की सप्लाई गड़बड़ा सकती है।


