भूकंप और भगवान
भूकंप और भगवान
धन्य हैं ऐसे भगवान और इनके एजेंट- भूकंप और भगवान
ईरान के किसी अयातुल्लाह काज़िम सेदिघी ने कुछ साल पहले कहा था कि प्राकृतिक आपदाएं लोगों के कृत्यों का परिणाम है। अयातुल्लाह साहब पर्यावरण को किए जा रहे नुकसान की बात नहीं कर रहे हैं। उनका बयान किसी और ही ‘नुकसान’ के बारे में है। इनका कहना है कि भूकंप ज्यादा आ रहे हैं क्योंकि बहुत सारी महिलाएं “अभद्र” कपड़े पहन युवाओं को भटका कर विवाहेतर संबंधों के लिए उकसाती हैं।
लगता है कि अयातुल्लाह को उनके अल्लाह ने यह ठेका दे रखा है कि वे महिलाओं के कपड़ों ‘भद्रता – अभद्रता’ की जांच करके ऊपर वाले को ‘फीडबैक’ देते रहें। ‘अभद्रता’ की स्थिति में फिर भूकंप लाया जाता है। लेकिन अल्लाह को इसकी परवाह आखिर क्यों है कि कौन कैसे कपड़े पहनता है। उसने तो बिना कपड़ों के ही आदम-हव्वा की संतानों को यहां भेजा। कपड़े तो हमने खुद ही बनाएं। शायद वो इस मामले में मुल्ला-मौलवियों की सलाह लेता रहता है। जहां तक विवाहेतर संबंधों की बात है – आदम-हव्वा का निकाह क्या ऊपर वाले ने ही कराया था? अगर नहीं तो फिर मानव जाति की पहली संताने ही विवाहेतर संबंधों की देन थी। तब भूकंप लाकर इन्हे नष्ट क्यों नहीं किया गया? शायद इसलिए कि उस समय अल्लाह को सलाह देने के लिए मुल्ला-मौलवी नहीं थे।
हालांकि इस मामले में मेरी अपनी राय यह है कि अल्लाह का तो पता नहीं मुल्ला-मौलवियों के दिमाग में जरूर कोई खलल है। आखिर राह चलती औरतों के कपड़ों की नाप लेना भद्रता का काम तो नहीं है।
अयातुल्लाह इस मामले में अकेले नहीं हैं। इन्हे टक्कर देने के लिए भारतवर्ष में भी ज्ञानियों की कमी नहीं है। आखिर हम पुराने विश्वगुरु और नयी महाशक्ति हैं। भूकंप की व्याख्या में कोई मुल्ला-मौलवी आगे निकल जाए यह बात हमारे योगियों-साध्वियों को ठीक नहीं लगेगी।
भाजपा के साक्षी महाराज और साध्वी प्राची ने कहा है कि ये भूकंप इसलिए आया क्योंकि राहुल गांधी गोमांस खाते हैं और फिर बिना ‘शुद्धिकरण’ किए केदारनाथ चले जाते हैं। अगर सचमुच ऐसा ही है तो मै तो कहूंगा कि इनके भगवान की न्यायबुद्धि बड़ी गड़बड़ है। भारतवर्ष की न्याय व्यवस्था से भी ज्यादा गई गुजरी। गोमांस खाया राहुल गांधी ने और सजा दे दी हजारों निर्दोष नेपालियों को। या कहीं ऐसा तो नहीं कि ऊपर वाले को किसी ने यह बता दिया कि राहुल को गोमांस किसी नेपाली ने पहुंचाया है। इतनी गोपनीय खबर तो साक्षी महाराज या साध्वी प्राची ही पहुंचा सकते हैं। ये सबकी थालियों का ब्यौरा जो रखते हैं। लोगों के पेट खाली हो – बच्चे कुपोषण से मर रहे हों तब इनके भगवान को गुस्सा नहीं आता लेकिन गोमांस खाने पर आता है। धन्य हैं ऐसे भगवान और इनके एजेंट।
एक बात हालांकि समझ में नहीं आती है। गोमांस तो अमेरिकी भी खाते हैं पर वहां भूकंप नहीं आया। वह शायद हिंदुओं के भगवान के ‘क्षेत्राधिकार’ के बाहर है। उसके लिए हिंदू भगवान को चर्च के भगवान से संधि करनी पड़ेगी। महाराज जी व साध्वी जी चाहें तो प्रधानमंत्री जी के मार्फत सिफारिश लगवा सकते हैं। वैसे भी ‘मिस्टर बराक’ से मोदी जी की अच्छी दोस्ती है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि गोमांस के मामले में ओबामा कुछ कर पाएंगे। एक तो चर्च के भगवान को गोमांस से कोई परेशानी नहीं है, ऊपर से गोमांस के व्यापार में अमेरिकी कंपनियों का पैसा भी लगा हुआ है। जहां पूंजी का सवाल होता है वहां सारे भगवान ढील दे देते हैं।
वैसे साक्षी महाराज या साध्वी प्राची से ज्यादा बेहतर व्याख्या मेरे पास है। नेपाल में भूकंप इसलिए आया क्योंकि वहां जनता ने हिंदू राजशाही को खत्म कर गणतांत्रिक राज्य बना दिया। राजा तो भगवान का सीधा एजेंट होता है। अपने एजेंट पर हमला भगवान नहीं बर्दाश्त कर सकता है जैसे अमेरिका को इज़राइल पर हमला बर्दाश्त नहीं हो सकता। अंग्रेजों को यह बात पता थी इसीलिए उन्होने लोकतंत्र को स्थापित तो किया पर राजशाही को रहने दिया। देश में भूकंप नहीं आए इसीलिए संघ परिवार यहां हिंदू राष्ट्र की स्थापना करना चाहता है। इसके अलावा वेदों में इस संबंध में क्या लिखा है इस पर भी शोध होना चाहिए। मानव संसाधन मंत्रालय जरा ध्यान दे।
चूंकि मुल्ला-मौलवियों और साधू-साध्वियों को भूकंप और दूसरी प्राकृतिक आपदाओं के बारे में ऐसा पुख्ता ज्ञान है इसलिए सरकार को भूगर्भशास्त्र पर पैसा बरबाद करना बंद कर देना चाहिए। आपदा प्रबंधन आदि पर भी सर खपाने की जरूरत नहीं है। इसकी जगह इन्हीं लोगों का एक ‘उच्च-स्तरीय आयोग’ बना देना चाहिए जो प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के लिए लोगों की निगरानी करेंगे। निगरानी किस बात की? महिलाओं के कपड़ों की नाप और किसकी थाली में क्या परोसा जा रहा है इसकी। किसी औरत ने ‘अभद्र’ कपड़े पहने या किसी ने गोमांस का भक्षण किया तो आयोग कार्यवाही करेगा। इस तरह हम भूकंप आदि आपदाओं से बच जाएंगे। आयोग अपनी रपट प्रधानमंत्री या संसद के समक्ष नहीं रखेगा – इनकी आखिर क्या बिसात। वैसे भी संसद का निर्माण तो गोमांस खाने वाले अंग्रेजों ने कराया था। ये रपट सीधे ‘ऊपरवाले’ के पास पहुंचाई जाएगी। राष्ट्रहित में सरकार यह कदम जल्दी उठाए तो अच्छा है।
- लोकेश मालती प्रकाश


