संसदीय लोकतंत्र का काला दिन, विधानसभा का सत्र निर्धारित समय से पहले समाप्त

रायपुर। बुधवार की तरह ही दूसरे दिन गुरूवार को भी विपक्ष ने अध्यक्ष के कथनों की नाफरमानी की। विधानसथा अध्यक्ष ने निलंबित विधायकों को बाहर जाने का निर्देश दिया तो विपक्ष वेल में ही धरने पर बैठ गया। एक दिन पहले भी इसी तरह का नजारा था, जब निलंबन के बाद गर्भगृह में विपक्षी विधायक नारेबाजी करते महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठ गए। तीसरे दिन भी विपक्ष ने हंगामा किया। फर्क ये रहा कि ये आक्रामक तेवर प्रश्नकाल के बाद विपक्ष ने दिखाये।

फिर से लगाये भ्रष्टाचार के आरोप

नारेबाजी और गर्भगृह में शोर-शराबे के बीच विपक्षी विधायक धरने पर बैठ गये। सदन के नेता रमन सिंह और मंत्री बृजमोहन के मामले पर विपक्ष ने शून्यकाल में जोरदार हंगामा कर दिया।

नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार जवाब देने से बचना चाह रही है और इस मसले पर विधानसभा की दिवस कार्यवाही संक्षिप्त करने की कवायद रची जा रही है।

नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने इसे लोकतंत्र के लिए घातक बताते हुए कहा कि आसंदी विधानसभा के दिवस कम न करे।

सरकार ने कहा संसदीय लोकतंत्र का काला दिन

विधानसभा में कांग्रेस के अनवरत बेल पर मौजूदगी और नारेबाजी के मसले पर राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह संसदीय लोकतंत्र का काला दिन है। प्रेम प्रकाश पांडेय ने आसंदी से कहा कि यह आसंदी की व्यवस्था की अवहेलना करते हुए विपक्ष जो कर रहा है उसने आज के दिन को संसदीय लोकतंत्र का काला दिन बना दिया है।

प्रेम प्रकाश पांडेय ने कहा कि संसदीय मंच को विपक्ष राजनैतिक मंच बना रहा है।

इधर बेल पर मौजूद कांग्रेस विधायक दल की नारेबाजी अनवरत जारी रही। इस बीच विधानसभा ने अनुपूरक अनुदान प्रस्ताव समेत कई संशोधन प्रस्ताव मंजूर कर दिए।

विधानसभा का सत्र 11 अगस्त तक चलना था। उसे निर्धारित समय से बहुत पहले समाप्त कर दिया गया है। सरकार ने एक हज़ार सात सौ सतहत्तर करोड़ संतावन लाख चौबीस हज़ार चार सौ तिरपन रुपए का अनुपूरक बजट पास करा लिया, विनियोग पास कर लिया और यह दो सबसे अहम थे। इसके अलावा महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक भी पेश कर दिए गए हैं। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आक्रामक विपक्ष ने पहले दिन से सदन में हंगामा किया। प्रश्नकाल बाधित रहा और आज विधानसभा में सरकार की अनुपूरक बजट समेत संशोधन विधेयक और अनुदान को आनन फ़ानन में पेश करने से विपक्ष को यह समझने में देर ना लगी कि सरकार सत्र का जल्द अवसान कर सकती है।