मज़दूर कार्यकर्ताओं पर हुए जानलेवा हमले के विरोध में मज़दूर संगठनों तथा जनवादी अधिकार संगठनों ने किया प्रदर्शन
नई दिल्ली 10 मई। आज यूपी भवन पर श्रीराम पिस्टन के गाजि़याबाद के प्लाण्ट के बाहर पर्चा बांटने गये ‘गुड़गांव मजदूर संघर्ष समिति’ और ‘बिगुल मजदूर दस्ता’ के कार्यकर्ताओं पर श्रीराम पिस्टन के प्रबन्धन के गुण्डों के द्वारा हुए जानलेवा हमले के विरोध में प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन विभिन्न मज़दूर संगठनों और जनवादी अधिकार संगठनों के संयुक्त मोर्चे ने दिल्ली के उत्तर प्रदेश भवन पर किया व रेजिडेण्ट कमिश्नर को ज्ञापन सौंपकर ठोस कार्रवाई की मांग की।

बिगुल मज़दूर दस्ता की शिवानी ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने सभा को निरस्त करने की जबरदस्ती की। पुलिस ने धमकी दी कि उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया जायेगा व मज़दूर कार्यकर्ताओं व पत्रकार, यूनिवर्सिटी प्रोफेसरों के साथ धाक्का-मुक्की करने लगे। परन्तु सभी संगठन प्रदर्शन स्थल पर ही डटे रहे और अपनी सभा जारी रखी।

‘बिगुल मज़दूर दस्ता’ की सदस्या शिवानी ने मंच संचालन किया और बताया कि प्रबन्धन और मालिकों द्वारा किया गया यह कायराना हमला एक तो मालिक वर्ग के भय को दिखाता है तथा दूसरा इससे पुलिस-प्रशासन की मंशा भी स्पष्ट होती है क्योंकि यह घटनाक्रम यूपी पुलिस की मौजूदगी में ही हुआ था। उन्होंने कहा कि तमाम मज़दूर और जनवादी संगठनों ऐसे हमलों का पुरजोर विरोध करना चाहिए।

‘गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति’ (जीएमएसएस) के अजय ने बताया कि वे लोग कारख़ाना गेट से करीब 500 मीटर की दूरी पर पर्चा वितरण कर ही रहे थे कि दो गाडि़यों में करीब 8 गुण्डे और बाउंसर आये और उन्होंने लोहे की रॉडों, डण्डों, बेल्ट आदि से मज़दूर कार्यकर्ताओं पर हमला कर दिया। इस हमले में लहुलुहान करने के बाद उन्हें जबरन गाड़ी में भर कर श्रीराम पिस्टन कारखाने के अन्दर ले गये। अन्दर ले जाकर उन्होंने गाजि़याबाद पुलिस को भी बुला लिया और फिर पुलिस की मौजूदगी में भी इन चारों मज़दूर कार्यकर्ताओं को बर्बरतापूर्वक रॉड, सरिया आदि से पीटते रहे। इसके कारण तपीश के पैर में फैक्चर, आनन्द के सिर में गहरी चोट व पैर में फैक्चर, व अखिल के पैर में भी गम्भीर चोटें आयी हैं। इसके बाद पुलिस उन्हें थाने ले गयी और वहाँ पर हमलावरों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की बजाय इन चारों मज़दूर कार्यकर्ताओं पर ही प्राथमिकी दर्ज करने का प्रयास किया। लेकिन इस समय तक कुछ अन्य राजनीतिक कार्यकर्ता भी थाने पहुँच चुके थे और कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, जनवादी अधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों द्वारा दबाव के कारण उन पर प्राथमिकी दर्ज करने में श्रीराम पिस्टन के हाथों बिकी हुई पुलिस कामयाब नहीं हो सकी। ज्ञात हो कि इस पूरे दौर में दर्द से परेशान जीएमएसस व बिगुल मजदूर दस्ता के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने कोई चिकित्सकीय देखरेख मुहैया नहीं करायी। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी कायराना हरकतों से मज़दूर डरने वाले नहीं हैं और इसके जवाब में अपने आन्दोलन को और तेज करेंगे और सभी मज़दूर संगठनों, जनवादी अधिकार संगठनों, छात्र संगठनों और सभी जनपक्षधर बुद्धिजीवियों और नागरिकों से अपील करते हैं कि इस आन्दोलन में मज़दूरों का पुरजोर तरीके से साथ दें।

श्री राम पिस्टंस कामगार यूनियन के प्रदीप कुमार भी इस प्रदर्शन में राजस्थान से शामिल होने आये। उन्होंने गाजि़याबाद में हुए हमले की निंदा की और बताया कि आज श्रीं राम पिस्टन कामगार यूनियन ने भी भिवाड़ी में एक रैली का आयोजन किया था परन्तु पुलिस और कोबरा फोर्स के 2000 से ऊपर सेना बल ने मज़दूरों को घेर लिया और कहा कि आज इलाके में धारा 144 लगा दी गयी है और वे हड़ताल स्थान पर ही बैठे रहे। साफ है कि राजस्थान पुलिस और सरकार पूरी तरह श्री राम पिस्टंस प्रबन्धान कि चाकरी कर रहा है इसलिए ही मज़दूरों के हर अधिकार उनसे छीने जा रहे हैं।

मज़दूर पत्रिका के संतोष ने कहा कि यह चुनावी वायदों वाले ‘‘अच्छे दिनों’’ की खतरनाक दस्तक ही है कि मज़दूर कार्यकर्ताओ पर इस तरह के बर्बर हमले हो रहे हैं। वहीँ मज़दूर एकता केन्द्र के सुनील, इंकलाबी मज़दूर केन्द्र के दीपक व पी.यू.डी.आर. के मंजीत ने भी इस घटना की भर्तसना की। इस प्रदर्शन में बिगुल मज़दूर दस्ता, गुड़गाँव मज़दूर संघर्ष समिति, पी.यू.डी.आर., क्रान्तिकारी युवा संगठन, इंकलाबी मज़दूर केन्द्र, मज़दूर पत्रिका आदि संगठन शामिल थे। रेजिडेण्ट कमिश्नर को सोंपे गये ज्ञापन में कम्पनी के दोषी अपफ़सरों और सिक्योरिटी अफ़सर को तत्काल गिरफ़्तार करने, सिहानी गेट थाना, ग़ाजि़याबाद के एस.एच.ओ. और अन्य पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने और ग़ाजि़याबाद क्षेत्रा के तमाम कारख़ानों में श्रम क़ानूनों के गम्भीर उल्लंघन की जाँच करने आदि जैसी मांगे शामिल थी।