ये भी तबाह, वो भी परेशान

लगाओ सिर्फ नारा पूरी ताकत से,

जय जवान, जय किसान।

यह कड़ाके की ठंड, बॉर्डर पे जवान बॉर्डर पे किसान

किसानों की ये बदहाली और देश मेरा कृषि प्रधान

लगाओ सिर्फ नारा पूरी ताकत से,

जय जवान ,जय किसान।

रहनुमा हमारे बेजार हो कर सो गए

कहते हैं फ़ला के कहने से किसान गुमराह हो गए,

इस समस्या का कैसे निकलेगा समाधान

लगाओ सिर्फ नारा पूरी ताकत से,

जय जवान ,जय किसान।

ये दक्कन के किसान, यह पंजाब के किसान

बाटेंगे तुम को पूरी ताकत से ये हुक्मरान

मुद्दे हैं वाजिब, हालात हैं बदतर, ध्यान दीजिए मेहरबान

नेताओं के वादों की फसल से पेट नहीं भरते

ये बख़ूबी जानता है देश का हर एक किसान

लगाओ सिर्फ नारा पूरी ताकत से

जय जवान ,जय किसान।

ये जाड़े की ठिठुरते हुए दिन रात,

साहेब के जुल्म की एक नई नजीर ,एक नई दास्तान

लगाओ सिर्फ नारा पूरी ताकत से,

जय जवान ,जय किसान।

यह मामला है, पेट पे लात का, मुल्क खाएगा क्या

किसान उगायेगा क्या, पारा गिरता जा रहा मौसम का

आंदोलन बढ़ता जा रहा बॉर्डर का,

मर जवान मर किसान

फिर भी मेरी सरकार महान

दंभ की आड़ में घुट रहा मर रहा बच्चा बूढ़ा और जवान

लगाओ सिर्फ नारा पूरी ताकत से,

जय जवान जय किसान

मेरा भारत महान

सारा मलिक

Sara Malik, सारा मलिक, लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।
Sara Malik, सारा मलिक, लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।