माकपा ने पूछा - "सूखा प्रदेशव्यापी, तो राहत सीमित क्यों ?"
माकपा ने पूछा - "सूखा प्रदेशव्यापी, तो राहत सीमित क्यों ?"
रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रदेश के केवल 50 तहसीलों में ही सूखा राहत मुआवजा देने के भाजपा सरकार के फैसले की तीखी निंदा करते हुए पूछा है कि जब सूखा प्रदेशव्यापी है, तो फिर राहत केवल सीमित इलाकों तक ही क्यों है?
माकपा ने कहा है कि इससे प्रदेश के 20 लाख से ज्यादा किसान परिवार सूखा-राहत से वंचित हो जायेंगे और यह फैसला केन्द्र सरकार के उस निर्णय के भी खिलाफ है, जिसमें उसने 67 पैसे से कम अनावारी को प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में रखते हुए राजस्व परिपत्र में आर्थिक सहायता का प्रावधान किया है.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि सरकार का यह फैसला किसानों के प्रति संवेदनहीनता का ही परिचायक है. किसानों की बेटियों की शादी में मदद की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि अच्छा होता, यदि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य 2100 रूपये तथा 300 रूपये बोनस के साथ एक-एक दाना धान खरीदने का अपना चुनावी वादा पूरा करती, क्योंकि हमारे प्रदेश का किसान अपनी मेहनत का मोल चाहता है.
पूरे प्रदेश के किसानों को सूखा राहत मुआवजा देने के साथ ही माकपा ने क़र्ज़ वसूली स्थगित करने तथा बैंकों महाजनी क़र्ज़ से किसानों को छुटकारा दिलाने की भी मांग की है. माकपा नेता ने कहा कि एक ओर तो सरकार ग्रामीणों को काम देने का दावा कर रही है, दूसरी ओर वास्तविकता यह है कि प्रदेश के 1400 पंचायतों में अभी तक मनरेगा का काम ही शुरू नहीं हुआ है, जबकि इस वित्तीय वर्ष के नौ माह ख़त्म होने जा रहे हैं. ऐसे में बचे 90 दिनों में ग्रामीणों को 150 दिन काम कैसे दिया जा सकता है !! वास्तविकता यह है कि रोजगार की खोज में बड़े पैमाने पर ग्रामीण पलायन कर रहे हैं.
पराते ने कहा है कि जब सरकार का पूरा समय प्रदेश में हो रही किसान आत्महत्याओं पर लीपापोती करने में ही जा रहा है, तो अकाल से निपटने के लिए कदम उठाने के लिए सरकार के पास समय ही कहां है ?


