मानवाधिकार आयोग में कल्लूरी की पेशी 30 को : माकपा ने किया स्वागत
मानवाधिकार आयोग में कल्लूरी की पेशी 30 को : माकपा ने किया स्वागत
मानवाधिकार आयोग में कल्लूरी की पेशी 30 को : माकपा ने किया स्वागत
रायपुर, 19 नवंबर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बस्तर में आदिवासियों पर हो रहे पुलिस अत्याचार के संबंध में छत्तीसगढ़ सरकार और आईजी कल्लूरी की भूमिका का स्वतः संज्ञान लेने तथा उन्हें अपने स्पष्टीकरणों सहित 30 नवम्बर को आयोग के समक्ष उपस्थित होने का आदेश देने का स्वागत किया है.
बस्तर में आदिवासियों के खिलाफ राज्य-प्रायोजित हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए माकपा ने कल्लूरी को बर्खास्त करने और रमन सरकार के इस्तीफे की मांग को पुनः दुहराया है.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने अपने बयान के साथ मानवाधिकार आयोग द्वारा अंग्रेजी में जारी वक्तव्य को भी नत्थी किया है.
इस वक्तव्य में सुकमा जिले के तोंगपाल थाने में प्रो.नंदिनी सुंदर सहित अन्य सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ताओं, जिनमे माकपा राज्य सचिव संजय पराते भी शामिल है,को सामनाथ बघेल की हत्या के मामले में झूठे आरोपों में फंसाने, उनके पुतले जलाए जाने और उनको गिरफ्तार करने की कोशिशों का और ताड़मेटला कांड में सीबीआई जांच के जरिये आदिवासी घरों को जलाने, सलवा जुडूम के दौरान पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा हत्या व बलात्कार आदि घटनाओं का जिक्र किया है.
आयोग ने एनडीटीवी द्वारा उजागर तथ्यों का भी संज्ञान लिया है.
आयोग ने माना है कि नंदिनी सुंदर व अन्य के खिलाफ बदले की भावना के चलते एफआईआर दर्ज की गई, ताकि उन लोगों के बस्तर में घुसने और आदिवासी क्षेत्रों में उनके कुकृत्यों का पर्दाफाश होने से रोका जा सके.
आयोग ने अपने प्रेस वक्तव्य में कहा है कि यह आयोग का सुनिश्चित दृष्टिकोण है कि छत्तीसगढ़ पुलिस और सरकार को उक्त कुकृत्यों के संबंध में आयोग के समक्ष अपना जवाब पेश करना चाहिए, क्योंकि उसकी करनियों से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को चुप कराने के लिए वह अपनी ताकत का बेजा इस्तेमाल कर रही हैं. इसलिए आयोग का यह कर्तव्य हो जाता है कि नागरिकों का पुलिस में विश्वास बनाए रखने, समाज में विधि का शासन स्थापित करने और आम जनता के मानवाधिकारों पर लोगों का विश्वास बहाल करने के लिए उचित कदम उठाएं.
आयोग ने छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव तथा आईजी कल्लूरी दोनों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश देते हुए पूछा है कि
क्यों न इस एफआईआर पर अन्वेषण का काम सीबी सीआइडी या सीबीआई को सौंप दिया जाएं?
माकपा सचिवमंडल ने कहा है कि इससे स्पष्ट हैं कि आयोग की नज़र में अकेक्ले कल्लूरी ही नहीं, छत्तीसगढ़ सरकार भी पूरी तरह से दोषी हैं, क्योंकि कल्लूरी के कुकृत्यों को भाजपा सरकार की शह हासिल हैं और इसलिए ऐसी 'नागरिकद्रोही' सरकार को, जो आदिवासियों की हत्या की मुहिम में शामिल हो, को सत्ता में एक मिनट भी बने रहने का हक नहीं है.
NHRC summons the Chief Secretary of Government of Chhattisgarh and IGP, Bastar to explain the allegations of hostility and abuse of power against Human Rights Defenders


