मायावती का भाजपा और भाजपा के गुलाम मीडिया पर जोरदार हमला
मायावती का पलटवार : तिलमिलाई भाजपा अब बसपा की छवि खराब करने पर उतरी
लखनऊ,27 दिसंबर। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री, मायावती ने आज भाजपा और भाजपा के गुलाम मीडिया पर जोरदार हमला बोला।
यहां अपने निवास 13, माल एवेन्यू, लखनऊ में मायावती ने एक प्रेस कांफ्रेन्स को सम्बोधित किया, जिसके मुख्य अंश:-
मीडिया बन्धुओं, आज की प्रेस कान्फ्रेंस खासतौर से उत्तर प्रदेश में जल्दी ही होने वाले विधानसभा आमचुनाव में भाजपा की इनके लोकसभा चुनावी वादाखिलाफी से व बिना पूरी तैयारी के लिए गये इनके नोटबन्दी के फैसले की वजह से इनकी हो रही हार के अन्देशे से दुःखी व परेशान होकर अब इस पार्टी व इनकी केन्द्र की सरकार के लोग अपनी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके, जो बसपा व इसकी सर्वोच्च नेतृत्व की छवि को खराब व धूमिल करने की पूरी-पूरी कोशिश में लगे हुये हैं, उससे खासकर यहाँ उत्तर प्रदेश की जनता को सावधान करने के लिए बुलाई गई है।
और इस सम्बन्ध में यहाँ मैं यह कहना चाहूँगी कि कल भाजपा द्वारा मैनेज (प्रयोजित) किये गये कुछ चैनलों व अखबारों आदि में, जिन पर भाजपा के ही बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों का ही पैसा लगाया हुआ बताया जाता है, उनके जरिये मिली जानकारी के मुताबिक बसपा द्वारा बैंक में जमा कराई गई धनराशि के बारे में मेरा यह कहना है कि बसपा ने अपने व आयकर विभाग के नियमों के मुताबिक ही चलकर अपनी एकत्रित हुई धनराशि को एक रूटीन प्रक्रिया के तहत् ही व हमेशा की तरह ही इसे बैंक में जमा कराया है जिसे ये लोग भाजपा के इशारों पर चलकर बसपा की छवि को खराब व धूमिल करने के लिये जान-बूझकर इसे तोड़-मरोड़कर काफी गलत तरीके से प्रदर्शित (उछाल) कर रहे हैं, जबकि इसी ही दौरान भाजपा सहित अन्य और पार्टियों ने भी अपना पैसा जमा कराया है लेकिन उनकी चर्चा तक भी नहीं होती है और ना ही उनकी खबरें मीडिया आदि में दर्शायी जाती है, तो यह सब इनकी दलित विरोधी मानसिकता नहीं है तो और क्या है?
वैसे भी यह बात सर्वविदित है कि देश में खासकर दलित विरोधी मानसिकता रखने वाली भाजपा व अन्य जातिवादी लोग यह कतई भी नहीं चाहते हैं कि यहाँ एक दलित वर्ग की बेटी के हाथों में केन्द्र व आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश की राजनैतिक सत्ता की मास्टर चाबी आये और फिर इस चाबी के जरिये वह देश के लगभग 90 प्रतिशत गरीबों व मेहनतकश एवं मध्यमवर्गीय लोगों को, जो इस समय केन्द्र में भाजपा व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के नोटबन्दी के बिना पूरी तैयारी के लिये गये फैसले से अभी तक भी हमें भारी कष्ट झेलते हुये ही नजर आ रहे है, ऐसी इस 90 प्रतिशत जनता के विकास व उत्थान के लिये वह कार्य करें, उन्हें यह अच्छा नहीं लगता है क्योंकि इससे फिर इनका व इनके बड़े-बड़े उद्योगपतियों व धन्नासेठों का पूँजीवाद का राज खत्म हो जायेगा, जो अभी तक भी हमें इनके नोटबन्दी के राज में बिल्कुल भी परेशान होते हुये नजर नहीं आ रहे हैं।
इसके साथ-साथ यहाँ मैं खासकर भाजपा व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को यह भी कहना चाहती हूँ कि यदि इनमें थोड़ी सी भी सच्चाई व ईमानदारी है तो इनको फिर बसपा के बैंक में जमा कराये गये धन को उजागर करने के साथ-साथ अपनी खुद की पार्टी के भी 8 नवम्बर से पहले के 10 महीनों का और साथ ही 8 नवम्बर के बाद के दौरान के भी बैंक में जमा किये गये धन के साथ ही अन्य ओर बड़े-बड़े कार्यों में भी इस्तेमाल किये गये धन को भी जरूर उजागर करना चाहिये, जिस पर ये लोग अभी तक भी चुप्पी साधे हुये हैं।
लेकिन इससे इनकी खासकर बसपा के प्रति जातिवादी मानसिकता के साथ-साथ इनकी राजनैतिक द्वेष की भी भावना साफ प्रदर्शित (उजागर) होती हुई हमें नजर आती है।
इसके साथ-साथ यहाँ मैं यह भी कहना चाहूँगी कि मान्यवर श्री कांशीराम जी के देहान्त के बाद मेरी देखभाल व सेवा के लिये मेरे पास रह रहे, मेरे छोटे भाई श्री आनन्द कुमार के परिवार ने भी, जो पिछले कई वर्षों से अपना खुद का कारोबार कर रहे हैं, उनसे भी मिली जानकारी के मुताबिक मेरा यह कहना है कि इन्होंने भी आयकर विभाग के नियमों के तहत् ही बैंक में अपनी धनराशि जमा कराई है, इसके अलावा कुछ भी नहीं है, लेकिन फिर भी इन सबकों भाजपा व केन्द्र की सरकार के लोग कुछ चैनलों व अखबारों आदि में एक सोची-समझी राजनैतिक साजिश के तहत् ऐसे प्रदर्शित करा रहे हैं कि जैसे यह धनराशि कालेधन व भ्रष्टाचार से जुड़ी हुई है, जिसकी बसपा कड़े शब्दों में निन्दा करती है।
इसके साथ ही खास सूत्रों से यह भी जानकारी मिल रही है कि बसपा में जो भी प्रभावशाली नेता हैं उन्हें भी षड़यन्त्र के तहत् ही शिथिल व परेशान करने के लिये उन पर भी भाजपा व इनकी केन्द्र की सरकार के लोग अपनी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके उन्हें भी परेशान करने में लगे हैं, किन्तु इससे भी इनको रत्तीभर भी लाभ मिलने वाला नहीं है।
इतना ही नहीं बल्कि बसपा को राजनैतिक नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से एक सोची-समझी साजिश के तहत् ही जब भी देश में लोकसभा व खासकर उत्तर प्रदेश में विधानसभा का आमचुनाव होता है तो तब भी केन्द्र की सत्ताधारी पार्टी अक्सर ताज प्रकरण मामले को भी ऐसे मीडिया में इसे प्रदर्शित कराती है, जैसे इसमें बसपा की मुखिया ने बहुत बड़ा घोटाला किया है, जबकि इस मामले में सच्चाई यह है और इसके बारे में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह को जरूर मालूम होना चाहिये कि ताज कारिडोर का प्रोजेक्ट ही कुल 175 करोड़ रुपये का पारित हुआ, जिसमें से केवल 17 करोड़ रूपये का ही कार्य बसपा के शासनकाल में हुआ है और यह कार्य भी केन्द्र सरकार की एक संस्था द्वारा ही किया गया था और जब यह कार्य हुआ तब उस समय केन्द्र में भाजपा की ही सरकार थी जबकि इस ताज कारिडोर के मामले में बसपा की सर्वोच्च नेतृत्व का किसी भी प्रकार का कोई भी सम्बन्ध दूर-दूर तक नहीं रहा है और इस प्रकरण की फाईल एक बार भी मेरे समक्ष किसी भी आदेश को पारित करने के लिए नहीं रखी गयी थी।
इसके साथ ही इस ताज प्रोजेक्ट के सम्बन्ध में ना मेरे द्वारा कोई आदेश निर्गत हुये हैं और ना ही इस मामले की फाईल पर कहीं भी मेरे हस्ताक्षर हुये हैं और यदि इस प्रकरण में उस दौरान कोई भी घपला आदि किया गया है तो वह तत्कालीन भाजपा की केन्द्र सरकार व उसकी संस्था द्वारा किया गया ही माना जायेगा। लेकिन फिर भी श्री अमित शाह यहाँ अपने भाषणों में अनर्गल बयानबाजी करके यहाँ कि जनता को गुमराह करने का गलत प्रयास करते रहते है। इन सबसे इनकी दलितों के प्रति आज भी हीन व जातिवादी मानसिकता साफ झलकती है।
और अब इनकी इन सब साजिशों व साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डों से यह बात भी जरूर स्पष्ट हो जाती है कि उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा आमचुनाव में सन् 2007 की ही तरह फिर से अब यहाँ बसपा की ही पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के लिए जा रही है जिसमें अर्थात् सन् 2007 में भी इन्होंने मेरे खुद के व मेरे भाई-बहनों एवं नजदीकी रिश्तेनातों आदि के विरुद्ध भी इससे भी कई गुणा ज्यादा घिनौनी हरकतें की थी अर्थात् इससे अब खासकर भाजपा एण्ड कम्पनी के लोगों को फायदा कम और नुकसान ज्यादा होगा।
इसका आप लोगों के सामने जीता-जागता उदाहरण सन् 2007 का उत्तर प्रदेश का हुआ विधानसभा आमचुनाव है जिसमें केन्द्र में रही पूर्व की भाजपा की सरकार ने ही मेरे खिलाफ बनाये गये जबरन आय से अधिक सम्पत्ति के मामले को फिर इस सन् 2007 के हुये विधानसभा आमचुनाव में इसे मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया था जिसे उत्तर प्रदेश की जनता ने नकार कर यहाँ फिर बसपा की ही अकेले पूर्ण-बहुमत की सरकार बनायी थी।
और अब फिर से उसी तर्ज पर यही भाजपा पार्टी केन्द्र में अपनी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके बसपा के खिलाफ ये घिनौने हथकण्डे इस्तेमाल कर रही है, जिसका अब यहाँ असर सन् 2007 की तरह ही होने वाला है अर्थात् सन् 2007 की तरह ही अब फिर से उत्तर प्रदेश की जनता यहाँ उत्तर प्रदेश में बसपा की अकेले ही पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली है, ऐसा मुझे उत्तर प्रदेश की जनता पर यह पूरा-पूरा भरोसा है।
और अब अन्त में, मेरा यही कहना है कि कल की प्रेस कान्फ्रेंस में मैंने सपा व कांग्रेस पार्टी के गठबन्धन को लेकर जो भाजपा के षड़यन्त्र का पर्दाफाश किया है, इससे ये भाजपा के लोग बहुत बुरी तरह से अब बौखला गये हैं व हिल गये हैं जिसके कारण ही, इन्होंने कल ही हमारी पार्टी व मेरे परिवार वालों के बारे में यह घिनौनी हरकत की है। लेकिन इससे भी अब हमारी पार्टी को ओर भी ज्यादा राजनैतिक फायदा होगा। इसके लिए मैं इनका खास आभार भी प्रकट करती हूँ और इसके साथ ही कुदरत से यह भी प्रार्थना करती हूँ कि भाजपा व इनकी केन्द्र की सरकार के लोग यदि नोटबन्दी की तरह ही ऐसे ही एक-दो और फैसले ले लेते हैं तो फिर हमारी पार्टी को यहाँ सत्ता में आना और भी ज्यादा आसान हो जायेगा। इन्हीं जरूरी बातों के साथ अब मैं अपनी बात यही समाप्त करती हूँ। धन्यवाद
प्रेस कान्फ्रेंस के बाद पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार जान-बूझकर बसपा व उसके शीर्ष नेतृत्व को अपना निशाना बना रही है क्योंकि हैदराबाद का रोहित वेमुला काण्ड व गुजरात के बर्बर दलित उत्पीड़न काण्ड के बाद दिनांक 8 नवम्बर के नोटबन्दी के मामले को भी सबसे पहले बसपा ने ही दिनांक 10 नवम्बर को प्रेस कान्फ्रेस करके दंेश के सामने रखा। तब तक खासकर नोटबन्दी के मामले में अन्य सभी विपक्षी पार्टियाँ सामने नहीं आयी थी।
इतना ही नहीं बल्कि संसद के भीतर व बाहर नोटबन्दी के अपरिपक्व व अधकच्चे फैसले के खिलाफ बसपा काफी मुखर रही और इस नोटबन्दी के कारण देश की लगभग 90 प्रतिशत गरीब, मजदूर, किसान, व्यापारी व अन्य मेहनतकश एवं मध्यम-वर्गीय जनता की परेशानियों व इससे जानलेवा साबित होने वाली दिक्कतों को भी उजागर किया, जिसका सन्तोषजनक जवाब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार नहीं दे पायी तथा स्वयं प्रधानमंत्री संसद के भीतर कुछ भी जवाब देने से कतराते रहे। इन्हीं सब कारणों से बसपा को खासकर भाजपा व केन्द्र में उनकी सरकार द्वारा टारगेट किया जा रहा है और उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव से पहले बसपा के शीर्ष नेतृत्व की छवि को धूमिल करने का षड़यन्त्र रचा जा रहा है, जैसाकि हर चुनावों से पहले बसपा के खिलाफ ‘‘ताज प्रकरण‘‘ को उछालकर किया जाता रहा है।
इसके अलावा, नोटबन्दी के कारण बैंकों की लाइनों में खड़े लोगों में से करीब एक सौ से भी ज्यादा लोगों की दुःखद मृत्यु पर संसद में संवेदना प्रस्ताव की माँग बसपा ने ही की तथा उनके परिवार वालों को 3-3 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की भी माँग की, जिससे भाजपा व केन्द्र में इनकी सरकार काफी विचलित हुई और इसी ही कारण अब इन्होंने बसपा व उसके शीर्ष नेतृत्व एवं इनके परिवार के नजदीकी सदस्यों के खिलाफ द्वेष की कार्रवाई शुरू की है।