नई दिल्ली/ लुधियाना। मारुति-सुजुकी मजदूरों के हक में जहाँ राजधानी दिल्ली में 19 मई से ही हरियाणा भवन पर विरोध प्रदर्शनो का सिलसिला जारी है वहीं पंजाब के कई संगठनों ने हरियाणा के उद्योग मन्त्री रणदीप सुरजेवाला के घर के सामने शान्तिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे मजदूरों और उनके परिवार वालों पर बर्बर लाठीचार्ज कड़ी निन्दा करते हुये आवाज उठायी है

इस सरकारी तानाशाही के विरोध में राजधानी दिल्ली में 19 मई से ही हरियाणा भवन पर विरोध प्रदर्शनो का सिलसिला जारी है। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, छात्रों और तमाम संगठनों ने रोष प्रकट किया है। मुख्यमन्त्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से दिल्ली में उनके बेटे के निवास पर कुछ संगठनों ने मुलाकात कर विरोध जताया और न्याय की माँग की। देश के अन्य हिस्सों से भी विरोध प्रदर्शनों की खबरें मिल रही हैं। उत्तराखण्ड के रुद्रपुर में विभिन्न यूनियनों-संगठनों ने जिलाधिकारी के माध्यम से हरियाणा सरकार को ज्ञापन भेजा है।
इस बीच मारुति-सुजुकी वर्कर्स यूनियन की प्रोविजनल कमेटी ने ऐलान किया है कि जबतक न्याय नहीं मिलता, उनका संघर्ष जारी रहेगा। कोई भी सरकारी दमन उनके हौसले पस्त नहीं कर सकती।

लुधियाना में कारखाना मजदूर यूनियन, पंजाब के संयोजक लखविन्दर, टेक्सटाइल हौजरी कामगार यूनियन, पंजाब के अध्यक्ष राजविन्दर, नौजवान भारत सभा के संयोजक छिन्दरपाल और शहीद भगतसिंह विचार मंच के अध्यक्ष प्रो. ए. के . मलेरी ने मारुति सुजुकी के मजदूरों की हरियाणा सरकार द्वारा जबरन गिरफ्तारी और उनके परिवारों पर बर्बर लाठीचार्ज कड़ी निन्दा की है। कारखाना मकादूर यूनियन, पंजाब के संयोजक लखविन्दर ने एक विज्ञप्ति जारी करते हुये कहा कि पहले तो 18 मई की आधी रात को अचानक पुलिस ने धरना स्थल से 96 मजदूरों को गिरफ्तार किया और पूरे कैथल में धारा 144 लगा दी। फिर इससे भी घिनौनी कार्रवाई करते हुये 19 मई को कैथल में उद्योग मन्त्री रणदीप सुरजेवाला के घर के सामने शान्तिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे मजदूरों और उनके परिवार वालों पर अचानक पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज शुरू कर दिया और वाटर कैनन की बौछार और आँसू गैस के गोले भी फेंके। इसमें महिलाओं सहित बड़ी संख्या में प्रदर्शन कर रहे लोगों को गम्भीर चोटें आयी हैं।

प्रेस विज्ञप्ति में लखविन्दर ने कहा है कि पिछले दो महीने से मारुति सुजुकी के मकादूर कैथल में धरने, भूख हड़ताल, रैलियों, प्रदर्शन कर रहे हैं। 18 जुलाई को मारुति सुजुकी के मानेसर संयन्त्र में हुयी तोड़-फोड़ व आगजनी की घटना की किसी भी जाँच के बिना ही 150 मजदूरों को झूठे अपराधिक केसों में जेल में ठूँस रखा है। मजदूरों की माँग है कि जेल में बन्द सभी मजदूरों को रिहा किया जाये, 66 मजदूरों के गैर-जमानती वारन्ट रद्द किये जायें, 18 जुलाई की घटना नियायिक जाँच हो और निकाले गये 546 स्थाई व 1800 अस्थाई मजदूरों को नौकरी पर बहाल किया जाये।

लखविन्दर ने कहा कि पूरी तरह जायज माँगों को लेकर शांतिपूर्ण संघर्ष कर रहे मजदूरों के बर्बर दमन की इस घटना ने यह साफ़ कर दिया कि हरियाणा सरकार कॉर्पोरेट घरानों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ मिलकर बर्बर तानाशाही पर उतर आयी है। 18 और 19 मई की पूरी पुलिसिया कार्रवाही को एक प्रतीक घटना के रूप में देखा जाना चाहिये। मारुति के मजदूरों का संघर्ष पूरे देश के औद्योगिक क्षेत्रो में जायज हकों की माँगों को लेकर संघर्षरत मजदूरों की ही एक कड़ी है।

संगठनों ने माँग की है कि 19 मई को गिरफ्तार किये गये मजदूरों और उनके परिवार वालों को तुरन्त रिहा किये जाये, लाठीचार्ज के दोषी पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों को निलम्बित किया जाये और मारुति-सुजुकी मजदूरों के संघर्ष की सारी माँगें तुरन्त मान कर उन्हें इंसाफ दिया जाये।