मोदी बताएं कि भाजपा के घोषणा पत्र में क्यों नहीं है रोजगार के अधिकार का सवाल
पूर्व वित सचिव भारत सरकार एस0 पी0 शुक्ला की आम चुनाव 2014 पर लिखी पुस्तिका की जारी
वाराणसी, 23 अप्रैल 2014, आज वाराणसी में आयोजित कार्यकर्ताओं की बैठक में आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने रोजगार को मौलिक अधिकार अभियान के तहत वाराणसी में लोकसभा चुनाव में वोट के दावेदारों से जनता के कुछ जरूरी सवाल शीर्षक के पर्चे और भारत सरकार के पूर्व वित्त, वाणिज्य सचिव व योजना आयोग के सदस्य एस0 पी0 शुक्ला द्वारा आम चुनाव 2014 पर लिखी पुस्तिका ‘एक ओर कुआं-दूसरी ओर खाई?’ को जारी करते हुए कहा कि आज देश में कारपोरेटीकरण के खिलाफ अवाम के लिए व्यक्तियों के नहीं नीतियों के विकल्प की जरूरत है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से वाराणसी में जनराजनीति के लिए, प्रगतिशील ताकतों को मजबूत करने की अपील की। उन्होंने कहा कि मोदी लहर का मिथ खड़ा किया जा रहा सच तो यह है कि और जगह की बात छोड़ दे जिस वाराणसी में मोदी लड़ रहे है वहीं उनकी कोई लहर नहीं है। इसी वाराणसी का हिस्सा रहे चंदौली तक में जहां की दो विधानसभा वाराणसी में आती है भाजपा बुरी तरह हार रही है।

आज जारी पर्चे में आइपीएफ ने वाराणसी में लोकसभा चुनाव में वोट के दावेदार मोदी, केजरीवाल, कांग्रेस, सपा, बसपा से सवाल पूछे है। पर्चे में मोदी से जबाब मांगा गया है कि राष्ट्र निर्माण में युवाओं की बड़ी भूमिका की वकालत करनें वाली भाजपा के घोषणा पत्र में रोजगार के अधिकार को संविधान के मौलिक अधिकार में शामिल करने की बात क्यों नहीं है। टाटा के 2 हजार करोड़ के नैनो प्लांट के लिए गुजरात सरकार द्वारा महज 0.1 फीसदी ब्याज दर पर 9570 करोड़ रूपये क्यों दिया गया। गुजरात में अडानी जैसे पूंजीपतियों को किसानों से हजारों हेक्टेयर जमीन छीन कर एक रूपये प्रति वर्ग मीटर दाम पर क्यों दी गयी और बहुचर्चित गुजरात विकास माडल में किसानों की आत्महत्यायें, कुपोषण, शिक्षा-स्वास्थ्य के खर्च में भारी कटौती और पूंजी घरानों को लूट की खुली छूट क्यों मिली हुई है।

पर्चे में वाराणसी में आप के प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल से पूछा गया कि उन्हें वाराणसी की जनता को बताना चाहिए कि भ्रष्टाचार की गंगोत्री कारपोरेट घराने उनके जनलोकपाल के दायरे में क्यों नहीं है। सब कुछ बाजार के हवाले करने की कांग्रेस, भाजपा की नीतियों के वह क्यों पैरोकार बने हुए हैं और उनके विकल्प का क्या हुआ।

पर्चे में कांग्रेस, भाजपा से पूछा गया है कि अन्धा-धुन्ध महंगाई बढ़ाने वाले वायदा कारोबार पर रोक क्यों नहीं, अंबानी के गैस घोटाले में मिलीभगत क्यों? इनके साथ सपा, बसपा से भी पूछा गया कि किसानों को लागत का डेढ़ गुना दाम देकर उन्हें आत्महत्या व तबाही से बचाने के लिए जरूरी कृषि लागत मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा क्यों नहीं दिया गया। सरकारी/अर्द्ध सरकारी/निजी प्रतिष्ठानों एवं शैक्षिक संस्थाओ में संविदा पर काम करनें वाले करोड़ों श्रमिकों, कर्मचारियों, शिक्षकों का नियमितीकरण व वेतनमान क्यों नहीं हुआ। पर्चे में कहा गया कि कांग्रेस, सपा, बसपा को जनता को बताना होगा कि सांप्रदायिक हिंसा निरोधक कानून संसद द्वारा पारित क्यों नहीं कराया गया।

अखिलेन्द्र द्वारा जारी भारत सरकार के पूर्व वित्त, वाणिज्य सचिव व योजना आयोग के सदस्य एस0 पी0 शुक्ला द्वारा आम चुनाव 2014 पर लिखी पुस्तिका ‘एक ओर कुआं-दूसरी ओर खाई?’ में कहा गया है जन विरोधी नीतियों पर कांग्रेस, भाजपा समेत तमाम क्षेत्रीय दलों में आज आम राय है। इन नीतियों ने देश को गहरे आर्थिक संकट, महाघोटालों, महंगाई, बेरोजगारी तथा असुरक्षा के माहौल में धकेल दिया है। आम आदमी पार्टी भी इन्हीं नीतियों की पैरोकार बनी हुई है। इसलिए देश को आज नीतियों के विकल्प की जरूरत है, दलों या नेताओं के विकल्प की नहीं।