प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी के बारे में जानकारी प्रोफ़ेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी (Jagdishwar Chaturvedi) — कोलकाता विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के विद्वान, वामपंथी चिंतक, मीडिया आलोचक तथा लेखक मथुरा में जन्मे जगदीश्वर चतुर्वेदी ने आरंभिक शिक्षा संस्कृत माध्यम से प्राप्त की और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से सिद्धांत ज्योतिषाचार्य की उपाधि (1979) पाई। बाद में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. (1981), एम.फिल (1982), व पीएच.डी. (1986) की उपाधियाँ प्राप्त कीं। 1984–85 में उन्होंने जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्षता की और 1989 में कोलकाता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रवक्ता नियुक्त हुए। बाद में 1993 में रीडर और 2001 में प्रोफेसर बने, वहीं 2016 में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने तीन बार विभागाध्यक्ष का दायित्व भी संभाला। जगदीश्वर चतुर्वेदी वामपंथी चिंतक के रूप में जाने जाते हैं जिन्होंने मीडिया, सूचना समाज, और जनमाध्यम तक्नोलॉजी पर लगातार आलोचनात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने सोशल मीडिया के क्षेत्र में प्रगतिशील नेटवर्क निर्माण की बातें कीं, जहाँ परंपरागत मीडिया से आगे बढ़कर वर्चुअल जोरदार लोकतंत्र साधना संभव हो सके। उनकी विचारधारा ने लोकतंत्र, संवैधानिक अधिकारों और मीडिया की भूमिका पर विश्लेषणात्मक विमर्श स्थापित किया है जगदीश्वर चतुर्वेदी के लेखन-कार्य का केंद्र मीडिया, संस्कृति, समाज और राजनीति के बीच संबंध रहा है। उनकी कुछ प्रमुख पुस्तकें: दूरदर्शन और सामाजिक विकास (1991) मार्क्सवाद और आधुनिक हिंदी कविता (1994) जनमाध्यम और मासकल्चर (1996) हिंदी पत्रकारिता के इतिहास की भूमिका (1997) माध्यम साम्राज्यवाद (2002) टेलीविजन, संस्कृति और राजनीति (2004) साम्प्रदायिकता, आतंकवाद और जनमाध्यम (2005) युद्ध, ग्लोबल संस्कृति और मीडिया (2005) हाइपर टेक्स्ट, वर्चुअल रियलिटी और इंटरनेट (2006)