मिल्लत माफ नहीं करेगी खून से सने दस्तरखानों पर बैठने वालों को- मो0 शुऐब
मिल्लत माफ नहीं करेगी खून से सने दस्तरखानों पर बैठने वालों को- मो0 शुऐब
इतिहास कभी कौम से गद्दारी को माफ नहीं करता- रिहाई मंच
मुलायम को भारी पड़ेगे बेगुनाहों की रिहाई के लिये दुआ के लिये उठे हाथ
ईद के दिन काली पट्टी बांधकर अवाम करेगी सपा सरकार का विरोध
लखनऊ 05 अगस्त। उत्तर प्रदेश की सपा सरकार द्वारा आयोजित रोजा इफ्तार में शिरकत करने वाले लोग अवाम के साथ धोखेबाजी कर रहे हैं। सपा सरकार के हाथ बेगुनाह मौलाना खालिद की हत्या से निकले खून से रंगे हुये हैं। जिन्होंने सरकार के इस अफ्तार में भाग लिया है वे कौम के गद्दार हैं। हमारी लड़ाई हक और इंसाफ के लिये है तथा हम मुसलमानों के अंधेरे भविष्य को लेकर चिंतित हैं। जिन कथित उलेमाओं और दलाल मुस्लिम नेताओं ने मुख्यमंत्री के रोजा इफ्तार में शिरकत की, उनकी गिनती इतिहास के पन्नों में मीरजाफर और जयचन्द सरीखे गद्दारों में होगी।
उपरोक्त बातें रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने खालिद मुजाहिद की हत्या के बाद उनके कातिल पुलिस और खुफिया अधिकारियों को तुरंत गिरफ्तार करने की माँग को लेकर पिछले 76 दिनों से चल रहे रिहाई मंच के अनिश्चित कालीन धरने को संबोधित करते हुये कहीं।
उन्होंने कहा कि यह कितने शर्म की बात है कि अपने को लोहिया का वारिस बताने वाली सपा सरकार आज लोकतंत्र की हत्या करने पर उतारू हो चुकी है। प्रदेश के हिन्दू और मुसलमानों को, शिया तथा सुन्नीयों को आपस में लड़ाने का खेल खेल रही है। सरकार की केवल एक ही उपलब्धि है बत्तीस दंगे और बेकसूरों की पुलिस हिरासत में हत्या। उन्होंने कहा कि मुलायम सरकार का आगामी लोकसभा चुनाव में जनाजा निकलना तय है। उसकी पटकथा रिहाई मंच के लोग धरना स्थल पर बैठकर रोज लिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि सपा सरकार की वादा खिलाफी के चलते आतंकवाद के नाम पर कैद हमारे बेगुनाह भाई जेलों में ईद के मौके पर बेबस सलाखों के पीछे पड़े हैं। उनके परिजन इस मौके पर मायूस हैं और ये कौम के दलाल लोग उन्हीं हुक्मरान के यहाँ इफ्तार कर रहे हैं।
धरने को संबोधित करते हुये इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि विधानसभा का मानसून सत्र न बुलाकर सपा सरकार सिर्फ मुसलमानों को ही धोखा नहीं दे रही है बल्कि सपाई गुण्डा राज से त्रस्त सूबे के पूरे आवाम को धोखा दे रही है क्योंकि लोकतंत्र में सदन के भीतर ही जनता के सवालों का जवाब देना होता है। लेकिन यह सरकार इन सवालों से डरी हुयी है।
धरने को संबोधित करते हुये सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात ने कहा कि आज इस सरकार में मुसलमानों के पूजा स्थल पर सांप्रदायिक लोगों द्वारा जबरन कब्जा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक जेहनियत के लोग अल्पसंख्यक मुसलमानों को धमकाते रहते हैं। उन्होंने कहा कि बदायूँ जिले में एक गाँव बकसुआ है जहाँ पर मदरसा चलता है। यह सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव का निर्वाचन क्षेत्र है। गाँव की सांप्रदायिक ताकतों ने पहले मस्जिद पर लगे माइक को उतरवा दिया और उसके बाद अब अजान भी नहीं करने देते। इस समय गाँव में भय का माहौल है। भय का आलम यह है कि मुसलमान माइक पर नमाज नहीं पढ़ सकते। उन्होंने सवाल दागा कि क्या यही इस देश का लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के ओरैया में मुसलमानों को मस्जिद नहीं बनाने दी जा रही है और यहाँ सरकार इफ्तार का ड्रामा रच रही है। उन्होंने पूछा कि इसकी क्या जरूरत है। औरैया में पिछले बीस सालों में मस्जिदों पर कब्जा करने का खेल बेखौफ जारी है। आजमगढ़ की लोहरा मस्जिद में सुप्रीम कोर्ट से मुकदमा जीतने के बाद भी लोग बकरीद पर कुर्बानी नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्री के इशारे पर अस्थान में जो दंगा हुआ उसमें नाबालिग लड़कों पर गैंगस्टर लगा दिया गया। अब सब सच्चाई खुलकर सामने आ गयी है। इस सरकार में प्रदेश के मुसलमान बिल्कुल ही सुरक्षित नही हैं।
धरने को संबोधित करते हुये मुस्लिम मजलिस के प्रवक्ता जैद अहमद फारूकी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव और उनका कुनबा इस मुगालते में न रहे कि सरकार परस्त उलेमाओं को इफ्तार कराकर डेढ़ साल में बत्तीस दंगे, वरुण गांधी जैसे दंगाई पर से मुकदमा हटवाने, खालिद मुजाहिद की हत्या और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नैजवानों को छोड़ने के वादे से वादा खिलाफी से मुसलमानों में चल रहे सपा विरोधी लहर को नहीं रोक सकते। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और सपा के वोटों से राज्य सभा में पहुँचने वाले एक सांसद अपने को स्वतंत्र सांसद बताते हुये प्रदेश में 2014 के चुनाव में फेडरल फ्रंट बना कर मुस्लिम उम्मीदवारों को लड़ाने की बात करके मुसलमानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें सबसे पहले तो यह बताना चाहिए कि वे अपने को स्वतंत्र सांसद संविधान के किस नियम के अनुसार बताते हैं। उन्हें बताना चाहिए कि राज्य सभा में आये हर प्रस्ताव पर वे कांग्रेस के पक्ष में क्यों वोट देते हैं।
धरने को संबोधित करते हुये उन्नाव से आये पत्रकार आलोक अग्निहोत्री ने कहा कि रिहाई मंच के इस धरने ने केवल खालिद मुजाहिद की शहादत के सवाल को ही नहीं वरन व्यापक कौम के सवालातों को एक व्यापक आयाम दिया है जिससे सपा सरकार की बुनियाद हिल गयी है। मंच ने अपनी मांगों मे जो लोकतांत्रिक सवाल उठाए हैं उनको पूरा करने की हिम्मत सपा सरकार में नहीं है। इसीलिये वह मानसून सत्र को लगातार टालती जा रही है और पूरे प्रदेश के व्यापक जनवादी सवालों की भी उपेक्षा कर रही है जबकि उसे निमेष कमीशन की रिपोर्ट को जल्द से जल्द विधानसभा के पटल पर लाकर जनता के बीच आम करना चाहिए। जिससे जेलों में बंद बेगुनाहों को रिहाई मिलने का रास्ता साफ हो जाय। मंच ने 2014 के आम चुनाव के लिये आम जनमानस की आखों पर एक साफ सुथरा निष्पक्ष चश्मा पहना दिया है। अब सारी जनपक्षीय व जनवादी ताकतों को एक मंच पर आकर जनता को सही नेतृत्व प्रदान करना चाहिए।
भारतीय एकता पार्टी(एम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद मोईद अहमद ने कहा कि अलविदा की नमाज में जिस तरह मुसलमानों ने बेगुनाहों की रिहाई के लिये दुआ मांगी वह जम्हूरियत की लड़ाई के इतिहास में एक अहम घटना थी। जिसका खामियाजा सपा को भुगतना होगा। उन्हांेने आवाम से अपील की कि ईद की नमाज में भी बेगुनाहों की रिहाई के लिये दुआ मांगें और बाजुओं पर भी पट्टी बाँधकर जेलों में कैद बेगुनाहों के गम में भी शरीक हों।
धरने को संबोधित करते हुये पिछडा़ समाज महासभा के एहसानुल हक मलिक और शेख इरफान ने कहा कि मुलायम और अखिलेश के यहां जो उलेमा इफ्तार करने गये थे वे अपने इलाकों से एक छोटा सा चुनाव भी नहीं जीत सकते। अगर मुलायम इन दलालों के जरिये 2014 में प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुलायम पर अब उम्र हावी होने लगी है।
धरने का संचालन तारिक शफीक ने किया। इस अवसर पर बबलू यादव, कमर इरशाद, मोहम्मद असलम, इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी फहीम सिद्दीकी, पीसी कुरील, मोहम्मद फैज, राजेश कुमार, ब्रजेश कुमार, शिदास प्रजापति, यास्मीन बानो, आदियोग, हरेराम मिश्र, राजीव यादव शाहनवाज आलम इत्यादि मौजूद थे।
उधर कल धरने के 75वें दिन धरना स्थल पर आयोजित इज्तेमाई दुआ व रोजा इफ्तार में शिया सुन्नी समेत मुसलमानों के सभी फिरकों व बड़ी तादात में हिन्दू भी शामिल हुए। इस अवसर पर सूफी उबैर्दुरहमान की इमामत में देश में अमन व शांति की दुआ की गयी। रोजेदारों ने अल्लाह के बार गाह में हाथ बुलंद करके दुआ की कि प्रदेश की जेलों में आतंकवाद के नाम पर बंद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की रिहाई हो और खुदा इसके लिए सूबे के हुक्मरानों को सद्बुद्धि दे जिन्होंने इन मुस्लिम बेगुनाह नौजवानों को छोड़ने के वादे के साथ ही हुकूमत मे पहुंची है। दुआ में लोगों ने देश में सभी कौमों के बीच प्यार मोहब्बत और भाईचारे की कामना की। रिहाई मंच ने जो यह अजीम काम की शुरुआत की है अल्लाह इनके काम का कुबूल फरमाए और हक को बुलन्दी अता फरमाए, बातिल को पस्त कर दे। हमें उम्मीद है कि भूखे-प्यासों की दुआ अल्लाह जरुर कबूल फरमाएगा। खलिद का खून इंसा अल्लाह जरुर रंग लाएगा। जो बेगुनाह जेलों में बंद है अल्लाह उनके रिहाई का सबब पैदा करे और गुनाहगारों को सलाखों के पीछे। अजान हाजी फहीम सिद्दीकी ने दी।
इस अवसर पर मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय, आदि योग, विकार रिजवी, मौलाना ताहिर मदनी, शकील रिजवी सैयद मोईद अहमद, जैद अहमद फारूकी , हरे राम मिश्र, बाबर नकवी, फैजान मुसन्ना, एहसानुल हक मलिक, मोहम्मद शुऐब, शिवदास, तारिक शफीक समेत लगभग पांच सौ लोग मौजूद थे।


