रणधीर सिंह सुमन

बाराबंकी। गरीबों के नाम पर यूॅ तो ढेर सारी सरकारी योजनाएं लगभग हर सरकार के शासन काल में बनती है परन्तु उसका कितना लाभ वास्तव में गरीबो के हिस्से मे आता है, इसका ज्वलन्त उदाहरण है नगर कोतवाली स्थित मोहल्ला घोसियाना के आजाद नाम के एक गरीब की मौत जो विगत सप्ताह कड़ाके की ठण्ड में इस दुनिया से अपने परिवार की कच्ची खेती छोड़कर उठ गया। काश उसे सिर छुपाने के लिए मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट मा0काॅशी राम शहरी गरीब आवास योजनांर्तगत आवास मिल गया होता तो पन्नी तान कर खुले आसमान के नीचे रहने वाला यह परिवार आजाद की मौत के बाद यतीम व बेसहारा न हुआ होता।
मुख्यमंत्री मायावती ने वर्ष 2009 में शहरो मे रहने वाले गरीब परिवारो के लिए जो फुटपाथो पर या फिर खाली सरकारी जमीनो पर अवैध रुप से झोपड़ो व कच्चे मकानो में अपनी जिन्दगी गुजार रहे थे, एक आवासीय योजना बनायी थी।जिसका नाम उन्होने बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक काॅशी राम के नाम पर रखा था। इस योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारो विधवाओ विकलांगो इत्यादि को प्राथमिकता के आधार पर यह आवास निशुल्क उपलब्ध कराए गए थे। बाद में उन लोगो को भी इस योजना मे ंशामिल कर लिया गया था। जिनके पास गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने का कार्ड तो नही मौजूद था। परन्तु उनके पास सर छुपाने के लिए कोई घर मौजूद नही था।
कंाशीराम योजना का क्रियान्वयन करते समय जिला प्रशासन ने वही रवैया अपनाया जैसा कि अधिकांश सरकारी योजना में उनका किरदार रहता है। हजारों की संख्या में आए प्रार्थना पत्रो की जाॅच राजस्व कर्मियो की माध्यम से नगर मे करायी गयी जिन्होने सभासदो के साथ मिलकर भ््राष्टाचार का जो काकस तैयार किया तो फिर पात्र तो अधिकांशतः इस सुविधा से वंचित रह गए और अपात्रो को यह आवास आवण्टित हो गए। सभासदो ने दस से बीस हजार रुपये तक इस योजना में आवास दिलाने के नाम पर लिए और काॅशीराम कालोनी में क्वार्टर उन्ही लोगो को ज्यादातर मिले जिन्होने दाम खर्च किए थे। जिलाधिकारी द्वारा कई बार आवण्टन के सम्बन्ध में जाॅच करायी गयी परन्तु सारी कवायद मात्र औपचारिकता तक ही सीमित रही और गरीब व पात्र व्यक्ति पैसा न दे पाने के कारण इन आवासो को प्राप्त करने के लिए जिलाधिकारी से लेकर अन्य अधिकारियांे तथा जनप्रतिनिधियों की चैखट पर गिड़गिडाते रहें।
उन्ही में से एक आजाद (45) पुत्र मुन्नू घोसी नि0मो0 घोसियाना भी था जिसके पास गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने की सनद यानि बी0पी0एल0कार्ड था और उसने भी काॅशीराम योजना में आवास पाने का प्रार्थना पत्र दिया था। परन्तु उसका भी वही हश्र हुआ जो अन्य उसके जैसे गरीबो का हुआ था। वह इधर से उधर अफसरान के पास दौड़ता रहा फरियादे करता रहा लेकिन उसकी सुनवायी कहीं भी नही हुई अंत में कुछ राजनेता उसे व उस जैसे अन्य गरीबो को लेकर कलेक्ट्रट धरना देने पहॅुच गए इसका भी असर उल्टा हुआ और प्रशासन ने उन गरीबो का चिन्हीकरण करते हुए उनके घर जाॅच के नाम पर जाकर यहाॅ तक धमका दिया कि अब देखें उन्हे कौन यह आवास दिलाता है और हुआ भी यही। दर्जनो ऐसे गरीब जो अपने हक की आवाज उठाने धरने के माध्यम से कलेक्ट्रेट में जमा हुए थे उनकेा छाट छाट कर योजना से किनारे कर दिया गया। और ऐसे लोगो के नाम क्वार्टर दिए गए जिनके पास अपने पैतृक मकान थे या देहात में मकान थें और जो राजस्व कर्मियों व अन्य दलालो की मुटठी गरम करने की ताकत रखते थे। एक सभासद ने तो अपने क्षेत्र के एक गरीब केी पैतृक भूमि का सौदा काॅशीराम आवास दिलाने के नाम पर मुफ्त मे कर लिया चूॅकि वह गरीब भू स्वामी तो था परन्तु उस पर इमारत खड़ा करने का बूता उसके पास न था।
घोसियाना निवासी आजाद जो कि दीपावली व होली तथा ईद बकरीद पर लोगो के धर पेण्टिंग करके चमकाया करता था परन्तु अपने निजी घर के लिए तरस तरस कर व तड़प तड़प कर मर गया आज भी उसकी विधवा, उसकी चार बच्चियां व एक अबोध बालक उसी फटी हुई पन्नी के सहारे इस कड़ाके की ठण्ड में अपनी राते उपर वाले के सहारे गुजार रहे है। आजाद जिस स्थान पर किराए की जमीन पर रहता है इत्तिफाक से वहाॅ दुर्गापुरी वार्ड व नेहरु नगर वार्ड की सीमा टकराती है उसका वोट लेने दोनो ही वार्डो के सभासद आते रहे है। दोनो वार्डो में सभासदों ने वोटर लिस्ट मे उसके परिवार का नाम दर्ज करा रखा है परन्तु बेरहम सभासदों को उसकी हालत पर रहम नही आया और न आगे आने की कोई उम्मीद नजर आ रही है।