मुज़फ्फरनगर के बाद अब अयोध्या में समाजवाद का तांडव जारी है !
मुज़फ्फरनगर के बाद अब अयोध्या में समाजवाद का तांडव जारी है !
सांप्रदायिकता के खिलाफ अग्रदूत युगलकिशोर शरण शास्त्री की अयोध्या में गिरफ्तारी
अभी आज ही झाँसी में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव कह रहे थे कि कुछ लोग उत्तर प्रदेश को गुजरात बनाना चाहते हैं। अब पता नहीं कि वे कुछ लोग कौन हैं लेकिन इतना अवश्य है कि नेता जी का प्रशासन पूरी तरह से गुजरात मॉडल पर काम कर रहा है और नेता जी के बेटा जी भी गुजरात की तर्ज पर पत्रकारों को हड़का रहे हैं। बहरहाल ताजा खबर यह है कि बाबरी मस्जिद विध्वँस षडयंत्र केस में सीबीआई के गवाह और सांप्रदायिकता के खिलाफ पूरी शिद्दत के साथ आवाज़ उठाने वाले अयोध्या के गांधी के नाम से मशहूर महंत युगलकिशोर शरण शास्त्री को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
शास्त्री दो दशक से अधिक समय से सद्भाव की मुहिम सक्रिय रहे हैं, जिससे वह लगातार सांप्रदायिक ताकतों के निशाने पर रहे हैं। कल उनका अयोध्या में एक कार्यक्रम है। इन दिनों अपने जुझारू तेवर के वजह से वह प्रशासन के रडार पर थे। शास्त्री ने12 जनवरी रविवार को 11 बजे दिन मे सरयुकुंज मंदिर अयोध्या में जन पंचायत का कार्यक्रम आयोजित किया है। इस पंचायत मे शीश पैगंबर प्रकरण पर चर्चा होनी थी।
अयोध्या से हमारे संवाददाता शाह आलम ने दूरभाष पर बताया कि बीती रात को 11बजे शास्त्री जी को पूछताछ के लिए बुलाया था, आज दिन मे 10 बजे श्रीराम जमभूमि थाना फिर से बुलाया था, उसके बाद नाटकीय तरीके से श्रीराम चिकित्सालय मे मेडिकल कराकर फ़ैज़ाबाद जेल भेज दिया। उन्होंने बताया कि फ़ैज़ाबाद के एक राज्यमंत्री और जिला प्रशासन ने 12 दिसंबर का कार्यक्रम नहीं करने देना चाहता था। शाह आलम की रात में उनसे कई बार बात हुई थी इस मामले पर।
अजब इत्तेफाक है कि शाह आलम ने 9 जनवरी को ही फेसबुक पर स्टेटस अपडेट किया था- “भाई Akhilesh Yadav ...यहाँ का जिला प्रशासन घोर सांप्रदायिक हो चला है ... बहुत करेगा तो टुच्चे हथकंडे अपना कर जिला जिला जेल भेज देगा न....वैसे इसी जेल मे अपने बड़े भाई अमर शहीद अशफाक उल्ला खां ने यहाँ कई सर्द रातें गुजारी हैं #Ayodhya”
शास्त्री जी ने भी फेसबुक पर कल रात ही स्टेटस अपडेट किया था- “अभी अभी थाना rjb अयोध्या से वापस हुआ हूँ।डेढ़ घंटे पहले आधा दर्जन पुलिस मेरे मंदिर मे आ धमके ओर कहा की आपको co साहब बुलाये है।थाने मे मुझे एक घंटा बिठाये रखा गया ओर अपनी गाड़ी से मुझे अपने निवास पर छोड़ दिया।दरअसल मे हमने 12 जनवरी को अयोध्या के शीश पैगंबर कांड को लेकर जन पंचायत बुलाया है।जिसके कारण प्रशासन बे बजह परेशान है।भाई मै तो शांतिपूर्ण तरीके से अपना प्रोग्राम करना चाहता हूँ,मुझे कष्ट है की रात्री मे थाने मे क्यों बुलाया गया।“
बीती 4 जनवरी को ही दिल्ली में गांधी शान्ति प्रतिष्ठान में शास्त्री जी से हस्तक्षेप के संपादक अमलेन्दु उपाध्याय की मुलाकात हुई थी और वह अयोध्या की शीश पैगंबर दरगाह में तोड़-फोड़ में प्रशासन के रवैये पर काफी चिंतित थे। उनका कहना था कि घटनास्थल पर जो एक जोड़ी जूते मिले हैं, वह सरकारी वर्दी के लगते हं और प्रशासन इस मामले में झूठी कहानी गढ़ रहा है।
शास्त्री जी की गिरफ्तारी के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा है। पत्रकार शाहनवाज मल्लिक ने कहा है- मुज़फ्फ़रनगर के दंगाईयों की रिहाई, केस वापसी की तैयारी और शांति के लिए काम कर रहे संत Yugal Kishore Saran Shastri की गिरफ्तारी। समाजवाद का तांडव जारी है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता समर अनार्या और गिरिजेश तिवारी ने कहा है-साम्प्रदायिक सद्भाव के अथक योद्धा संत Yugal Kishore Saran Shastri को उत्तर प्रदेश पुलिस ने अयोध्या में गिरफ्तार कर लिया है। शास्त्री जी विश्व हिन्दू परिषद की साम्प्रदायिकता का जहर फैलाने की कोशिशों के खिलाफ लगातार लड़ते रहे हैं। मुज़फ्फरनगर के बाद अब अयोध्या में समाजवाद के इस नए चेहरे के खिलाफ प्रतिरोध तेज करिये।
पूरे प्रकरण पर अयोध्या से हमारे संवाददाता शाह आलम की विस्तृत रिपोर्ट
अयोध्या। बाबरी मस्जिद विध्वंस के 17वें गवाह युगल किशोर शरण शास्त्री को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। युगल ने 12 जनवरी को अपनी मंदिर मे जनपंचायत आयोजित करने जा रहे थे। यहाँ का जिला प्रशासन और यहाँ के राज्यमंत्री के निशाने पर थे। अभी कुछ देर पहले उन्हे नाटकीय तौर पर गिरफ्तार कर जैल भेज दिया। पुलिस ने उनको शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तर किया है।
11दिन मे गढ़ी गई फर्जी कहानी : 20दिसंबर 2013 को अयोध्या मे चर्चित शीश पैगंबर की मज़ार और उनकी बीबी की मज़ार की तोड़ फोड़ एवं जिन्नाती मस्जिद मे तोड़फोड़ के साथ सैय्यद जीशान हैदर उर्फ दानिश हत्या एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। नफरत फैला कर दंगा कराने की इस घटना ने प्रशासन के सांप्रदायिक चेहरे को बेनकाब कर दिया है।
इस मामले मे शुरू से ही जांच का रवैया ठीक नही रहा। घूम फिर कर दानिश अयोध्या पढ़ने क्यों आया? दानिश के दोनों सिम में बहुत कोशिश के बाद कुछ हाथ नही आया।
अयोध्या के यलो जोन के अंतर्गत जिन्नाती मस्जिद मे ही 2 महीने से दानिश रह रहा था और पास के परमहंस डिग्री कालेज मे बीएससी (एजी)प्र थम वर्ष का छात्र था.
30 दिसंबर 2013 की शाम कलेक्ट्रेट सभागार में दनिश हत्याकांड एवं तोड़ फोड़ का खुलासा करते हुए डीएम विपिन कुमार दिवेदी, एसएसपी के बी सिंह ने कहा की ‘अवैध सम्बन्धों की वजह से हत्या हुई है’ जिस लड़की की प्रशासन कहानी बता रहा है, वह लड़की 8वी में पढ़ती है और घटना स्थल से 22किमी की दूरी पर रहती है और प्रशासन के दावों में विरोधाभास है। मोअजिन मंजूर अहमद ने अयोध्या कोतवाली मे लिखित शिकायत दर्ज़ कराई थी जबकि मंजूर अहमद निरक्षर है।
दोनों आरोपी हैबतपुर गाव के रहने वाले हैं। उसमे से एक मंजूर अहमद का बेटा इरशाद है तो दूसरा आज़ाद है। आज़ाद के पिता की हत्या से महज़ कुछ घंटे पहले मिट्टी हुई थी। इरशाद और आज़ाद रिश्तेदार भी है, मैययत मे आए हुए लोगों के साथ थे। फिर ये कैसे मुमकिन है?आरोपी बेहद गरीब और फकीर बिरादरी से है। प्रशासन का अपनी जिम्मेदारियों से भागने का बहाना ही असली दोषियों को मौज है। प्रशासन की वेवकूफी कि मस्जिद में हत्या के बाद ध्यान हटाने के लिए शीश पैगंबर दरगाह मे तोड़फोड़ की गयी है। बताते चलें कि दरगाह से महज़ 25मीटर की दूरी पर पीएससी कैंप है और वहाँ से मज़ार साफ दिखता है। मस्जिद और मज़ार की दूरी तकरीबन 150मीटर है। मस्जिद और दरगाह के बीच सकरा रास्ता और जंगल है। फिर दरगाह पर जाकर तोड़फोड़ करने का क्या ओचितय है?सबसे महत्वपूर्व तो यह है कि मस्जिद में हत्या के जो भी सुबूत थे, प्रशासन ने फौरन धुलवा/छिपा दिया था। यह तो कानूनन अपराध है, इससे प्रशासन की मानसिकता को अच्छी तरह समझा जा सकता है।


