मुसलमानों के धैर्य और हिन्दुओं की समझ ने बिगाड़ दिया संघ का खतरनाक मंसूबा

असफल रहा संघ का अयोध्या दांव

राम मंदिर, राम की मर्यादा के अनुरूप बने पूरा देश इस में साथ है

उबैद उल्लाह नासिर

राम की नगरी अयोध्या में संघ परिवार की बुलाई हुई कथित धर्म संसद उसकी वाटर लू साबित हुई। संघ परिवार को आशा थी कि इस धर्म संसद में दो लाख से ज्यादा लोग इकट्ठा होंगे, लेकिन दूर दराज़ के क्षेत्रों को छोड़िए खुद पास पड़ोस के जिलों के लोगों ने संघ परिवार का खेल समझते हुए उस से दूरी बना ली। आम हिन्दू अच्छी तरह समझ गया है कि राम मंदिर संघ परिवार के लिए चुनावी मुद्दे से ज्यादा महत्व नहीं रखता। वरना क्या कारण है की साढ़ें चार वर्षों तक उसे राम मंदिर नहीं याद आया और अब जब आम चुनाव सर पर हैं और पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, जिसमें भाजपा की हालत सभी लोग खस्ता बता रहे हैं, अचानक उसे राम मंदिर याद आ गया।

क्या आम हिन्दू इतना नहीं समझता कि बेरोज़गारी, मंहगाई, कारोबार की बर्बादी, किसानों की समस्याए, बैंकों की लूट समेत राफेल पर जनता का ध्यान हटाने के लिए यह हथकंडा अपनाया जा रहा हैI वह समझ गया है कि मूलभूत समस्याओं से उसका ध्यान हटाने के लिए कभी सरदार पटेल की मूर्ति का झुनझुना पकड़ा दिया जाता है, कभी भगवान राम की मूर्ति का और कभी नाम बदलने का ऐसे ही टोटकों से जनता का भावनात्मक शोषण कर के भाजपा अपनी सरकारें चला रही है, जबकि अवाम इन समस्याओं का हल चाहते हैंI

भारत का हर व्यक्ति हिन्दू मुसलमान सब चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर बने, लेकिन वह भगवान राम की मर्यादाओं और संविधान की मान्यताओं के दायरे में हो, जोर ज़बरदस्ती द्वारा कानून तोड़ कर या संविधान की धज्जियां उड़ा कर नहीं। संघ परिवार इतनी सीधी बात समझने के बजाय न्यायपालिका, सियासी विरोधियों आदि को निशाना बना कर देश में अराजकता का माहौल बना रहा है I

इस कथित धर्म संसद में पुलिस के अनुसार लगभग 50 हज़ार लोग आए जबकि स्थानीय लोगों का अनुमान है कि बमुश्किल बीस हजार लोग आए थे, उस में उत्तर प्रदेश के बाहर विशेषकर महाराष्ट्र से आए लोगों की संख्या ज्यादा थी, क्योंकि शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे खुद अयोध्या आए थे, लेकिन वह धर्म संसद में सम्मिलित होने नहीं बल्कि अपने अलग प्रोग्राम से आए थे।

असल में बाल ठाकरे के बाद जब संघियों ने नरेन्द्र मोदी को दूसरा हिन्दू ह्रदय सम्राट कह के प्रचारित किया तो यह बात शिव सेना और उसके लीडरों को अखर गयी। बाबरी मस्जिद तोड़ने और अब उसे दोबारा बनवाने का क्रेडिट ले कर शिव सेना अपना वह टाइटल वापस ले कर उद्धव ठाकरे को देने की जुगत में है। इसी लिए पहली बार उद्धव ठाकरे अपने परिवार समेत अयोध्या में राम लला के दर्शन करने आए और मोदी को राम मंदिर निर्माण का अध्यादेश लाने या कानून बनाने का चैलेंज दे गए, जबकि सभी जानते हैं कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत दोनों ही असम्भव हैंI

संघ के इस खेल को असफल करने में इस बार मुसलमानों के सब्र (patience ) और सियासी पार्टियों व नेताओं की खामोशी ने बड़ा महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि मुसलमानों की तरफ से कोई रिएक्शन न होने तथा सियासी पार्टियों और नेताओं द्वारा इस खेल को नज़रंदाज़ करने के कारण संघ के प्रचारकों और ज़मीनी कार्यकर्ताओं को आम हिन्दुओं विशेषकर जोशीले नवजवानों को भडकाने और झूठ फैलाने का मौक़ा नहीं मिलाI

वैसे भी मोदी जी के सत्ता में आने के बाद से ही मुसलमानों पर मॉब लिंचिंग समेत जितने भी अत्याचार हुए, उस पर मुसलमानों ने जो धैर्य दिखलाया उसकी चारों और न केवल तारीफ़ हो रही है, बल्कि उस ने देश को गृह युद्ध में धकेलने के संघ के मंसूबे को भी मिटटी में मिला दिया वरना मॉब लिंचिंग तीन तलाक़ गौह्त्या आदि मुद्दों द्वारा संघ ने देश में आग लगा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली संघ ने

पूरे पांच साल से संघी प्रचारक मीडिया विशेषकर हिंदी चैनल मुसलमानों और इस्लाम धर्म को टारगेट करते रहे हैं, लेकिन मुसलमान किसी भी मामले में सड़क पर नहीं उतरा, कोई धरना प्रदर्शन नहीं किया, कोई आवाज़ नहीं उठाई, संघ अपने ख्याल में तो मुसलमानों को देश और समाज में अलग-थलग कर देने में खुद को सफल भले समझे, सचाई यह है कि उस ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली, क्योंकि आम भारतीय जन मानस को समाज का यह विघटन स्वीकार नहीं है, उस ने बदलाव और अपनी समस्याओं के हल की आशा के साथ जो बदलाव किया था उस से उसके हाथ सिर्फ ना उम्मीदी लगी है, जिस से उसका मोदी जी भाजपा आदि से मोह भंग हुआ और अब संघ परिवार के सारे टोटके सारे हथकंडे आम आदमी की समझ में आ गए हैं। अयोध्या में धर्म सभा (ayodhya dharma sabha) की असफलता दरअसल संघ के मंसूबों, मोदी की सरकार और भाजपा की कार्यशैली की असफलता है I

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